BJP’s New President: नए भाजपा अध्यक्ष की दौड़ में मनोहर लाल खट्टर आगे?, नए प्रमुख का चुनाव 20 अप्रैल तक
By हरीश गुप्ता | Updated: March 20, 2025 05:15 IST2025-03-20T05:15:19+5:302025-03-20T05:15:19+5:30
BJP’s New President: संघ परिवार के घटकों के बीच पर्दे के पीछे लंबी बातचीत के बाद अच्छे नतीजे सामने आए हैं.

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BJP’s New President: 15 महीने की लंबी देरी के बाद नए भाजपा प्रमुख को लेकर आरएसएस और भाजपा के बीच आम सहमति बनती दिख रही है. हालांकि भाजपा प्रमुख जे.पी. नड्डा की जगह आने वाले नए अध्यक्ष को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के साथ मिलकर काम करना होगा, लेकिन यह भी साफ है कि उनकी जड़ें मूल संगठन आरएसएस में भी गहरी होंगी. संघ परिवार से आ रही खबरों की मानें तो यह साफ है कि नए प्रमुख का चुनाव 20 अप्रैल तक हो जाएगा. हालांकि जेपी नड्डा की जगह नए पार्टी प्रमुख के मुद्दे पर भाजपा में पूरी तरह से चुप्पी है.
लेकिन अब यह सामने आ रहा है कि संघ परिवार के घटकों के बीच पर्दे के पीछे लंबी बातचीत के बाद अच्छे नतीजे सामने आए हैं. पिछले साल जनवरी में जब नड्डा का कार्यकाल खत्म हुआ तो आम चुनाव से पहले पार्टी के संविधान में बदलाव किया गया, ताकि संसदीय बोर्ड, सर्वोच्च निर्णय लेने वाली संस्था को ‘आपातकालीन स्थितियों’ में पार्टी अध्यक्ष का कार्यकाल बढ़ाने की अनुमति मिल सके.
जिसका इस्तेमाल बाद में नड्डा के कार्यकाल को बढ़ाने के लिए किया गया. इस महीने के अंत में प्रधानमंत्री के रूप में मोदी का महाराष्ट्र के नागपुर में आरएसएस मुख्यालय जाना तय होना इस बात का संकेत है कि कई पेचीदा मुद्दों का समाधान हो गया है. मोदी आरएसएस मुख्यालय जाने वाले पहले प्रधानमंत्री होंगे, जबकि दिवंगत प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी ने ऐसा करने से परहेज किया था.
आरएसएस भाजपा और मोदी का वैचारिक मार्गदर्शक है. मोदी हाल ही में अपने जीवन पर आरएसएस के प्रभाव के बारे में बार-बार बोलते रहे हैं, ताकि मातृ संगठन का सुचारु संचालन और निरंतर समर्थन सुनिश्चित हो सके. मोदी का आरएसएस से परिचय आठ साल की उम्र में हुआ था और 1971 में 21 साल की उम्र में वे गुजरात में आरएसएस के पूर्णकालिक कार्यकर्ता बन गए थे.
ऐसा कहा जा रहा है कि हरियाणा के पूर्व मुख्यमंत्री और केंद्रीय आवास और शहरी मामलों के मंत्री मनोहरलाल खट्टर पर आखिरकार दांव चल सकता है. खट्टर पूर्णकालिक आरएसएस प्रचारक, अविवाहित और मोदी के करीबी विश्वासपात्र हैं. अंदरूनी सूत्रों का कहना है कि दक्षिण भारत से केंद्रीय मंत्री जी. किशन रेड्डी अभी भी चर्चा में हैं. लेकिन खट्टर के पक्ष में आम सहमति बनती दिख रही है.
क्या आम आदमी पार्टी बच पाएगी?
अगर कांशीराम ने मायावती को झुग्गी-झोपड़ियों में देखा था, तो अरविंद केजरीवाल भी सुंदर नगरी से आए थे, जो दिल्ली के बाहरी इलाके में स्थित एक झुग्गी-झोपड़ी है, जहां से अपने एनजीओ परिवर्तन के जरिये वे एक सिविल सेवक से सामाजिक कार्यकर्ता बने. लेकिन इन दो दशकों की यात्रा के दौरान 2025 में उनके खिलाफ शीशमहल का मुद्दा उठा, जो उनकी पार्टी को दिल्ली में पतन की राह पर ले गया.
यह एक क्लासिक केस स्टडी है क्योंकि लोगों के जीवन और रहन-सहन में परिवर्तन लाने के बजाय लोगों ने एक परिवर्तित आदमी को देखा. इसके कारण दिल्ली में आम आदमी पार्टी (आप) की हार हुई. यह दिल तोड़ने वाला है क्योंकि लाखों लोग उम्मीद कर रहे हैं कि देश की राजनीति एक दिन बदल जाएगी.
यह भारत को भ्रष्टाचारमुक्त देश देखने के सपने की मौत है और इसने आम आदमी पार्टी के अस्तित्व पर ही प्रश्नचिह्न लगा दिया है. यदि आप को रोकना असंभव था, वह 2020 में लगातार दूसरी बार जीत हासिल करने और कांग्रेस के जबड़े से पंजाब को छीनने तथा अकालियों का सफाया करने में सफल रही, तो उसका पतन भी उतनी ही तेजी से हो रहा है तथा उसकी प्रतिष्ठा फीकी पड़ रही है. केजरीवाल आत्मचिंतन करने के लिए शायद आत्मकेंद्रित हो गए हैं कि आखिर क्या गलत हुआ. लेकिन अब बहुत देर हो चुकी है क्योंकि वह अब अपनी आलीशान जीवनशैली से बाहर निकलने को तैयार नहीं हैं.
वह एक बड़े काफिले के साथ यात्रा करते हैं, एक साधारण अपार्टमेंट में रहने से इनकार करते हैं और आप के उत्थान के लिए कोई योजना बनाने को तैयार नहीं हैं. दरारें दिखने के साथ ही केजरीवाल ने दिल्ली में हार के बाद पंजाब को अपना ‘पहला घर’ बनाकर एक और गलती की है. इससे पार्टी के अस्तित्व पर ही सवालिया निशान लग गए हैं.
राहुल ने तेजस्वी को किया बेचैन
राहुल गांधी ने बिहार में युवा नेता कन्हैया कुमार को बड़े पैमाने पर लॉन्च करके अपने अहम सहयोगी दल राजद को बेचैन कर दिया है. कुमार ने बिहार के सुदूर पश्चिमी चंपारण जिले से कांग्रेस की ‘पलायन रोको, नौकरी दो पदयात्रा’ की शुरुआत की है. जेएनयू छात्र संघ के पूर्व अध्यक्ष कन्हैया कुमार जैसे किसी युवा नेता के उभरने से तेजस्वी यादव बेचैन हो जाते हैं.
राहुल गांधी ने यात्रा अभियान को कन्हैया कुमार को सौंपने का फैसला किया और इस प्रक्रिया में कांग्रेस के कई वरिष्ठ नेताओं को भी नाखुश कर दिया. राजद कांग्रेस से भी नाराज है क्योंकि वह निर्दलीय लोकसभा सांसद राजेश रंजन उर्फ पप्पू यादव को अपने पाले में लाने की योजना बना रही है. राजद पप्पू यादव को कांग्रेस में नहीं चाहता है.
हालांकि उनकी पत्नी रंजीता पहले से ही कांग्रेस की राज्यसभा सांसद हैं. पप्पू यादव को राजद के यादव गढ़ के लिए बड़ा खतरा माना जाता है. पप्पू यादव ने बहुकोणीय मुकाबले में जेडीयू, आरजेडी और अन्य को हराया था. कांग्रेस ने अपना उम्मीदवार नहीं उतारा था.
सिसोदिया को राज्यसभा भेजा जाएगा?
राष्ट्रीय राजधानी में इस बात की चर्चा जोरों पर है कि आम आदमी पार्टी के राष्ट्रीय संयोजक अरविंद केजरीवाल के खास मनीष सिसोदिया को अब पंजाब से राज्यसभा भेजा जा सकता है. चूंकि केजरीवाल की योजनाएं लगभग धराशायी हो चुकी हैं, इसलिए अब कयास लगाए जा रहे हैं कि सिसोदिया को राज्यसभा में भेजा जा सकता है.
लुधियाना पश्चिम विधानसभा उपचुनाव में पार्टी के मौजूदा सदस्य संजीव अरोड़ा के जीतने पर राज्यसभा की सीट खाली हो सकती है. सिसोदिया केजरीवाल के बेहद करीबी माने जाते हैं और वे उपमुख्यमंत्री रह चुके हैं. सिसोदिया पर शराब घोटाले से जुड़े मामले दर्ज हैं और वे जेल में हैं. वे लगभग राजनीतिक वनवास में हैं और उन्हें अस्तित्व बचाने के लिए पार्टी के समर्थन की जरूरत है.



