ब्लॉग: दुनिया की विकट समस्या बनता जल संकट...भारत को भी आखिर क्यों इजराइल से है सीखने की जरूरत?

By रोहित कौशिक | Published: March 22, 2023 05:29 PM2023-03-22T17:29:32+5:302023-03-22T17:29:32+5:30

भारत में केवल 15% जल का ही उपयोग होता है. इसके अलावा शेष बहकर समुद्र में चला जाता है और बेकार हो जाता है. भारत को इस पर ध्यान देना होगा, ताकि एक-एक बूंद का सही इस्तेमाल हो सके. इस मामले में इजराइल को बतौर उदाहरण देखा जा सकता है.

Water crisis becomes a critical problem of the world, know why India need to learn from Israel | ब्लॉग: दुनिया की विकट समस्या बनता जल संकट...भारत को भी आखिर क्यों इजराइल से है सीखने की जरूरत?

ब्लॉग: दुनिया की विकट समस्या बनता जल संकट...भारत को भी आखिर क्यों इजराइल से है सीखने की जरूरत?

इस दौर में जबकि जल संकट लगातार गहराता जा रहा है, हम जागरूक रहकर काफी मात्रा में पानी बचा सकते हैं. पिछले दिनों संयुक्त राष्ट्र द्वारा जारी विश्व जल रिपोर्ट में जल संकट को लेकर चिंता व्यक्त की गई थी. रिपोर्ट में कहा गया था कि कृषि की बढ़ती जरूरतों, खाद्यान्न उत्पादन, ऊर्जा उपभोग, प्रदूषण और जल प्रबंधन की कमजोरियों की वजह से स्वच्छ जल पर दबाव बढ़ रहा है. रिपोर्ट के अनुसार विश्व के कई देश गंभीर जल संकट से जूझ रहे हैं. ऐसी स्थिति में यदि पानी की बर्बादी नहीं रोकी गई तो यह समस्या विकराल रूप ले सकती है.

गौरतलब है कि भारत में मात्र पंद्रह प्रतिशत जल का ही उपयोग होता है, शेष जल बेकार बहकर समुद्र में चला जाता है. इस मामले में इजराइल जैसे देश ने, जहां वर्षा का औसत 25 सेमी से भी कम है, एक अनोखा उदाहरण पेश किया है. वहां जल की एक बूंद भी खराब नहीं जाती है. अतिविकसित जल प्रबंधन तकनीक के कारण वहां जल की कमी नहीं होती.

जल संकट से निपटने के लिए हमें भी अपने देश में ऐसा ही उदाहरण पेश करना होगा. वर्षा के जल को जितना हम जमीन के अंदर जाने देंगे उतना ही जल संकट को दूर रखेंगे. इस विधि से मिट्टी का कटाव भी रुकेगा और हमारे देश को सूखे और अकाल का सामना भी नहीं करना पड़ेगा.

एक आंकड़े के अनुसार यदि हम देश के जमीनी क्षेत्रफल में से सिर्फ पांच फीसदी क्षेत्र में होने वाली वर्षा के जल का संग्रहण कर सकें तो एक बिलियन लोगों को प्रतिव्यक्ति सौ लीटर पानी प्रतिदिन मिल सकता है. आज हालत यह है कि वर्षा का 85 फीसदी जल बरसाती नदियों के माध्यम से समुद्र में बेकार बह जाता है. यदि इस जल को जमीन के भीतर पहुंचा दिया जाए तो इससे एक ओर बाढ़ की समस्या काफी हद तक समाप्त हो जाएगी, वहीं दूसरी ओर भूजल स्तर भी बढ़ेगा.

मौजूदा जल संकट से निपटने हेतु आज भी हमें अपनी पुरानी तकनीक को ही अपनाना होगा. हम स्वयं भी अपने मकान की छत पर वर्षा जल को एकत्रित करके मकान के नीचे भूमिगत अथवा भूमि के ऊपर टैंक में जमा कर सकते हैं.

प्रत्येक बारिश के मौसम में सौ वर्ग मीटर आकार की छत पर 65000 लीटर वर्षा जल एकत्रित किया जा सकता है जिससे चार सदस्यों वाले एक परिवार की पेयजल और घरेलू जल आवश्यकताएं 160 दिनों तक पूरी हो सकती है.

Web Title: Water crisis becomes a critical problem of the world, know why India need to learn from Israel

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