लाइव न्यूज़ :

वेदप्रताप वैदिक का ब्लॉग: सरकार और आंदोलन कर रहे किसान जरूर बातचीत करें

By वेद प्रताप वैदिक | Updated: May 27, 2021 17:01 IST

इस समय सरकार का पूरा ध्यान कोरोना-युद्ध में लगा हुआ है लेकिन उसका यह कर्तव्य है कि वह किसान-नेताओं की बात भी ध्यान से सुने और जल्दी सुने.

Open in App

किसान आंदोलन को चलते हुए छह महीने पूरे हो गए हैं. ऐसा लगता था कि शाहीन बाग आंदोलन की तरह यह भी कोरोना के रेले में बह जाएगा लेकिन पंजाब, हरियाणा और पश्चिम उत्तरप्रदेश के किसानों का हौसला है कि अब तक वे अपनी टेक पर टिके हुए हैं. उन्होंने आंदोलन के छह महीने पूरे होने पर विरोध-दिवस आयोजित किया है. 

हालांकि अभी तक जो खबरें आई हैं, उनसे ऐसा लगता है कि यह आंदोलन सिर्फ ढाई प्रांतों में सिकुड़कर रह गया है, पंजाब, हरियाणा और आधा उत्तरप्रदेश. इन प्रदेशों के भी सारे किसानों में यह फैल पाया है नहीं, यह भी नहीं कहा जा सकता. यह आंदोलन चौधरी चरण सिंह के प्रदर्शन के मुकाबले भी फीका ही रहा है. 

उनके आह्वान पर दिल्ली में लाखों किसान इंडिया गेट पर जमा हो गए थे. दूसरे शब्दों में, शक पैदा होता है कि यह आंदोलन सिर्फ समृद्ध किसानों तक ही तो सीमित नहीं है?

यह आंदोलन जिन तीन नए कृषि-कानूनों का विरोध कर रहा है, यदि देश के सारे किसान उसके साथ होते तो अभी तक सरकार घुटने टेक चुकी होती. लेकिन सरकार ने काफी संयम से काम लिया है. उसने किसान-नेताओं से कई बार खुलकर बात की है. अभी भी उसने बातचीत के दरवाजे बंद नहीं किए हैं.

किसान नेताओं को अपनी मांगों के लिए आंदोलन करने का पूरा अधिकार है लेकिन आज उन्होंने जिस तरह से छोटे-मोटे विरोध-प्रदर्शन किए हैं, उनमें कोरोना की सख्तियों का उल्लंघन हुआ है. सैकड़ों लोगों ने न तो शारीरिक दूरी रखी और न ही मुखपट्टी लगाई. पिछले कई हफ्तों से वे गांवों और कस्बों के रास्तों पर भी कब्जा किए हुए हैं. 

इसलिए आम जनता की सहानुभूति भी उनके साथ कम होती जा रही है. कई प्रदर्शनकारी किसान पहले भयंकर ठंड में अपने प्राण गंवा चुके हैं और अब गर्मी में कई लोग बेहाल हो रहे हैं. किसानों को उकसाने वाले हमारे नेताओं को किसानों की जिंदगी से कुछ लेना-देना नहीं है. 

सरकार का पूरा ध्यान कोरोना-युद्ध में लगा हुआ है लेकिन उसका यह कर्तव्य है कि वह किसान-नेताओं की बात भी ध्यान से सुने और जल्दी सुने. देश के किसानों ने इस वर्ष अपूर्व उपज पैदा की है, जबकि शेष सारे उद्योग-धंधे ठप पड़े हुए हैं. सरकार और किसान नेताओं के बीच संवाद फिर से शुरू करने का यह सही वक्त है.

टॅग्स :किसान आंदोलनfarmers protest
Open in App

संबंधित खबरें

भारतNagpur Farmers Protest: आओ बनाएं आंदोलन को जन आंदोलन!

भारतMaharashtra Farmers Protest: आंदोलन के स्वरूप को लेकर सहमति बननी चाहिए, हजारों वाहन 30 घंटे से ज्यादा फंसे

भारतमहाराष्ट्र विधानमंडलः किसानों को आसानी से मिला कर्ज लौटाएगा कौन?, 18.81 करोड़ किसान पर 3235747 करोड़ रुपए का कर्ज

कारोबारLatur Maharashtra Farmer Couple: किसानों की त्रासदी का जिम्मेदार कौन?, खुद बैल बन गए!

भारतसंयुक्त किसान मोर्चा ने किसानों से 28 मार्च को देशभर में विरोध-प्रदर्शन करने का आह्वान किया

भारत अधिक खबरें

भारतGujarat: एसआईआर के बाद गुजरात की ड्राफ्ट वोटर लिस्ट जारी, 73.7 लाख वोटर्स के नाम हटाए गए

भारतबृहन्मुंबई महानगरपालिका 2026ः सभी 227 सीट पर चुनाव, 21 उम्मीदवारों की पहली सूची, देखिए पूरी सूची

भारतWeather Report 20 December: मौसम विभाग ने इन राज्यों में घने कोहरे के लिए रेड और येलो अलर्ट जारी किया

भारतहरियाणा सरकार पर जनता का नॉन-स्टॉप भरोसा, मुख्यमंत्री

भारतमध्य प्रदेश: '2047 तक प्रदेश की इकोनॉमी 2.5 ट्रिलियन डॉलर होगी', मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव ने विधानसभा के विशेष सत्र को किया संबोधित