विनीत नारायण का ब्लॉगः पेट्रोलियम के भंडार का दोहन करें

By लोकमत समाचार ब्यूरो | Published: June 11, 2019 10:50 AM2019-06-11T10:50:39+5:302019-06-11T10:50:39+5:30

धरती माता के गर्भ में कहां-कहां तेल और गैस के कितने भंडार हैं, सोने-चांदी के कितने भंडार हैं, हीरे-रत्नों के कितने भंडार हैं, तांबे-लोहे के कितने भंडार हैं आदि को चिह्न्ति किया जा चुका है. दुर्भाग्यवश कुछ देश अभी तक इस सूचना से वंचित हैं.

Vineet Narayan's blog: Exploit the reserves of petroleum | विनीत नारायण का ब्लॉगः पेट्रोलियम के भंडार का दोहन करें

विनीत नारायण का ब्लॉगः पेट्रोलियम के भंडार का दोहन करें

विगत दिनों पेट्रोलियम मंत्नालय ने नोटिफिकेशन निकालकर भारत में तेल और गैस निकालने के लिए बहुत बड़े पैमाने पर छूट और सुविधाओं की घोषणा करते हुए देशी और विदेशी कंपनियों को आमंत्रित किया. उसके फलस्वरूप देश के 85 प्रतिशत तेल और गैस के बचे-खुचे भंडारों का ठेका अनेक कंपनियों को दे दिया गया और हाल ही में पश्चिमी उत्तर प्रदेश के बागपत क्षेत्न में तेल की खुदाई के लिए काम भी शुरू हो गया. स्मरण रहे कि सैटेलाइट द्वारा ‘हाइपर स्पेक्ट्रल इमेजिंग’ की तकनीक के माध्यम से पूरे धरती की 35 किमी तक गहरी ‘सिग्नेचर फाइल्स’ कई साल पहले विश्व के कई देशों ने पहले से ही तैयार कर रखी है. इन फाइल्स के अंदर धरती माता के गर्भ में कहां-कहां तेल और गैस के कितने भंडार हैं, सोने-चांदी के कितने भंडार हैं, हीरे-रत्नों के कितने भंडार हैं, तांबे-लोहे के कितने भंडार हैं आदि को चिह्न्ति किया जा चुका है. दुर्भाग्यवश कुछ देश अभी तक इस सूचना से वंचित हैं.

अगर इन फाइलों को विश्व कल्याण हेतु सार्वजनिक कर दिया जाए तो विश्व के 771 करोड़ लोगों की गरीबी, भुखमरी, बदहाली तीन महीने के अंदर दूर हो सकती है. ये बहुत महत्वपूर्ण ‘कम्युनिकेशन गैप’ है, जिसके कारण पूरे विश्व में एक अनिश्चितता और घबराहट का वातावरण छाया हुआ है.  पेट्रोलियम मंत्नालय ने पिछले महीने तेल और गैस की नीति सुधारने के लिए जब अधिसूचना जारी की तो उसमें ‘सिस्मिक सर्वे’ को तो 20 प्रतिशत ‘वेटेज’ दिया गया, मगर ‘हाइपर स्पेक्ट्रल इमेजिंग’ की ‘सिग्नेचर फाइल्स’ की चर्चा नहीं की गई. 

अगर भारत को ‘सुपर पॉवर’ बनना है, तो इसरो के सैटेलाइट के माध्यम से अपनी ‘पर्सनल सिग्नेचर फाइल्स’ तुरंत तैयार करके अपने देश के प्राकृतिक संसाधनों का नियोजित दोहन करना शुरू करना होगा. इस देव भूमि भारत में प्राकृतिक संसाधनों के अकूत भंडार विद्यमान हैं, मगर ‘कम्युनिकेशन गैप’ होने की वजह से हम अपने देश का 10 लाख करोड़ रुपया हर साल तेल और गैस के आयात में फिजूल में बर्बाद कर देते हैं. अगर ये पैसा बच जाए तो देश विकसित देशों की श्रेणी में आ जाएगा. 

सर्वविदित है कि छत्तीसगढ़ में हीरों की विश्व की सबसे कीमती और महत्वपूर्ण खान का ‘हाइपर स्पेक्ट्रल इमेजिंग’ की तकनीक के द्वारा ही पता लगा है. हमें अब ‘सिस्मिक सर्वे’ जैसी कमजोर और अधूरी तकनीक के भरोसे नहीं रहना चाहिए. याद रहे कि सर्जिकल स्ट्राइक और ओसामा बिन लादेन के ऊपर हमले में भी इसी ‘हाइपर स्पेक्ट्रल इमेजिंग’ की तकनीक का इस्तेमाल किया गया था. 

Web Title: Vineet Narayan's blog: Exploit the reserves of petroleum

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