वेदप्रताप वैदिक का ब्लॉग: कश्मीर पर बंटे विपक्षी दल

By वेद प्रताप वैदिक | Published: August 24, 2019 12:03 PM2019-08-24T12:03:51+5:302019-08-24T12:03:51+5:30

द्रमुक और कांग्रेस ने दिल्ली में सरकार के विरोध में जो विपक्ष का प्रदर्शन रखा था, उसमें आप, बसपा और राकांपा तो दिखाई ही नहीं पड़ी और तृणमूल कांग्रेस और द्रमुक ने कश्मीर के सिर्फ मानव अधिकारों के दमन का मुद्दा उठाया.

Vedapratap Vedic's blog: Opposition parties divided on Kashmir | वेदप्रताप वैदिक का ब्लॉग: कश्मीर पर बंटे विपक्षी दल

वेदप्रताप वैदिक का ब्लॉग: कश्मीर पर बंटे विपक्षी दल

 कश्मीर के सवाल पर विरोधी दल आपस में बंटे हुए हैं. कुछ दल कह रहे हैं कि कश्मीरियों पर लगे प्रतिबंध हटाओ. कुछ धारा 370 और 35 ए को हटाने का भी विरोध कर रहे हैं. और कुछ विरोधी दल ऐसे हैं, जो यूं तो पानी पी-पीकर भाजपा को कोसते रहते हैं लेकिन कश्मीर के मामले पर मौन धारण किए हुए हैं. जैसे आप, बसपा और राकांपा. कांग्रेस की तो मजबूरी है. उसमें गुलाम नबी आजाद जैसा- कश्मीरी, पार्टी का बड़ा नेता है. उन्होंने संसद में पहले दिन जो बोल दिया, अब कांग्रेस उसे वापस कैसे ले सकती है, हालांकि कांग्रेस के ही कई प्रमुख नेताओं ने सरकार के कश्मीर-कदम की तारीफ कर दी है. 

द्रमुक और कांग्रेस ने दिल्ली में सरकार के विरोध में जो विपक्ष का प्रदर्शन रखा था, उसमें आप, बसपा और राकांपा तो दिखाई ही नहीं पड़ी और तृणमूल कांग्रेस और द्रमुक ने कश्मीर के सिर्फ मानव अधिकारों के दमन का मुद्दा उठाया. वामपंथी पार्टियां और सपा के नेता कश्मीर में हुई कार्रवाई को सांप्रदायिक रंग में रंगने की कोशिश करते रहे. क्या वे नहीं जानते कि भारत के औसत मुसलमान कश्मीर को धर्म का मुद्दा नहीं मानते. इसे वे कश्मीरियत का मुद्दा मानते हैं. यदि कश्मीरियों के साथ उनका एकात्म होता तो वे पिछले 15-16 दिन में सारे हिंदुस्तान को सिर पर उठा लेते, क्योंकि प्रतिबंध तो सिर्फ जम्मू-कश्मीर में है. 

जहां तक विरोधी दलों द्वारा कश्मीरी पार्टियों के गिरफ्तार नेताओं के पक्ष में दिए जा रहे बयानों का सवाल है, मैं उनका तहे-दिल से स्वागत करता हूं, क्योंकि इसके कई फायदे हैं. एक तो यह कि ये सब बयान गिरफ्तार नेताओं के घावों पर मरहम लगाएंगे. उन्हें लगेगा कि भारत में हमारे लिए बोलनेवाले लोग भी हैं.

दूसरा, सरकार के विरोध या कश्मीरी नेताओं के समर्थन की यह आवाज भारतीय लोकतंत्न के स्वस्थ होने का संकेत देती है. तीसरा, कश्मीर की जनता भी सोचेगी कि भारत में हमारे दुख-दर्द को समझनेवाले लोग हैं. चौथा, पाकिस्तानी मीडिया इन सरकार-विरोधी बयानों का प्रचार जमकर करता है. इससे अंतर्राष्ट्रीय जगत में भारत की छवि बिगड़ने से बची रहती है. यह आरोप अपने आप में खारिज हो जाता है कि भारत में तानाशाही, फासीवाद और वंशवाद का बोलबाला हो गया है.

Web Title: Vedapratap Vedic's blog: Opposition parties divided on Kashmir

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