स्विस बैंक में भारतीयों का धन बढ़ने के मायने क्या हैं?

By लोकमत समाचार ब्यूरो | Updated: June 21, 2025 07:17 IST2025-06-21T07:16:08+5:302025-06-21T07:17:19+5:30

. यहां तक कि दुनिया के किसी देश की सरकार के लिए भी यह जानकारी पाना लगभग असंभव सा काम है

What does the increase in Indians' wealth in Swiss banks mean | स्विस बैंक में भारतीयों का धन बढ़ने के मायने क्या हैं?

स्विस बैंक में भारतीयों का धन बढ़ने के मायने क्या हैं?

स्विस बैंक में भारतीय ग्राहकों की जमा राशि के बारे में दो नजरिये से देखा जा सकता है. एक तो यह है कि पिछले दस वर्षों में इसमें 18 प्रतिशत की कमी आई है लेकिन दूसरा नजरिया ज्यादा महत्वपूर्ण है कि वर्ष 2023 की तुलना में वर्ष 2024 में जमा राशि में तीन गुना उछाल आया. भारतीय रुपयों में हिसाब लगाएं तो भारतीयों का करीब 37600 करोड़ रुपया स्विस बैंक में जमा है.

दुनिया के दूसरे देशों की तुलना में भारतीय ग्राहकों का कद स्विस बैंक में ऊंचा हुआ है. स्विस बैंकों में धन जमा करने के मामले में भारत की रैंकिंग पहले दुनिया में 67 थी जो अब ऊपर उठकर 48 हो गई है. स्वाभाविक सा सवाल है कि स्विस बैंकों में जमा यह धन किसका है? यह पता लगाना बड़ा मुश्किल काम है क्योंकि दुनिया भर में स्विस बैंक ही ऐसे बैंक हैं जो अपने ग्राहकों को सुनिश्चित करते हैं कि वे किसी को भी यह नहीं बताएंगे कि किसने धन जमा किया है. यहां तक कि दुनिया के किसी देश की सरकार के लिए भी यह जानकारी पाना लगभग असंभव सा काम है. वहां के कानून स्विस बैंकों की रक्षा करते हैं.

बताया जा रहा है कि इस जमा धन में वृद्धि की वजह वित्तीय संस्थान हैं लेकिन वे संस्थान कौन हैं यह पता नहीं चल सकता! जहां तक निजी ग्राहकों का सवाल है तो उसमें भी 11 प्रतिशत का उछाल आया है यानी निजी तौर पर भी लोग स्विस बैंकों में अपना धन पहुंचा रहे हैं.

स्विस नेशनल बैंक का हालांकि यही राग रहता है कि इसमें कितना कालाधन है या नहीं है, उससे कोई लेना-देना नहीं है. बस इतना बताया गया है कि निजी ग्राहकों का धन 3675 करोड़ हो गया है. स्विस बैंक हमेशा यह कहते रहे हैं और फिर दोहराया है कि टैक्स चोरी और कालेधन के खिलाफ भारत के साथ मिलकर काम करते रहेंगे लेकिन यह सब केवल भ्रमित करने वाली बातें हैं.

भारत में कालेधन को लेकर पहले भी काफी बवाल हो चुका है. राजनेताओं ने बड़े वादे किए थे कि यदि उनकी सरकार सत्ता में आ गई तो वे स्विस बैंकों से कालाधन वापस ले आएंगे लेकिन वो सारे वादे राजनीतिक थे और राजनीतिक ही रह गए. भारत सरकार ने कोशिश भी की हो तो स्विस बैंकों ने राज खोलने से इनकार कर दिया क्योंकि गोपनीयता उनकी सबसे बड़ी पूंजी है.

कोई व्यक्ति किसी विदेशी बैंक में पैसा क्यों जमा करेगा? और वह भी अपने देश की सरकार को बताए बगैर! ऐसा करने का सीधा मतलब है कि भारत में टैक्स की चोरी की गई और वह धनराशि काली कमाई से उपजी है. सबसे महत्वपूर्ण बात है कि स्विस बैंकों में धन ब्याज के लिए जमा नहीं किया जाता, बल्कि वहां तो खाते की देखरेख के लिए विदहोल्डिंग फीस भी देनी पड़ती है.

ऐसे में कोई व्यक्ति सफेद धन वहां क्यों रखेगा? पिछले तीन साल में भारतीयों का धन स्विस बैंक मेंं बढ़ा है तो क्या यह माना जाए कि भारत में भ्रष्टाचार की जड़ें अभी भी गहरी हैं? यह कहना जरा मुश्किल है लेकिन शंका तो होती ही है. वैसे एक दिलचस्प बात है कि आश्चर्यजनक रूप से पाकिस्तान की जमा राशि में गिरावट आई है. लेकिन बांग्लादेश की जमा पूंजी में इजाफा हुआ है. वैसे जानकारी के लिए बता दें कि स्विस बैंकों में सबसे ज्यादा राशि ब्रिटेन की जमा है और उसके बाद दूसरे क्रम पर अमेरिका है.

तो क्या वहां का भी कालाधन स्विस बैंकों में जमा हो रहा है? या कानूनी पचड़ों से बचने के लिए वहां के लोग स्विस बैंकों का सहारा ले रहे हैं. ब्रिटेन और अमेरिका का मामला चाहे जो हो, हमें क्या लेना-देना. हमारी चिंता तो यह है कि भारत में कालेधन पर अंकुश कैसे लगे?

यह कहने में हर्ज नहीं है कि छोटे स्तर पर भ्रष्टाचार में काफी कमी आई है, लेकिन बड़े स्तर पर भ्रष्टाचार अभी भी देश के लिए अभिशाप बना हुआ है.

आर्थिक रूप से हम दुनिया की चौथी बड़ी शक्ति बन चुके हैं लेकिन इससे आगे बढ़ते रहना है तो हमें ऐसी पुख्ता व्यवस्था करनी होगी कि भ्रष्टाचार रूपी रिसाव पूरी तरह से बंद हो जाए. जब स्रोत बंद हो जाएगा तो स्विस बैंकों में कालाधन पहुंचना भी बंद हो जाएगा. कार्रवाई हमें देश में करनी होगी, स्विस बैंक हमें कभी कुछ नहीं बताएगा!

Web Title: What does the increase in Indians' wealth in Swiss banks mean

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