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वेदप्रताप वैदिक का ब्लॉग: सऊदी अरब से बढ़ती करीबी

By वेद प्रताप वैदिक | Updated: November 1, 2019 06:04 IST

भारत के प्रधानमंत्नी को ही उद्घाटन-भाषण के लिए आमंत्रित किया गया. कई महत्वपूर्ण देशों ने इस सम्मेलन की उपेक्षा की लेकिन भारत और सऊदी अरब एक-दूसरे के बहुत नजदीक आ गए. अब सऊदी अरब भारत में लगभग 100 अरब डॉलर की पूंजी लगाना चाहता है. इस समय भारत-सऊदी व्यापार 27.5 अरब डॉलर का है.

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प्रधानमंत्नी नरेंद्र मोदी की यह सऊदी अरब यात्ना कई दृष्टियों से अत्यंत महत्वपूर्ण है. पहली बात तो यह है कि मोदी एक ऐसी पार्टी के प्रधानमंत्नी हैं, जो हिंदुत्ववादी मानी जाती है. ऐसी पार्टी का नेता कहां जा रहा है? ऐसे देश में जा रहा है, जो सारी दुनिया के मुसलमानों का सिरमौर है. उस देश ने अपना सर्वोच्च सम्मान भी मोदी को दिया था. यह मामूली घटना नहीं है. यहदो देशों की घनिष्ठता भर नहीं है. यह दो परस्पर विचारधाराओं और जीवन-पद्धतियों का सजीव संवाद है. यह पूरे विश्व के लिए एक नया संवाद है.

जिस सऊदी अरब ने भारत के स्पष्ट समर्थन में कभी मुंह तक नहीं खोला और जो मौके-बेमौके भारत का कई मुद्दों पर खुलकर विरोध भी करता रहा, आज कश्मीर के सवाल पर वह पूरी तरह भारत के साथ है. इस कारण पाकिस्तान का मनोबल तो गिरा ही है. सिर्फ मलेशिया और तुर्की के अलावा पाकिस्तान का किसी भी इस्लामी देश ने समर्थन नहीं किया. अंतर्राष्ट्रीय इस्लामी संगठन पर भी सऊदी रवैये का गहरा प्रभाव पड़ा है. सऊदी अरब के इस अंतर्राष्ट्रीय वित्तीय विनियोग सम्मेलन में भारत का स्थान सर्वोच्च था. 

भारत के प्रधानमंत्नी को ही उद्घाटन-भाषण के लिए आमंत्रित किया गया. कई महत्वपूर्ण देशों ने इस सम्मेलन की उपेक्षा की लेकिन भारत और सऊदी अरब एक-दूसरे के बहुत नजदीक आ गए. अब सऊदी अरब भारत में लगभग 100 अरब डॉलर की पूंजी लगाना चाहता है. इस समय भारत-सऊदी व्यापार 27.5 अरब डॉलर का है. भारत का आयात 22 अरब का है और निर्यात सिर्फ 5.5 अरब डॉलर का है. 

अब वह निर्यात बढ़ेगा. भारत के 22 लाख नागरिक सऊदी में कार्यरत हैं. सऊदी अरब के युवराज मुहम्मद बिन सलमान जिस तरह से कट्टरपंथियों से पिंड छुड़ा रहे हैं और इस्लाम को एक नए और आधुनिक सांचे में ढाल रहे हैं, भारत की ओर से उन्हें प्रोत्साहित किया जाना चाहिए. वे कुल आठ देशों के साथ ‘सामरिक सहकार’ के समझौते कर रहे हैं, जिनमें भारत प्रमुख है. क्या यह कम बड़ी बात है ? कोई आश्चर्य नहीं कि सऊदी अरब का यह नीतिगत परिवर्तन भारत के प्रति अन्य इस्लामी देशों का आकर्षण भी बढ़ाएगा.

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