SIR Registered: एसआईआर पर राजनीतिक विवाद थमने के नहीं दिख रहे आसार
By शशिधर खान | Updated: December 8, 2025 05:42 IST2025-12-08T05:42:32+5:302025-12-08T05:42:32+5:30
SIR Registered: विपक्षी सदस्य एसआईआर के काम में लगे बूथ स्तरीय अधिकारी ( बीएलओ) की मौतों पर चर्चा की मांग कर रहे हैं.

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SIR Registered: चुनाव आयोग द्वारा चलाए जा रहे एसआईआर (स्पेशल इन्टेंसिव रिवीजन - विशेष गहन पुनरीक्षण) पर संसद के शीतकालीन सत्र में दो दिन हंगामे के बाद सरकार चर्चा को तैयार हुई. सत्र शुरू होने के पहले दिन 1 दिसंबर और 2 दिसंबर को संसद के दोनों सदनों की कार्यवाही दिनभर के लिए स्थगित करने की नौबत आ गई. उसके बाद सरकार और इस मुद्दे पर एकजुट विपक्ष के बीच सहमति बनी, जिसे चुनाव सुधार पर चर्चा का नाम दिया गया. विपक्षी सदस्य एसआईआर के काम में लगे बूथ स्तरीय अधिकारी ( बीएलओ) की मौतों पर चर्चा की मांग कर रहे हैं.
एसआईआर की चुनाव आयोग द्वारा तय समय-सीमा और मतदाता सूची के शुद्धिकरण के लिए अपनाई गई प्रक्रिया को लेकर चल रहे राजनीतिक विवाद में विपक्ष और सरकार आमने-सामने हैं. सरकार सुप्रीम कोर्ट से लेकर सार्वजनिक ढांचों पर चुनाव आयोग का बचाव कर रही है. 24 जून को चुनाव आयोग ने एसआईआर आदेश जारी किया, उसी समय से सुप्रीम कोर्ट में एसआईआर को चुनौती देने वाली याचिकाओं पर सुनवाई चल रही है. सरकार ने 9 दिसंबर को चुनाव सुधार चर्चा की तारीख तय की है, उसके पहले वंदे मातरम पर चर्चा होगी.
लेकिन गतिरोध समाप्त होने या कम होने के लक्षण नहीं दिखते. मतदाता की नागरिकता सुनिश्चित करने के लिए चुनाव आयोग ने जो प्रक्रिया अपनाई है, वही विवाद का असली बिंदु है. सुप्रीम कोर्ट में याचिकाकर्ताओं के वकीलों ने जो अपना पक्ष रखा है, उसका फोकस नागरिकता की पहचान के लिए चुनाव आयोग द्वारा रखे गए मानदंडों पर है.
सीनियर एडवोकेट कपिल सिब्बल और अभिषेक मनु सिंघवी ने सुप्रीम कोर्ट को बताया है कि नागरिकता सुनिश्चित करने का अधिकार चुनाव आयोग को नहीं है. इस मसले पर चुनाव आयोग सुप्रीम कोर्ट को आश्वस्त नहीं कर पा रहा है. एसआईआर पर अर्जियां राष्ट्रीय जनता दल, कांग्रेस और एसोसिएशन फॉर डेमोक्रेटिक रिफॉर्म्स (एडीआर) ने लगा रखी हैं.
बीएलओ की मौतों के संबंध में घटनास्थल से जो रिपोर्ट आ रही है, उसमें मौत का कारण काम का अत्यधिक बोझ और निर्धारित समय में गहन मतदाता पहचान का काम पूरा करने के लिए चुनाव आयोग के दबाव से तनाव बताया गया है. पश्चिम बंगाल में इन मौतों को लेकर राज्य सरकार, राज्य चुनाव अधिकारी, केन्द्रीय चुनाव आयोग में टकराव और एसआईआर तथा चुनाव तैयारियों में जुटे अधिकारियों में तनाव साथ-साथ चल रहा है. जिन पांच राज्यों में अप्रैल-मई, 2026 में चुनाव होने हैं, उनमें सिर्फ असम में भाजपा की सरकार है. 24 जून 2025 को जारी एसआईआर आदेश पूरे देश के लिए था,
लेकिन असम के लिए नहीं. इस संबंध में विपक्षी दलों के सवालों का जवाब चुनाव आयोग टालता रहा. बिहार चुनाव संपन्न होने के बाद असम में 17 नवंबर को चुनाव आयोग ने जो विशेष मतदाता सूची पुनरीक्षण का ऐलान किया, उसमें अन्य राज्यों की तरह ‘गहन’ प्रक्रिया शामिल नहीं की.
इसका कारण नेशनल नागरिक रजिस्टर (एनआरसी) की लंबित हालत बताया गया. असम से ही घुसपैठ का राजनीतिक मामला उपजा है, जहां सुप्रीम कोर्ट की निगरानी में 2013 से 2019 तक नागरिकता पहचान का काम चला, मगर झमेला अभी तक कायम है.