अरविंद कुमार सिंह का ब्लॉगः पीपीपी के जरिये बनेगी नए भारत की नई रेल 

By लोकमत समाचार ब्यूरो | Updated: July 7, 2019 10:12 IST2019-07-07T10:12:22+5:302019-07-07T10:12:22+5:30

आर्थिक समीक्षा 2018-19 में रेल दुर्घटनाओं में आई अप्रत्याशित गिरावट को रेखांकित करते हुए माल ढुलाई राजस्व में 5.33 फीसदी की बढ़ोत्तरी के साथ कई उपलब्धियों का बयान किया गया था. भारतीय रेल ने 2018-19 के दौरान सुरक्षा और संरक्षा के मामले में उल्लेखनीय प्रगति की जिससे ट्रेनों के टकराने के मामले शून्य हो गए और रेलगाड़ियों के बेपटरी होने की घटनाओं में भी कमी आई. 

union budget 2019: New railways will be built through PPP | अरविंद कुमार सिंह का ब्लॉगः पीपीपी के जरिये बनेगी नए भारत की नई रेल 

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अरविंद कुमार सिंह

आम बजट 2019-20 में केंद्रीय वित्त मंत्नी निर्मला सीतारमण ने साफ संकेत दिया है कि भारतीय रेल गंभीर चुनौतियों से जूझ रही है. इसे सक्षम बनाने के लिए 2030 तक 50 लाख करोड़ रुपए के निवेश की दरकार होगी. मौजूदा संसाधनों की गति से इन परियोजनाओं को पूरा करने में दशकों लग जाएंगे. इस नाते रेल लाइनों को बनाने से लेकर, रोलिंग स्टाक और यात्नी और माल भाड़ा सेवा में पीपीपी या सार्वजनिक निजी भागीदारी की दरकार होगी. वहीं उपनगरीय रेलों के विकास के लिए स्पेशल पर्पज व्हीकल (एसवीपी) के प्रस्ताव के साथ वित्त मंत्नी ने परिवहन के समन्वित विकास की दिशा में जो संकेत दिया है, उससे साफ है कि परिवहन के केंद्रीय ढांचे में अब रेलवे की पहले जैसी हैसियत नहीं रही.

आर्थिक समीक्षा 2018-19 में रेल दुर्घटनाओं में आई अप्रत्याशित गिरावट को रेखांकित करते हुए माल ढुलाई राजस्व में 5.33 फीसदी की बढ़ोत्तरी के साथ कई उपलब्धियों का बयान किया गया था. भारतीय रेल ने 2018-19 के दौरान सुरक्षा और संरक्षा के मामले में उल्लेखनीय प्रगति की जिससे ट्रेनों के टकराने के मामले शून्य हो गए और रेलगाड़ियों के बेपटरी होने की घटनाओं में भी कमी आई. 

रेलवे ने 2018-19 में 1159.55 मिलियन टन माल ढुलाई की, जो पहले की तुलना में 61.84 मिलियन टन अधिक है. लेकिन वर्ष 2017-18 में 2016-17 की तुलना में रेल यात्रियों की संख्या महज 2.09  फीसदी बढ़ी. साथ ही रेलगाड़ियों और रेल परिसरों में स्वच्छता की तस्वीर बेहतर हुई. रेलवे 2021-22 तक सारी बड़ी लाइन पर सौ फीसदी यानी 38 हजार किमी विद्युतीकरण करके डीजल पर निर्भरता कम करेगी. अभी हमारे पास 35,488 किमी विद्युतीकृत रेलमार्ग है जो 64.50 फीसदी माल और 53.70 फीसदी यात्नी यातायात की ढुलाई करता है.

बीते सालों में बड़ी लाइनों वाले रेल नेटवर्क से मानवरहित लेवल क्रासिंग समाप्त करने के साथ रेलवे ने तमाम काम किया है. लेकिन समग्र रूप से रेलवे जिस तरह से चरमरा रही है और दबावों से जूझ रही है, उस लिहाज से भविष्य की ठोस योजना और दिशा नजर नहीं आ रही है.

बजट पेश करते समय वित्त मंत्नी ने रेलवे परियोजनाओं के वित्त पोषण के लिए पीपीपी के प्रस्ताव के साथ समन्वित परिवहन ढांचे पर भी जोर दिया. लेकिन बीते सालों में इस दिशा में खास काम नहीं हो पाया. फिर भी सारे रेल नेटवर्क को विद्युतीकृत करने की दिशा में आगे बढ़ना रेलवे के लिए फायदेमंद हो सकता है. इस पर 32,591 करोड़ रुपए का भारी व्यय होना है. लेकिन जब सभी गाड़ियां बिजली से चलने लगेंगी तो ईंधन बिल में सालाना 13,510 करोड़ की बचत होगी.

इसमें कोई संदेह नहीं है कि कई क्षेत्नों में रेलवे में सुधार दिख रहे हैं लेकिन सामाजिक सेवा दायित्व और लागत बढ़ते रहना चिंताजनक बना हुआ है. फिर भी रेल मंत्नालय ने 2015-16 में रेलवे में बुनियादी ढांचे के विकास के लिए पांच साल में 8.56 लाख करोड़ रु पए के निवेश की योजना बना कर जो प्राथमिकताएं तय कीं, उसका कुछ अच्छा असर हुआ है. 

Web Title: union budget 2019: New railways will be built through PPP

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