जल संरक्षण में राज्य के गंभीर प्रयास रंग लाए
By लोकमत समाचार ब्यूरो | Updated: November 13, 2025 07:23 IST2025-11-13T07:22:04+5:302025-11-13T07:23:11+5:30
राज्य सरकार ने 2005 में जल संसाधनों के प्रबंधन के लिए किसान अधिनियम और सिंचाई प्रणालियों के प्रबंधन अधिनियम जैसे महत्वपूर्ण कानूनी उपाय भी किए हैं.

जल संरक्षण में राज्य के गंभीर प्रयास रंग लाए
ऐसे समय में, जबकि देश ही नहीं पूरी दुनिया में स्वच्छ जल का संकट दिनोंदिन गहराता जा रहा है, राष्ट्रीय जल पुरस्कार में महाराष्ट्र का बाजी मारना एक बहुत ही सुखद खबर है. वर्ष 2024 के लिए छठे राष्ट्रीय जल पुरस्कारों में सर्वश्रेष्ठ राज्य श्रेणी में महाराष्ट्र अग्रणी रहा है, जिसके बाद गुजरात दूसरे और हरियाणा तीसरे पायदान पर हैं. पुरस्कार की दस श्रेणियों में 46 विजेताओं को राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मु आगामी 18 नवंबर को सम्मानित करेंगी.
केंद्रीय जल आयोग और केंद्रीय भूजल बोर्ड ने जमीनी स्तर पर होने वाले काम का जायजा लेने के बाद रिपोर्ट बनाई थी और इसी आधार पर निर्णायक मंडल द्वारा आवेदनों का मूल्यांकन करने के बाद विजेताओं का चयन किया गया. इसका मकसद जल संरक्षण के बारे में जागरूकता बढ़ाना और सरकार के ‘जल समृद्ध भारत’ दृष्टिकोण के अनुरूप जमीनी स्तर के प्रयासों को उजागर करना है. दुनिया में इन दिनों गहराते जल संकट का अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है कि विश्व स्वास्थ्य संगठन के अनुसार, विश्व में 70.3 करोड़ से अधिक लोग स्वच्छ जल से वंचित हैं और 2.2 अरब लोगों के पास सुरक्षित पेयजल की सुविधा नहीं है.
अनुमान है कि 2030 तक तीव्र जल संकट के कारण लगभग 70 करोड़ लोग विस्थापित हो सकते हैं. भारत में बढ़ते जल संकट की गंभीरता को इस तथ्य से समझ सकते हैं कि देश में प्रति व्यक्ति जल उपलब्धता 2021 में 1,486 घन मीटर थी, जो 2050 तक घटकर 1,140 घन मीटर रह जाने का अनुमान है. नीति आयोग के अनुसार, वर्तमान में लगभग 60 करोड़ भारतीय गंभीर जल संकट का सामना कर रहे हैं और 2030 तक भारत में पानी की मांग आपूर्ति की दोगुनी होने की संभावना है.
जाहिर है कि ऐसे परिदृश्य में जल संरक्षण को शिद्दत से बढ़ावा दिए जाने की जरूरत है और राष्ट्रीय जल पुरस्कारों के माध्यम से सरकार यही करने की कोशिश कर रही है. जहां तक महाराष्ट्र का सवाल है तो राज्य सरकार ने जल संरक्षण के लिए कई उपाय किए हैं, जैसे जलयुक्त शिवार अभियान के तहत जल संचयन संरचनाओं का नवीनीकरण और निर्माण, जल जीवन मिशन के तहत हर घर में नल कनेक्शन देना और युवा व सामुदायिक भागीदारी के साथ जागरूकता अभियान चलाना.
नवी मुंबई नगर निगम को भी जल संरक्षण और सामुदायिक भागीदारी पर आधारित कार्यक्रमों के लिए व्यापक सराहना मिली है, जो राज्य की समग्र उपलब्धि का हिस्सा है. राज्य का जलयुक्त शिवार अभियान 2.0 नालों और जलाशयों की गाद निकालकर और पुराने जलमार्गों को पुनर्जीवित करके जल संग्रहण क्षमता बढ़ाता है, जिससे किसानों को लाभ होता है और बाढ़ का खतरा भी कम होता है.
यूनिसेफ के सहयोग से ‘युवा सहभागिता एवं जल संरक्षण’ जैसे कार्यक्रम चलाए जा रहे हैं, जो कॉलेज के युवाओं को जल संरक्षण के लिए प्रेरित करते हैं. राज्य सरकार ने 2005 में जल संसाधनों के प्रबंधन के लिए किसान अधिनियम और सिंचाई प्रणालियों के प्रबंधन अधिनियम जैसे महत्वपूर्ण कानूनी उपाय भी किए हैं. राष्ट्रीय जल पुरस्कार में प्रथम स्थान मिलने से राज्य सरकार के जल संरक्षण के उपाय रेखांकित हुए हैं और उम्मीद है कि अन्य राज्य भी जल संरक्षण के इन उपायों से प्रेरणा लेंगे.