मनोरंजन के तिलिस्म को तोड़कर भयावह यथार्थ दिखाए कौन?

By लोकमत न्यूज़ डेस्क | Updated: October 22, 2025 05:15 IST2025-10-22T05:15:37+5:302025-10-22T05:15:37+5:30

करीब दस साल पहले तुर्की के समुद्री तट पर बहकर आए तीन साल के बच्चे अयलान कुर्दी का शव देखकर पूरी दुनिया की आंखें नम हो गई थीं.

Who break spell entertainment and show horrific reality Rescue deer hit sea near beach Atlantic Ocean in Florida blog Hemdhar Sharma | मनोरंजन के तिलिस्म को तोड़कर भयावह यथार्थ दिखाए कौन?

file photo

Highlightsसूडान में 32 साल पहले एक फोटोग्राफर ने अकाल के दौरान भूख से मरती एक बच्ची की फोटो खींची थी. बच्ची को न बचा पाने की विवशता फोटोग्राफर की अंतरात्मा को कचोटती रही.दुनिया में हर साल लगभग सोलह हजार किसान आत्महत्या करते हैं,

हेमधर शर्मा

पिछले दिनों एक खबर आई कि अमेरिका के फ्लोरिडा में अटलांटिक महासागर के एक तट के पास समुद्र में हिचकोले खाते एक हिरण को बचाव दल ने बचाया. हमारे देश में भी तेंदुओं या अन्य जंगली जानवरों के कुएं में गिरने या अन्य कहीं फंसने पर बचाए जाने की खबरें अक्सर सामने आती हैं. बोरवेल के गड्ढे में कहीं किसी बच्चे के गिरने की खबर आती है तो उसकी सलामती के लिए पूरा देश प्रार्थना करने लगता है. करीब दस साल पहले तुर्की के समुद्री तट पर बहकर आए तीन साल के बच्चे अयलान कुर्दी का शव देखकर पूरी दुनिया की आंखें नम हो गई थीं.

सूडान में 32 साल पहले एक फोटोग्राफर ने अकाल के दौरान भूख से मरती एक बच्ची की फोटो खींची थी, जिसके मरने का इंतजार करता एक गिद्ध कुछ दूर बैठा था (क्योंकि गिद्ध सिर्फ मृतकों का मांस खाते हैं). इस फोटो के लिए फोटोग्राफर को दुनिया का प्रतिष्ठित पुलित्जर पुरस्कार भी मिला. लेकिन बच्ची को न बचा पाने की विवशता फोटोग्राफर की अंतरात्मा को कचोटती रही.

कुछ महीने बाद ही उसने आत्महत्या कर ली. आज भी ये तस्वीरें हमें भीतर तक हिला देती हैं. इसमें कोई शक नहीं कि मानव जाति दुनिया की सर्वाधिक संवेदनशील प्रजाति मानी जाती है. उपर्युक्त उदाहरण इस बात के ज्वलंत प्रमाण हैं. लेकिन जब हम पढ़ते या सुनते हैं कि दुनिया में हर साल लगभग सोलह हजार किसान आत्महत्या करते हैं,

युद्धों से विश्व में हर साल औसतन पांच लाख छब्बीस हजार से अधिक लोगों की मौत होती है या भुखमरी और कुपोषण संबंधी बीमारियों से दुनियाभर में प्रति वर्ष करीब नब्बे लाख लोग मरते हैं, तब भी क्या हमें ऐसी ही पीड़ा का अहसास होता है? भूख से दम तोड़ते किसी एक बच्चे की तस्वीर हमें जितना व्याकुल करती है, भुखमरी से मरते 90 लाख लोगों की खबर से शायद वैसा अहसास नहीं होता!

कहते हैं एक आदमी को सिर्फ बटन दबाने की नौकरी मिली. उसे एक कमरे में बैठे रहना था और संकेत मिलने पर बीच-बीच में बस एक बटन को दबाते रहना था. इतनी आसान नौकरी मिलने के लिए वह खुद को भाग्यशाली समझता था. लेकिन एक दिन जब उसे पता चला कि हर बार उसके बटन दबाते ही दीवार के दृूसरी तरफ लगी मशीन से एक जानवर का सिर कट जाता है,

तो यह सोचकर कि अनजाने में ही अब तक जाने कितनी हत्याओं का भागीदार बन गया है, वह पागल हो गया. लोकतंत्र में शासन भले ही सरकार चलाती है लेकिन उसके हर अच्छे-बुरे फैसले का जिम्मेदार हर नागरिक होता है.

सीरिया में युद्ध के चलते पलायन के चक्कर में अपनी जान गंवाने वाले किसी एक अयलान कुर्दी या सूडान में भुखमरी से मरती एक बच्ची की फोटो अगर हमें इतना विचलित कर सकती है तो जिस दिन हमें महसूस होगा कि दुनिया भर में युद्धों और भुखमरी से होने वाली इनके जैसी लाखों मौतों की जिम्मेदारी में हमारी भी हिस्सेदारी है,

तो स्लाॅटर हाउस में बटन दबाने का काम करने वाले व्यक्ति की तरह क्या हम भी पागल नहीं हो जाएंगे? शायद इसी कटु यथार्थ को अनदेखा करने और खुद को बहलाने के लिए हम अपने मनोरंजन और विलासिता के बहुविध इंतजाम करते जा रहे हैं. खाने के लिए घर में अन्न भले न हो लेकिन हाथों में अगर एक अदद स्मार्टफोन हो तो हम एक क्षण के लिए भी बोर नहीं हो सकते. हालांकि शुतुरमुर्ग की तरह रेत में गर्दन दबाने से खतरा टल नहीं जाएगा लेकिन सवाल यह है कि मनोरंजन के तिलिस्म को तोड़कर हमें भयावह यथार्थ दिखाए कौन?

Web Title: Who break spell entertainment and show horrific reality Rescue deer hit sea near beach Atlantic Ocean in Florida blog Hemdhar Sharma

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