श्री सम्मेद शिखरजी के लिए दिल्ली, मुंबई समेत कई अन्य शहरों और गांवों में जैन-समाज सड़कों पर क्यों उतर आया है?
By वेद प्रताप वैदिक | Published: January 3, 2023 03:26 PM2023-01-03T15:26:42+5:302023-01-03T15:28:45+5:30
दिल्ली, मुंबई तथा कई अन्य शहरों और गांवों में जैन-समाज सड़कों पर उतर आया है। वह श्री सम्मेद शिखरजी को पर्यटन केंद्र बनाने की घोषणा को निरस्त करने की मांग कर रहा है। उनकी यह मांग बिल्कुल जायज है। मुस्लिम नेता असदुद्दीन ओवैसी ने भी इस मांग का समर्थन किया है।
झारखंड के गिरिडीह जिले में श्री सम्मेद शिखरजी जैन तीर्थ स्थल संसार के संपूर्ण जैन समाज का अत्यंत महत्वपूर्ण तीर्थ स्थल है। श्री सम्मेद शिखरजी में जैनों के 24 में से 20 तीर्थंकरों ने निर्वाण प्राप्त किया है।
दुनिया में जैन धर्म का कोई भी व्यक्ति कहीं भी रहता हो, उसकी इच्छा यह रहती है कि जीवन में कम से कम एक बार वह श्री सम्मेद शिखरजी की यात्रा जरूर कर ले। मेरे कुछ जैन परिवारजन ने बताया कि अपने बाल्यकाल में वे जब श्री सम्मेद शिखरजी पर जाते थे तो मुंहपट्टी लगाए रखते थे या मुंह खोलते ही नहीं थे ताकि किसी जीव की हिंसा न हो जाए। ऐसा पवित्र भाव जिस तीर्थ के लिए करोड़ों लोगों के दिल में रहता हो, यदि उसे सरकार एक पर्यटन स्थल बना दे तो क्या होगा? तब क्या वहां लोग मौज-मजा करने के लिए नहीं आने लगेंगे? वे वहां शराब पिएंगे, मांसाहार करेंगे और बहुत-से अनैतिक काम भी वहां होने लगेंगे। सारे भारत का जैन समाज इस आशंका से उद्वेलित है।
दिल्ली, मुंबई तथा कई अन्य शहरों और गांवों में जैन-समाज सड़कों पर उतर आया है। वह श्री सम्मेद शिखरजी को पर्यटन केंद्र बनाने की घोषणा को निरस्त करने की मांग कर रहा है। उनकी यह मांग बिल्कुल जायज है। मुस्लिम नेता असदुद्दीन ओवैसी ने भी इस मांग का समर्थन किया है। वे क्यों नहीं करेंगे? दुनिया के सभी धर्मों के लोग अपने-अपने धर्म-स्थलों की पवित्रता के लिए अपनी जान भी कुर्बान कर देते हैं।
इसका अर्थ यह नहीं है कि श्री सम्मेद शिखरजी जैसे सुरम्य पर्वतीय स्थलों पर पर्यटक जाएं ही नहीं। वे वहां जाएं लेकिन उनका आचरण नियंत्रित हो, मर्यादित हो और धर्मप्रेमी लोगों का ध्यान भंग करनेवाला न हो। सर्वहितकारी जैन-सिद्धांतों का वहां उल्लंघन न हो, यह जरूरी है।