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वेदप्रताप वैदिक का ब्लॉगः पाकिस्तान खुद पहल क्यों नहीं करता?

By वेद प्रताप वैदिक | Updated: January 26, 2022 15:17 IST

भारत तो मुस्लिम तीर्थयात्रियों को अजमेर शरीफ, निजामुद्दीन दरगाह और अन्य जगहों पर जाने के लिए विमान-यात्रा की सुविधा दे देगा लेकिन पाकिस्तान भी तो कुछ उत्साहवर्धक इशारा करे। उसका हाल तो इतना विचित्र है कि उसे अफगानिस्तान के मुस्लिम भाइयों की जान की भी परवाह नहीं है।

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पाकिस्तान ने हाल ही में नई सुरक्षा नीति प्रचारित की थी, जिसमें भारत से सहज संबंध बनाने की वकालत की गई थी और अब उसने भारतीय विदेश मंत्रालय को एक नया प्रस्ताव भेजा है। इस प्रस्ताव में भारत से मांग की गई है कि पाकिस्तान के मुस्लिमों, हिंदुओं और सिखों को अपने-अपने तीर्थो में जाने की हवाई सुविधा दी जाए। यानी लाहौर और कराची हवाई अड्डों से उड़ने वाले पाकिस्तान इंटरनेशनल एयरलाइंस के विशेष विमानों से उन्हें भारत आने दिया जाए। तीर्थयात्रियों को वीजा भी दिए जाएं!

यह मांग पाकिस्तान की हिंदू कौंसिल के नेता रमेश वंकवानी ने एक पत्र में की है, जिसे पाकिस्तानी उच्चायोग ने हमारे विदेश मंत्नालय को सौंपा है। इसका अर्थ क्या हुआ? यही न, कि पाकिस्तानी सरकार इस मांग का समर्थन करती है। यह तो बहुत अच्छी बात है। पाकिस्तान सरकार के इस रवैये का स्वागत किया जाना चाहिए लेकिन इमरान सरकार ऐसी मांग का समर्थन करने के पहले यह क्यों नहीं बताती कि उसने पिछले माह भारतीय तीर्थयात्रियों को पाकिस्तानी एयरलाइंस के विमानों से पाकिस्तान क्यों नहीं जाने दिया? नवंबर में उसने शारजाह-श्रीनगर उड़ानों को भी अनुमति नहीं दी। 2019 से ही पाकिस्तानी उड़ानों पर पाकिस्तान ने प्रतिबंध थोप रखा है। अब पाकिस्तान अपने तीर्थयात्रियों की हवाई उड़ानों का समर्थन कर रहा है लेकिन 1947 से अभी तक उन्हें सिर्फथलमार्ग से ही जाने की अनुमति थी।

भारत तो मुस्लिम तीर्थयात्रियों को अजमेर शरीफ, निजामुद्दीन दरगाह और अन्य जगहों पर जाने के लिए विमान-यात्रा की सुविधा दे देगा लेकिन पाकिस्तान भी तो कुछ उत्साहवर्धक इशारा करे। उसका हाल तो इतना विचित्र है कि उसे अफगानिस्तान के मुस्लिम भाइयों की जान की भी परवाह नहीं है। भारत द्वारा भेजे जानेवाले 50 हजार टन अनाज और डेढ़ टन औषधियों के थैले अभी वाघा बॉर्डर पर पड़े-पड़े सड़ रहे हैं लेकिन इमरान सरकार के सिर पर जूं भी नहीं रेंग रही है। पता नहीं, पाकिस्तान भारत से इतना क्यों डरा रहता है? एयर इंडिया की उड़ानें उसने अपने यहां आने से 2008 में रोकी थीं। आज भी वही ढर्रा चल रहा है। पाकिस्तान के सिंधी नेता वंकवानी बधाई के पात्र हैं कि उन्होंने रास्ते खोलने की यह पहल की है। मुझे विश्वास है कि भारत और पाकिस्तान दोनों की सरकारें थोड़ा साहस दिखाएंगी और इसी बहाने सार्थक और बड़े संवाद की शुरु आत करेंगी। पाकिस्तान अगर खुद पहल करे तो भारत पीछे नहीं रहेगा।

टॅग्स :पाकिस्तानइमरान खान
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