ब्लॉग: इतनी तरक्की फिर भी भूकंप की सटीक भविष्यवाणी करना अभी संभव नहीं

By लोकमत समाचार सम्पादकीय | Published: February 8, 2023 03:37 PM2023-02-08T15:37:04+5:302023-02-08T15:37:04+5:30

तुर्की तथा सीरिया की मदद के लिए पूरी दुनिया आगे आई है. भारत ने अभूतपूर्व मानवता का परिचय दिया. तुर्की के भारत विरोधी रवैये के बावजूद भारत ने सबसे पहले तुर्की की ओर सहायता का हाथ बढ़ाया है.

Turkey Syria earthquake, still science unable to predict earthquakes | ब्लॉग: इतनी तरक्की फिर भी भूकंप की सटीक भविष्यवाणी करना अभी संभव नहीं

ब्लॉग: इतनी तरक्की फिर भी भूकंप की सटीक भविष्यवाणी करना अभी संभव नहीं

तुर्की और सीरिया में सोमवार को आया विनाशकारी भूकंप मानव इतिहास की भीषणतम प्राकृतिक आपदाओं में से एक है. जान-माल की हानि की जो जानकारियां सामने आ रही हैं वे प्रारंभिक स्तर की हैं और बेहद भयावह हैं. जैसे-जैसे राहत कार्य तेज होता जाएगा, ज्यादा भयावह तस्वीर सामने आना निश्चित है. भूकंप से लेबनान, जार्डन और इजराइल भी प्रभावित हुए हैं लेकिन सबसे ज्यादा नुकसान तुर्की (तुर्कीए) और सीरिया में हुआ है. 

विशेषज्ञों एवं राहत कार्यों में जुड़े संगठनों का अनुमान है कि मृतकों की संख्या 20 हजार तक पहुंच जाए तो आश्चर्य नहीं होना चाहिए. घायलों की संख्या भी एक लाख से अधिक हो सकती है. तुर्की और सीरिया में हजारों भवन ध्वस्त हो चुके हैं. भूकंप से इमारतें ताश के पत्तों की तरह ढह गईं और उनमें रहने वाले हजारों लोग नींद में ही मौत के आगोश में चले गए. 

तुर्की और सीरिया पर प्रकृति की दोहरी मार पड़ी है. दोनों ही देश भीषण ठंड तथा बारिश से जूझ रहे हैं. इसके अलावा सीरिया तो वर्षों से मानवजनित आपदा का सामना कर रहा है. सीरिया के जिस इलाके में विनाशकारी भूकंप आया, वह गृहयुद्ध से ग्रस्त है. आधे इलाके पर सेना तथा आधे पर विद्रोहियों का कब्जा है. लाखों लोग विस्थापित-सा जीवन व्यतीत कर रहे हैं. 

ऐसे में भूकंप ने उन पर कहर बरपाया है. तुर्की में सीरिया के 40 लाख शरणार्थी हैं. गृहयुद्ध से बचने के लिए उन्होंने तुर्की में शरण ली और भूकंप ने उन्हें तबाह कर दिया. विनाशकारी भूकंप का इतिहास मानव इतिहास में हजारों वर्ष पुराना है. पहले विज्ञान ने इतनी तरक्की नहीं की थी. अत: भूकंप या अन्य किसी प्रकार की प्राकृतिक आपदा की भविष्यवाणी करना असंभव था मगर आज विज्ञान के इतनी तरक्की कर लेने के बावजूद प्रकृति के मिजाज को भांपने में मानव ज्यादा समर्थ नहीं हो पाया है. 

दुनिया के कई हिस्सों को भूकंप के लिहाज से बेहद संवेदनशील समझा जाता है. मगर विज्ञान के इतना विकसित हो जाने के बावजूद यह अनुमान लगा पाना असंभव है कि भूकंप कहां और कब आएगा तथा कितनी तीव्रता का होगा. भूकंप तथा प्राकृतिक आपदाओं की सटीक भविष्यवाणी करने के लिए वैज्ञानिक लगातार शोध कर रहे हैं. 

इसके फलस्वरूप चक्रवाती तूफान, समुद्री तूफान, वर्षा, हिमस्खलन जैसी आपदाओं की भविष्यवाणी करने में उन्हें सफलता मिलने लगी है. इससे जान-माल का भारी नुकसान टलने लगा है. भारत में हाल ही में पं.बंगाल, ओडिशा, तमिलनाडु आदि राज्यों में चक्रवाती तूफान की मौसम वैज्ञानिकों ने एकदम सही भविष्यवाणी की थी. 

इससे लोगों को सुरक्षित स्थान पर पहुंचा दिया गया और प्राणहानि नहीं हुई. भूकंप के मामले में ऐसा नहीं है. तुर्की तथा सीरिया की मदद के लिए पूरी दुनिया आगे आई है. भारत ने अभूतपूर्व मानवता का परिचय दिया. कश्मीर जैसे कई मसलों पर तुर्की के भारत विरोधी रवैये के बावजूद भारत ने सबसे पहले तुर्की की ओर सहायता का हाथ बढ़ाया है. इसके विपरीत पाकिस्तान खामोश बैठा है. मदद करने की स्थिति में वह है ही नहीं. 

तुर्की की समस्या बढ़ाने के लिए पाकिस्तानी प्रधानमंत्री शाहबाज शरीफ भूकंपग्रस्त देश में जाने की घोषणा कर रहे हैं. तुर्की और सीरिया को इस वक्त किसी राष्ट्र प्रमुख की यात्रा की नहीं बल्कि आर्थिक, चिकित्सकीय एवं खाद्य सहायता की सबसे ज्यादा जरूरत है. तुर्की और सीरिया इस वक्त आर्थिक संकट से जूझ रहे हैं. 

अंतरराष्ट्रीय तथा घरेलू कारणों से दोनों देशों की अर्थव्यवस्था लड़खड़ा रही है. भूकंप के कारण इन दोनों देशों की कमर टूट गई है. दुनिया भर से उन्हें तात्कालिक सहायता मिल रही है मगर भूकंप के कारण तबाह अर्थव्यवस्था को पटरी पर लाने में उन्हें लंबा समय लग जाएगा.

Web Title: Turkey Syria earthquake, still science unable to predict earthquakes

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