ब्लॉग: वर्ल्ड हैप्पीनेस इंडेक्स के पीछे का सच
By अवधेश कुमार | Published: April 8, 2023 10:17 AM2023-04-08T10:17:31+5:302023-04-08T10:24:31+5:30
इस एनजीओ को संयुक्त राष्ट्र का समर्थन है और इस कारण यह वैश्विक रिपोर्ट हो गई।
भारत वर्ल्ड हैप्पीनेस इंडेक्स रिपोर्ट में भी 136 देशों में 126 वें स्थान पर खड़ा कर दिया गया। पिछले वर्ष हमने ग्लोबल हंगर इंडेक्स रिपोर्ट देखी जिसमें भारत को 122 देशों में 107 वें स्थान पर रखा गया था।
भूख सूचकांक में भारत को इथोपिया, उत्तर कोरिया, सूडान, रवांडा, नाइजीरिया, कांगो आदि देशों से भी पीछे मान लिया गया था। इस रिपोर्ट में भी भारत को इराक, बुर्किना फासो, म्यांमार, बांग्लादेश, पाकिस्तान, श्रीलंका, फिलिस्तीन और नेपाल जैसे देशों से भी पीछे बताया गया है, यानी ये देश हमसे ज्यादा खुश हैं!
समझने की जरूरत है कि आखिर ऐसी रिपोर्ट कैसे तैयार होती है और इसके पीछे हैं कौन? इस रिपोर्ट को एक एनजीओ ने तैयार किया है जिसका नाम है सस्टेनेबल डेवलपमेंट सॉल्यूशंस नेटवर्क।
इस एनजीओ को संयुक्त राष्ट्र का समर्थन है और इस कारण यह वैश्विक रिपोर्ट हो गई। आखिर इस संस्था ने किस पैमाने पर प्रसन्नता का सूचकांक तैयार किया है? क्या इनके लोगों ने विश्व भर में घूम-घूमकर सभी देशों के लोगों से पूछा है कि आप खुश हैं या नहीं और हैं तो कितने? किस आधार पर खुश हैं? इसका उत्तर है नहीं।
इस एनजीओ ने रिपोर्ट का आधार गैलप वर्ल्ड पोल को बनाया है। क्या गैलप ने इस तरह प्रश्न पूछकर सर्वेक्षण किया है? इसका भी उत्तर है नहीं। रिपोर्ट तैयार करने में छह कारकों पर विचार करने की बात कही गई है।
इसमें आय, स्वस्थ जीवन की अनुमानित उम्र, सामाजिक सहयोग, स्वतंत्रता, विश्वास और उदारता शामिल हैं। इसमें लोगों से पूछा गया कि वे अपने जीवन में किस मुकाम पर रहना चाहते हैं और आज भी कहां हैं? यानी जहां वह होना चाहते हैं, उसकी तुलना में अगर वर्तमान स्थिति देखें तो वह अपने को कहां पाते हैं।
इसके लिए एक से 10 तक का नंबर है। इसमें कोई व्यक्ति अगर स्वयं को कम नंबर देता है तो इसका मतलब माना गया कि वह देश खुश नहीं है। यानी हमने अगर कोई अपने लिए लक्ष्य बनाया, उस स्थान पर नहीं गए तो इसका मतलब मैं खुश नहीं हूं।
इस सर्वेक्षण में हर देश के 500 से 2000 लोगों से सवाल पूछे गए. इसका अर्थ यही हुआ कि 2000 लोगों द्वारा कही गई बातों के आधार पर आपने बता दिया कि कौन से देश खुश हैं।
भारत की आबादी 1 अरब 35 करोड़ से ज्यादा है। इसमें आपने 2000 लोगों से प्रश्न पूछ कर कि वे जहां रहना चाहते थे वहां आज नहीं हैं और निष्कर्ष निकाल लिया कि भारत सामूहिक रूप से नाखुशी वाला देश है।