गौरीशंकर राजहंस का ब्लॉग: प्रवासी मजदूर आखिर कहां जाएं? 

By लोकमत समाचार ब्यूरो | Published: November 4, 2018 08:15 AM2018-11-04T08:15:01+5:302018-11-04T08:15:01+5:30

सारी दुनिया में गरीब लोग रोजी-रोटी की खोज में दूसरे शहर यहां तक कि दूसरे देश भी जाते रहे हैं। जहां जहां वे गए हैं उन देशों को और उन शहरों को उन्होंने विकसित किया है।

Where do the go migrant laborers? | गौरीशंकर राजहंस का ब्लॉग: प्रवासी मजदूर आखिर कहां जाएं? 

प्रतीकात्मक तस्वीर

पिछले दिनों गुजरात में जिस तरह से बिहार और उत्तर प्रदेश के प्रवासी मजदूरों को तंग करके पलायन के लिए मजबूर किया गया वह वास्तव में एक गंभीर समस्या है। यदि किसी एक व्यक्ति ने कोई जघन्य अपराध किया था तो उसे तुरंत जेल में डालना था। इसके कारण सारे बिहार और उत्तर प्रदेश के मजदूरों को तंग करके गुजरात से भगाना क्या उचित था?  

सारी दुनिया में गरीब लोग रोजी-रोटी की खोज में दूसरे शहर यहां तक कि दूसरे देश भी जाते रहे हैं। जहां जहां वे गए हैं उन देशों को और उन शहरों को उन्होंने विकसित किया है। मॉरीशस, सूरीनाम और फिजी जैसे देशों में बिहार और उत्तर प्रदेश के मजदूर ‘गिरमिटिया’ बन कर गए। उन्होंने दिन-रात मेहनत कर अपने खून-पसीने से इन देशों को विकसित किया। उन्नत और विकसित देशों में यह देखा गया है कि उन्हें गरीब देशों से आने वाले मजदूर सस्ती दरों में मिल जाते हैं जिससे उनका जीवनयापन बहुत ही आसान हो जाता है। 

यूरोप में भी जब पूर्वी यूरोप के मजदूर खासकर प्लम्बर और निर्माण उद्योग में काम करने वाले मजदूर आकर काम करने लगे तो वहां के संपन्न लोगों को बड़ी सुविधा हुई। फ्रांस में अफ्रीका की पुरानी कॉलोनी से आए हुए लोगों को अलग बस्ती में रखा गया। गोरे लोग उन्हें नफरत की निगाह से देखते हैं। परंतु उन्हें सस्ता मजदूर मिल जाता है इसलिए उनका बहुत विरोध नहीं कर पाते हैं। फ्रांस में नई पीढ़ी के लोग बराबर यह मांग करते रहे हैं कि इन अफ्रीकी मूल के लोगों को फ्रांस की संपन्न बस्तियों से बाहर निकाला जाए। परंतु लाख चाहने के बाद भी वहां जनमत इतना प्रबल है कि वे ऐसा कर नहीं पाते हैं। अब तो ब्रिटेन, अमेरिका और पश्चिम के दूसरे देशों में भी गरीब देशों से आए हुए प्रवासी लोगों के विरुद्ध वातावरण तैयार हो रहा है। परंतु जैसे ही यह बात सामने आती है कि इनके नहीं रहने पर वहां संपन्न लोगों का जीवन दूभर हो जाएगा तो यह मांग दब जाती है। 

बिहार और उत्तर प्रदेश के लोग आज भी बड़ी संख्या में खाड़ी देशों में जाकर अच्छा धन कमा रहे हैं और वे यह धन भारत में अपने परिवार को भेज रहे हैं। कहने का अर्थ है कि इन गरीब राज्यों के मजदूरों ने अमीर शहरों को विकसित करने में भरपूर योगदान दिया है। अब जब मतलब पूरा हो गया है तो उन्हें दूध की मक्खी की तरह नहीं फेंक देना चाहिए। गुजरात में बिहार और उत्तर प्रदेश के ये मजदूर ‘क्रॉकरी उद्योग’ में लगे हुए थे और उसे संपन्न बनाने में उन्होंने बहुत योगदान दिया। 

आज जब अधिकतर मजदूर वहां से निकल गए हैं तो क्रॉकरी उद्योग गुजरात में एक तरह से बैठ गया है। इसी कारण गुजरात के मुख्यमंत्री बार-बार देश के समाचारपत्रों में यह विज्ञापन दे रहे हैं कि गलतफहमी के कारण इन मजदूरों का पलायन हुआ। अब उनका गुजरात में फिर से खुले हृदय से स्वागत है। आशा है कि जिन लोगों ने इन गरीब मजदूरों को तंग किया था वे अपनी गलतियों को सुधारेंगे और फिर से इन मजदूरों का अपने राज्य में स्वागत करेंगे।

Web Title: Where do the go migrant laborers?

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