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प्रवीण दीक्षित का ब्लॉग: 75 वर्षों में देश ने हासिल की हैं उल्लेखनीय उपलब्धियां

By प्रवीण दीक्षित | Published: August 15, 2022 11:35 AM

केंद्र, राज्य और स्थानीय स्तर पर लोकतांत्रिक रूप से चुने गए जनप्रतिनिधियों ने इन प्रतिकूल परिस्थितियों पर साहसपूर्वक विजय प्राप्त की। कई भारतीय दूसरे देशों में चले गए, सफलता के गुर सीखे और इनमें से कुछ भारत लौट आए। अगले बीस वर्षों तक, इन व्यक्तियों ने भारत को विश्व स्तर पर प्रतिस्पर्धी बनाने के लिए जो सीखा था, उस पर अमल किया। लेकिन वर्ष 2000 के बाद भारत हर क्षेत्र में जबरदस्त तरक्की कर रहा है।

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ठळक मुद्देडिजिटल भुगतान जैसी योजनाओं का विकसित दुनिया ने भी लोहा माना है।भारतीय शैक्षिक, वैज्ञानिक, तकनीकी, कानूनी, अनुसंधान, प्रशासन, प्रबंधन और शैक्षणिक संस्थान वैश्विक मानकों पर खरे हैं।पिछले एक साल में ही नारकोटिक्स ब्यूरो ऑफ इंडिया द्वारा तीस हजार किलोग्राम से अधिक हेरोइन जब्त की गई है। 

जय हिंद! आजादी के अमृत महोत्सव के पावन दिन पर सभी माताओं, बहनों, बुजुर्ग, बंधु व मेरे प्यारे तरुण मित्रों, आप सबको स्वतंत्रता दिवस की हार्दिक शुभकामनाएं।

स्वतंत्रता दिवस हमारी विफलताओं की समीक्षा करने और पिछले 75 वर्षों में भारत द्वारा की गई प्रगति की जांच करने के लिए आत्मनिरीक्षण का दिन है। जिस दिन से भारत स्वतंत्र हुआ, भारत के दुर्भावनापूर्ण पड़ोसियों द्वारा बिना किसी स्पष्ट कारण के बार-बार युद्ध भारत पर थोपे गए। इतना ही नहीं बल्कि इन विरोधी शक्तियों द्वारा भारत के भीतरी इलाकों में जम्मू-कश्मीर, पूर्वोत्तर भारत और दंडकारण्य क्षेत्र सहित विभिन्न हिस्सों में विद्रोह फैलाने का प्रयास किया गया था। 

अपने नापाक प्रयासों में विफल होने के बाद, भारत को अस्थिर करने के लिए तटीय क्षेत्रों, जमीनी सीमाओं के साथ-साथ पहाड़ी क्षेत्रों से बार-बार आतंकवादी हमलों के माध्यम से भारत के खिलाफ छद्म युद्ध शुरू किया गया है। इन तत्वों द्वारा भड़काए गए सांप्रदायिक दंगों के कारण कई बहुमूल्य जानें चली गईं। इन प्रयासों में विफल होने के बाद अब नार्को-आतंकवाद छेड़ दिया गया है। पिछले एक साल में ही नारकोटिक्स ब्यूरो ऑफ इंडिया द्वारा तीस हजार किलोग्राम से अधिक हेरोइन जब्त की गई है। 

भारतीय युवाओं के करियर को नष्ट करने के अलावा, नशीले पदार्थों के माध्यम से उत्पन्न अवैध धन का उपयोग भारत को बर्बाद करने के उद्देश्य से घातक हथियारों की तस्करी के लिए किया जाता है। व्यक्तिगत और संवेदनशील स्थानों पर साइबर हमले लगातार जारी हैं। इसलिए आज का दिन उन सभी को याद करने और सलाम करने का है जो हमारी सीमाओं की रक्षा करते हैं, देश के भीतर हमारी रक्षा करते हैं और हमारे जीवन को सुरक्षित बनाते हैं।

आजादी के बाद के पहले पच्चीस से तीस वर्षों में, इस तरह की अंतरराष्ट्रीय साजिश, हमलों, विकसित दुनिया द्वारा उन्नत तकनीक प्रदान करने से इनकार करने के परिणामस्वरूप भारत में भोजन, पानी, स्वच्छता सहित आवश्यक वस्तुओं, बिजली, शैक्षिक सुविधाओं, रोजगार की भारी कमी देखी गई, प्राकृतिक आपदाओं की निरंतरता बढ़ी और स्वास्थ्य संबंधी खतरे देखे गए। विकास के लिए बुनियादी ढांचा बहुत ही कम था। फिर भी, कई उभरती अर्थव्यवस्थाओं और अन्य दक्षिण एशियाई देशों के विपरीत, भारत का संकल्प और लोकतांत्रिक मूल्यों के प्रति प्रतिबद्धता दृढ़ रही। 

केंद्र, राज्य और स्थानीय स्तर पर लोकतांत्रिक रूप से चुने गए जनप्रतिनिधियों ने इन प्रतिकूल परिस्थितियों पर साहसपूर्वक विजय प्राप्त की। कई भारतीय दूसरे देशों में चले गए, सफलता के गुर सीखे और इनमें से कुछ भारत लौट आए। अगले बीस वर्षों तक, इन व्यक्तियों ने भारत को विश्व स्तर पर प्रतिस्पर्धी बनाने के लिए जो सीखा था, उस पर अमल किया। लेकिन वर्ष 2000 के बाद भारत हर क्षेत्र में जबरदस्त तरक्की कर रहा है। इनमें अंतरिक्ष प्रौद्योगिकी, कृषि उत्पादों, समुद्री और दूध उत्पादों, विनिर्मित वस्तुओं, आईटी सेवाओं, फार्मास्युटिकल जेनेरिक दवाओं, वस्तुओं और सेवाओं का निर्यात, महत्वपूर्ण क्षेत्रों, फिल्मों, खेल और कई अन्य क्षेत्रों में अनुसंधान और तकनीकी नवाचारों में प्रगति उल्लेखनीय है। 

भारतीय शैक्षिक, वैज्ञानिक, तकनीकी, कानूनी, अनुसंधान, प्रशासन, प्रबंधन और शैक्षणिक संस्थान वैश्विक मानकों पर खरे हैं। आज भारत की साक्षरता दर 75 प्रतिशत से ज्यादा है। पिछले आठ वर्षों में मोदी सरकार द्वारा भारत में गरीब लोगों के उत्थान के लिए फिनटेक और अन्य तकनीकी नवाचारों का उपयोग करते हुए कल्याणकारी उपायों के माध्यम से शुरू की गई आत्मनिर्भर नीतियों के कारण देश विश्व गुरु के रूप में उभरने की राह पर है। कोरोना जैसी महामारी को प्रभावी ढंग से नियंत्रित करने में सफलता ने दुनिया को चकित कर दिया है। 

डिजिटल भुगतान जैसी योजनाओं का विकसित दुनिया ने भी लोहा माना है। आज हम संकल्प लें कि निहित स्वार्थो द्वारा क्षेत्रों, धर्मों, जातियों, लिंगों, भाषाओं के आधार पर आपस में संघर्ष और कटुता पैदा करने के प्रयासों को सफल नहीं होने देंगे और अपनी समृद्ध विरासत पर भरोसा करके तथा आधुनिक वैज्ञानिक, तकनीकी नवाचारों को अपनाकर उज्ज्वल, मजबूत भारत तथा उसके माध्यम से पूरी दुनिया के लोगों के कल्याण के लिए प्रतिबद्ध होंगे। 

आइए कमजोर वर्गों के प्रति संवेदनशील हों, जिनमें वे लोग भी शामिल हैं जिन्हें पर्याप्त अवसर नहीं मिल पा रहे हैं, जिनके पास विशेष योग्यताएं हैं, जो बुजुर्ग, बीमार और गरीब हैं और उनके जीवन को सार्थक बनाने का प्रयास करें।आइए यह प्रार्थना करें-सर्वे भवंतु सुखिन: सर्वे संतु निरामया/ सर्वे भद्राणि पश्यंतु मा कश्चित् दु:खभाग् भवेत्।

टॅग्स :आजादी का अमृत महोत्सवस्वतंत्रता दिवसभारतAmrit Mahotsav
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