Social media: चुनौतियों के बावजूद सोशल मीडिया से बेहतरी की उम्मीद 

By उमेश चतुर्वेदी | Published: December 30, 2023 11:12 AM2023-12-30T11:12:56+5:302023-12-30T11:13:58+5:30

Social media: सोशल मीडिया पर भरोसा इतना बढ़ा कि इसके जरिये दुनिया में उन अंधेरे कोनों में लोकतंत्र की रोशनी नजर आने लगी, जहां अभी तक लोकतंत्र नहीं पहुंच पाया है.

Social media deepfake problem Despite challenges, hope for improvement from social media blog Umesh Chaturvedi | Social media: चुनौतियों के बावजूद सोशल मीडिया से बेहतरी की उम्मीद 

file photo

Highlightsसोशल मीडिया से ऐसी उम्मीद बेमानी नहीं थी. सोशल मीडिया ने ऐसा किया भी लेकिन अब हालात बदल गए हैं.सूचनाओं को पहले की तुलना में कहीं ज्यादा लोकतांत्रिक बनाया है.

Social media: सोशल मीडिया की शुरुआत में माना गया था कि दुनिया में गरीबी, अशिक्षा, कुरीति आदि के अंधेरे को खत्म करने में यह कारगर हथियार होगा. सोशल मीडिया पर भरोसा इतना बढ़ा कि इसके जरिये दुनिया में उन अंधेरे कोनों में लोकतंत्र की रोशनी नजर आने लगी, जहां अभी तक लोकतंत्र नहीं पहुंच पाया है.

सोशल मीडिया से ऐसी उम्मीद बेमानी नहीं थी. सोशल मीडिया ने ऐसा किया भी लेकिन अब हालात बदल गए हैं, उसकी चुनौती बढ़ती जा रही है. इसने सूचनाओं को पहले की तुलना में कहीं ज्यादा लोकतांत्रिक बनाया है. लेकिन इस विस्तार के साथ ही एक कमी भी नजर आ रही है. इसे कमी नहीं, खतरा कहना ज्यादा उचित होगा.

इसे इस्तेमाल करने वाली शख्सियतों की ठोस जवाबदारी न होने से यह जहर के माफिक खतरनाक होता जा रहा है.आने वाले साल 2024 में सोशल मीडिया समाज और सरकार के लिए कुछ बड़ी चुनौतियों की वजह बनेगा. उसमें सबसे बड़ी चुनौती है डीपफेक की समस्या.

इसे हाल ही में स्पेन के एक छोटे शहर अल्मेंद्रलेजो में महसूस किया गया, जब पता चला कि वहां की दर्जनों स्कूली छात्राओं के नग्न फोटो स्कूली ग्रुप के फोन में प्रसारित हो गए. जांच में पता चला कि ये फोटो एआई यानी आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस के जरिये बनाए गए थे. हाल ही में हमारे देश में भी अदाकारा रश्मिका मंदाना के फोटो डीपफेक तकनीक के जरिए तैयार करके प्रसारित किए गए.

आने वाले दिनों में अगर इस तकनीक के इस्तेमाल के लिए कड़े कानून और ठोस दिशानिर्देश नहीं बनाए गए तो यह समाज के लिए बड़ी चुनौती बनकर उभरेगा. सोशल मीडिया के मोर्चे पर दूसरी चुनौती रहेगी उसकी घटती साख. सोशल मीडिया प्लेटफॉर्मों की जरूरत सामाजिकता को बढ़ावा देने की है. लेकिन अब तक उपलब्ध माध्यमों में सामाजिकता सीमित हुई है और अराजकता बढ़ी है.

लेकिन पश्चिमी देशों में हुए शोधों से पता चल रहा है कि अब स्थितियां बदल रही हैं. इसलिए सार्थक संवाद वाले नए प्लेटफॉर्म भी विकसित  हो सकते हैं. अराजकता के बाद अब प्रामाणिकता की ओर दुनिया ज्यादा गहरी निगाह लगाए बैठी है. इसलिए अब सोशल मीडिया मंचों पर प्रामाणिक जानकारियों की जरूरत बढ़ेगी.

छोटे वीडियो इन दिनों बहुत लोकप्रिय हो रहे हैं. हालांकि उनके विस्तार में अब तक अश्लीलता और अर्धनग्नता को बड़ा कारक माना गया है. लेकिन अब इसकी ओर रुझान घट रहा है. अब लोग कुछ बेहतर चाह रहे हैं. इसलिए ऐसे वीडियों जो शॉर्ट हों, लेकिन उनके जरिए कुछ सार्थक संदेश मिल रहे हों, आने वाले दिनों में उनकी मांग बढ़ेगी. जानकारों का मानना है कि साल 2024 में सोशल मीडिया पर पर्यावरण के प्रति जागरूकता बढ़ेगी और सामाजिक रूप से जिम्मेदार उपभोक्ताओं में वृद्धि दिखेगी.

Web Title: Social media deepfake problem Despite challenges, hope for improvement from social media blog Umesh Chaturvedi

भारत से जुड़ीहिंदी खबरोंऔर देश दुनिया खबरोंके लिए यहाँ क्लिक करे.यूट्यूब चैनल यहाँ इब करें और देखें हमारा एक्सक्लूसिव वीडियो कंटेंट. सोशल से जुड़ने के लिए हमारा Facebook Pageलाइक करे