वेदप्रताप वैदिक का ब्लॉगः मजहबी सद्भाव की मिसाल
By वेद प्रताप वैदिक | Updated: July 11, 2019 11:48 IST2019-07-11T11:48:34+5:302019-07-11T11:48:34+5:30
सांप्रदायिक सद्भाव की अदभुत मिसाल कल दिल्ली में देखने को मिली. ऐसा परस्पर व्यवहार सभी मजहबों और संप्रदायों के लोग आपस में करें तो भारत ही नहीं, सारे दक्षिण एशिया में एक नई सुबह का उदय हो जाए.

वेदप्रताप वैदिक का ब्लॉगः मजहबी सद्भाव की मिसाल
सांप्रदायिक सद्भाव की अदभुत मिसाल कल दिल्ली में देखने को मिली. ऐसा परस्पर व्यवहार सभी मजहबों और संप्रदायों के लोग आपस में करें तो भारत ही नहीं, सारे दक्षिण एशिया में एक नई सुबह का उदय हो जाए. यह किस्सा है पुरानी दिल्ली के हौज काजी इलाके का. इसके नाम से ही आप समझ गए होंगे कि यह मुसलमानों की बहुतायत वाला मोहल्ला है. यहां दुर्गामाता का एक मंदिर है. उसकी मूर्तियों को 30 जून को कुछ लोगों ने तोड़ दिया था. ऐसा होने पर अक्सर दंगा हो जाता है. कई लोग हताहत हो जाते हैं. आपस में बैर बंध जाता है.
नेता लोग अपनी राजनीतिक शतरंज बिछाकर तरह-तरह के दांव मारने लगते हैं लेकिन हौज काजी के हिंदू और मुसलमान बाशिंदों ने कमाल कर दिया. उन्होंने आपस में कटुता फैलाने और खून बहाने के बजाय प्रेम और सद्भाव की सरिता बहा दी. विश्व हिंदू परिषद तथा अन्य हिंदू संस्थाओं ने मूर्तियों की दुबारा प्राण-प्रतिष्ठा की और कल एक विशाल जुलूस निकाला. इसके आयोजन में विजय गोयल, श्याम जाजू और पूनम महाजन ने विशेष भूमिका निभाई.
ये तीनों भाजपा के प्रतिष्ठित नेता हैं. भाजपा को कट्टर हिंदुत्ववादी, सांप्रदायिक और संकीर्ण कहा जाता है लेकिन देखिए कि वहां कैसा अजूबा हुआ. दस हजार हिंदुओं के उस जुलूस को उस मोहल्ले के मुसलमानों ने खाना खिलाया और उनकी मेहमाननवाजी की. मुसलमानों के हाथ का खाना खाते हुए हिंदुओं के जो फोटो छपे हैं, उन्हें देखकर कौन हर्षित नहीं होगा.
यह अजूबा तो शांतिपूर्ण ढंग से संपन्न हो गया लेकिन इसके कारण सारा दिल्ली प्रशासन बेहद मुस्तैद था. यह कार्यक्र म ठीक से संपन्न हो जाए, इसलिए 2000 से भी ज्यादा पुलिस और अर्ध-सैनिक जवान तैनात किए गए थे. यदि यह तौर-तरीका हम भारतीयों के स्वभाव का हिस्सा बन जाए, यानी हम सभी के पूजा-स्थल का सम्मान करने लगें तो प्रशासन को ये सब कवायद करने की जरूरत ही क्यों पड़ेगी