वेदप्रताप वैदिक का ब्लॉग: आतंक नहीं हो सकता आतंक का जवाब

By वेद प्रताप वैदिक | Published: February 21, 2022 03:33 PM2022-02-21T15:33:19+5:302022-02-21T15:34:06+5:30

साल 2008 में अहमदाबाद में हुए आतंकी हमले के अपराधियों को विशेष अदालत ने जो सजा सुनाई है, वह स्वतंत्र भारत की सबसे बड़ी सजा है। इसमें 38 अपराधियों को मृत्युदंड, 11 को उम्रकैद और 48 पर 2.85 लाख रुपए का जुर्माना लगाया गया है।

Terror cannot be the answer to terror | वेदप्रताप वैदिक का ब्लॉग: आतंक नहीं हो सकता आतंक का जवाब

वेदप्रताप वैदिक का ब्लॉग: आतंक नहीं हो सकता आतंक का जवाब

Highlights7 हजार पृष्ठ के इस फैसले में 77 आरोपियों में से 22 को बरी कर दिया गया है।इस हमले की जिम्मेदारी ‘इंडियन मुजाहिदीन’ और ‘स्टूडेंटस इस्लामिक मूवमेंट ऑफ इंडिया’ नामक संगठनों ने ली थी। 

साल 2008 में अहमदाबाद में हुए आतंकी हमले के अपराधियों को विशेष अदालत ने जो सजा सुनाई है, वह स्वतंत्र भारत की सबसे बड़ी सजा है। इसमें 38 अपराधियों को मृत्युदंड, 11 को उम्रकैद और 48 पर 2.85 लाख रुपए का जुर्माना लगाया गया है। इस मुकदमे का फैसला आने में 14 साल लग गए, यह अपने आप में अच्छी बात नहीं है।

इन अपराधियों को यदि साल-दो साल में ही फांसी पर लटका दिया जाता तो इस सजा का कहीं ज्यादा असर होता लेकिन सैकड़ों गवाहों से पूछताछ और पुलिस की खोजबीन अच्छी तरह से इसीलिए की गई कि न्याय में कमी न रह जाए। 7 हजार पृष्ठ के इस फैसले में 77 आरोपियों में से 22 को बरी कर दिया गया है। इस हमले की जिम्मेदारी ‘इंडियन मुजाहिदीन’ और ‘स्टूडेंटस इस्लामिक मूवमेंट ऑफ इंडिया’ नामक संगठनों ने ली थी। 

पुलिस की जांच-पड़ताल से पता चला है कि इसमें गुजरात, मध्यप्रदेश, उत्तर प्रदेश, महाराष्ट्र, आंध्र, केरल और कर्नाटक के आतंकवादी भी शामिल थे। इनके सजायाफ्ता लोग में 21 से 40 साल के लोग भी हैं। ये लोग गोधरा कांड के बाद हुए दंगों का बदला लेने पर उतारु थे। इन्हें शायद पता नहीं है कि इनके विस्फोटों में मरे लोगों में हिंदू और मुसलमान दोनों ही थे। इन आतंकियों ने अपना निशाना तो गुजरात के तत्कालीन मुख्यमंत्री नरेंद्र मोदी, अमित शाह और अन्य मंत्रियों को बना रखा था।

इन आतंकवादियों को अब जो कड़ी सजा मिल रही है, उसके कारण बहुत-से घरों में अंधेरा हो जाएगा लेकिन लोगों को बड़े पैमाने पर सबक भी मिलेगा। सबक यह है कि कोई भी आतंकी कितनी ही चालाकी करे, वह न्याय के शिकंजे में फंसे बिना नहीं रहेगा। जिन परिवारों ने इस आतंकी हमले में अपने प्रियजनों को खोया है, उनके घावों पर यह मरहम भी कुछ काम नहीं करेगा। इस फैसले का यही संदेश है कि आतंक का जवाब आतंक नहीं हो सकता।

Web Title: Terror cannot be the answer to terror

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