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वेदप्रताप वैदिक का ब्लॉग: गेहूं से किसानों को होना चाहिए फायदा

By वेद प्रताप वैदिक | Updated: May 17, 2022 14:48 IST

सरकार चाहती तो निर्यात किए जानेवाले गेहूं के दाम बढ़ा सकती थी। उससे निर्यात की मात्रा घटती लेकिन सरकार की आमदनी बढ़ जाती। वह किसानों से भी थोड़ा ज्यादा कीमत पर गेहूं खरीदती तो उसका भंडारण दुगुना हो सकता था।

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अभी महीना भर पहले तक सरकार दावे कर रही थी कि इस बार देश में गेहूं का उत्पादन गजब का होगा। उम्मीद थी कि वह 11 करोड़ टन से ज्यादा ही होगा और भारत इस साल सबसे ज्यादा गेहूं निर्यात करेगा। इसकी संभावना इसलिए भी बढ़ गई थी कि रूस-यूक्रेन युद्ध के कारण दुनिया में गेहूं की कमी पड़ने लगी है। लेकिन ऐसा क्या हुआ कि सरकार ने रातों-रात फैसला कर लिया कि भारत अब गेहूं निर्यात नहीं करेगा? 

इसका पहला कारण तो यह है कि गेहूं का उत्पादन अचानक घट गया है। इसका मुख्य कारण मार्च, अप्रैल और मई में पड़ने वाली भयंकर गर्मी है। सरकार ने पिछले साल अपने गोदामों में सवा चार करोड़ टन गेहूं खरीदकर भर लिया था लेकिन इस बार वह सिर्फ दो करोड़ टन गेहूं ही खरीद पाई है। पिछले 15 साल में इतना कम सरकारी भंडारण पहली बार हुआ है। 

निर्यात पर जो प्रतिबंध लगाया गया है, उसके पीछे तर्क यही है कि एक तो लगभग 80 करोड़ लोगों को नि:शुल्क अनाज बांटना है और दूसरा यह कि अनाज के दाम अचानक बहुत बढ़ गए हैं। यह ठीक है कि अंतरराष्ट्रीय बाजार में इस समय गेहूं के दामों में काफी उछाल आ गया है और भारत उससे काफी पैसा कमा सकता है लेकिन सरकार का यह डर बहुत स्वाभाविक है कि यदि निर्यात बढ़ गया तो गेहूं इतना कम न पड़ जाए कि भारत में संकट खड़ा हो जाए। 

सरकार की यह सोच तो व्यावहारिक है लेकिन यदि गेहूं का निर्यात रुक गया तो हमारे किसानों की आमदनी घट जाएगी। उन्हें मजबूर होकर अपने गेहूं को सस्ते दाम पर बेचना होगा। इस समय सबसे बड़ी चांदी उन व्यापारियों की है, जिन्होंने ज्यादा कीमतों पर गेहूं खरीदकर अपने गोदामों में दबा लिया है लेकिन गेहूं का निर्यात रुक जाने से उसके दाम गिरेंगे और इससे किसानों से भी ज्यादा व्यापारी घाटे में उतर जाएंगे। 

सरकार चाहती तो निर्यात किए जानेवाले गेहूं के दाम बढ़ा सकती थी। उससे निर्यात की मात्रा घटती लेकिन सरकार की आमदनी बढ़ जाती। वह किसानों से भी थोड़ा ज्यादा कीमत पर गेहूं खरीदती तो उसका भंडारण दुगुना हो सकता था। गेहूं के निर्यात पर रोक लगाने के पीछे श्रीलंका से मिल रहा सबक भी है।

टॅग्स :FarmersIndia
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