Special Intensive Revision News: भ्रम के काले बादलों को कौन हटाएगा?, भरोसा करें या न करें?

By लोकमत समाचार सम्पादकीय | Updated: August 19, 2025 05:22 IST2025-08-19T05:22:43+5:302025-08-19T05:22:43+5:30

Special Intensive Revision News: चुनाव आयोग का कहना है कि पब्लिक डोमेन में लगाए गए आरोप कानूनी बाध्यता नहीं रखते.

Special Intensive Revision News Who dispel dark clouds confusion Election Commission of India Congress leader Rahul Gandhi vote chori | Special Intensive Revision News: भ्रम के काले बादलों को कौन हटाएगा?, भरोसा करें या न करें?

file photo

Highlightsकोई आरोप दावे के साथ लगा रहे हैं तो क्या ऐसे ही बोल रहे होंगे? राहुल हलफनामे के साथ शिकायत करते हैं तो आयोग जांच करेगा.यह यात्रा ‘वोट चोरी’ के उनके आरोपों के संदर्भ में ही है.

भारत निर्वाचन आयोग एक संवैधानिक संस्था है इसलिए हमें उसकी बात पर भरोसा करना चाहिए लेकिन जो कुछ भी राहुल गांधी कह रहे हैं, उसका क्या करें? भरोसा करें या न करें? यह सवाल उन लोगों को मथ रहा है जो स्वतंत्र राजनीतिक विचारधारा के हैं. ऐसे लोग न आंख मूंद कर भाजपा का समर्थन करते हैं और न ही कांग्रेस का! मतदाताओं का ये वो वर्ग है जो मतदान के वक्त निर्णय करता है कि उनके इलाके से लेकर उनके प्रदेश और देश के हित में किसे मत देना जरूरी है. ऐसे लोगों के मन में भ्रम की स्थिति बनी हुई है. वे सोच रहे हैं कि राहुल गांधी प्रतिपक्ष के सबसे बड़े नेता हैं और वे कोई आरोप दावे के साथ लगा रहे हैं तो क्या ऐसे ही बोल रहे होंगे? वे तो कह रहे हैं कि उनके पास प्रमाण भी है! इधर चुनाव आयोग का कहना है कि पब्लिक डोमेन में लगाए गए आरोप कानूनी बाध्यता नहीं रखते.

यदि राहुल हलफनामे के साथ शिकायत करते हैं तो आयोग जांच करेगा. अब तो मुख्य चुनाव आयुक्त ज्ञानेश कुमार ने प्रेस कान्फ्रेंस बुलाकर घोषणा की कि राहुल गांधी या तो हलफनामा दें या फिर देश से माफी मांगें. इस बीच राहुल गांधी वोटर अधिकार यात्रा भी निकाल रहे हैं. यह यात्रा ‘वोट चोरी’ के उनके आरोपों के संदर्भ में ही है.

वे यह सवाल उठाते रहे हैं कि महाराष्ट्र में चुनाव से पहले मतदाताओं की संख्य कैसे बढ़ गई? बिहार में विशेष पुनरीक्षण के दौरान डेढ़ लाख से ज्यादा मतदाता कैसे कम हो गए? इधर यह बात भी सामने आई कि बिहार की मतदाता सूची में बहुत से नेपालियों और बांग्लादेशियों ने भी घुसपैठ कर ली थी. तीन जिलों के नाम भी लिए गए हैं जहां मतदाता डेमोग्राफी ही बदल गई है.

कांग्रेस, राष्ट्रीय जनता दल और कुछ दूसरे दलों को लगता है कि जिन वोटरों के नाम हटे हैं, वे भाजपा विरोधी वोट हैं, इसलिए हटा दिए गए हैं. राहुल गांधी हों या तेजस्वी यादव, ये सब चुनाव आयोग पर उंगलियां उठा रहे हैं. इसलिए स्वतंत्र विचारधारा  वाले लोग चिंतित हैं कि चुनाव आयोग जैसी हमारी संवैधानिक संस्था पर भ्रम के काले बादल क्यों मंडरा रहे हैं?

भ्रम के ये काले बादल जितनी जल्दी छंटें, हमारे लोकतंत्र के लिए उतना ही अच्छा होगा. तो सवाल है कि भ्रम के ये बादल छंटेंगे कैसे? इसके लिए दोनों पक्षों को पहल करनी होगी. यदि राहुल गांधी के पास वाकई ठोस सबूत हैं तो हलफनामा देने में उन्हें क्या दिक्कत हो रही है? उन्हें हलफनामा देना चाहिए और जब चुनाव आयोग ने उन्हें हलफनामा न देने की स्थिति में देश से माफी मांगने की सलाह दे दी है तब तो राहुल गांधी को पूरी शक्ति के साथ सामने आना चाहिए. केवल जुबानी कही गई बातों का कोई कानूनी आधार नहीं होता.

निर्वाचन आयोग ने उन्हें कई बार बुलाया लेकिन वे क्यों नहीं गए? यह तो बात हुई राहुल गांधी की, लेकिन यह मानने वाले भी बहुत सारे लोग हैं कि यदि निर्वाचन आयोग पर इस तरह खुल्लमखुल्ला आरोप लग रहे हैं तो आयोग को भी कदम उठाने चाहिए. यदि कहीं त्रुटि है तो उसे सुधारने की बात करनी चाहिए. आयोग बेदाग है और राहुल गांधी आरोपों पर डटे हुए हैं,

निर्वाचन आयोग की प्रतिष्ठा पर आंच आ रही है तो आयोग के सामने सर्वोच्च न्यायालय जाने का मार्ग भी तो खुला है. निश्चित रूप से विश्वसनीयता बनाए रखना आयोग की जिम्मेदारी है. संवैधानिक संस्थाओं के प्रति लोगों का विश्वास बने रहना जरूरी है कि ऐसी संस्थाओं को दबाव का शिकार नहीं बनाया जा सकता. इसीलिए तो हमें आज भी टीएन शेषन याद आते हैं.

Web Title: Special Intensive Revision News Who dispel dark clouds confusion Election Commission of India Congress leader Rahul Gandhi vote chori

भारत से जुड़ीहिंदी खबरोंऔर देश दुनिया खबरोंके लिए यहाँ क्लिक करे.यूट्यूब चैनल यहाँ इब करें और देखें हमारा एक्सक्लूसिव वीडियो कंटेंट. सोशल से जुड़ने के लिए हमारा Facebook Pageलाइक करे