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शोभना जैन का ब्लॉग: गलियारे में जरा संभल कर चलना होगा

By लोकमत समाचार ब्यूरो | Updated: November 30, 2018 18:12 IST

भारत की तरफ से अपनी सीमा में गलियारा बनाने के काम का शिलान्यास होने के बाद पाकिस्तान की तरफ से शिलान्यास की रस्म  अभी  पूरी भी नहीं हुई थी,  तभी पाकिस्तान ने वही पुरानी पैंतरेबाजी, साजिश शुरू कर दी जैसी कि वह करता आया है.

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पाकिस्तान द्वारा लगातार संघर्ष विराम का उल्लंघन करने और भारत पाकिस्तान रिश्तों के ठंडेपन के  बीच अंतर्राष्ट्रीय सीमा पर, पाक स्थित सिख श्रद्धालुओं के पवित्न आस्था स्थल  दरबार साहिब करतारपुर तक पहुंचने के लिए दोनों देशों द्वारा  कॉरिडोर बनाने के फैसले  को विश्वास बहाली का एक अहम कदम मान कर इसका स्वागत किया जा रहा था. लेकिन तभी पाकिस्तान ने आनन-फानन में इस फैसले के पीछे छिपे अपने ‘हिडन एजेंडा’ को उजागर कर के एक बार फिर  संबंधों को तल्खियों और अविश्वास के उसी  पुराने मुकाम पर पहुंचा दिया.

दरअसल दो दशक तक  कॉरिडोर बनाने के भारत के प्रस्ताव पर नकारात्मक रुख अपनाने के बाद इस बार पाकिस्तान ने भारत के इस प्रस्ताव को आखिरकार मान तो लिया, जिसके तहत  भारत के पंजाब प्रांत के डेरा बाबा नानक और पाकिस्तान के दरबार साहिब करतारपुर गुरुद्वारे के बीच वीजा मुक्त गलियारा बनाया जाएगा. सिख श्रद्धालुओं के लिए यह निश्चित तौर पर एक अच्छी,  उम्मीद भरी खबर है. लेकिन इस कदम की आड़ में पाकिस्तान का जो ‘हिडन एजेंडा’ है उस के चलते इस गलियारे में  काफी संभल-संभल कर चलना होगा.

दरअसल भारत की तरफ से अपनी सीमा में गलियारा बनाने के काम का शिलान्यास होने के बाद पाकिस्तान की तरफ से शिलान्यास की रस्म  अभी  पूरी भी नहीं हुई थी,  तभी पाकिस्तान ने वही पुरानी पैंतरेबाजी, साजिश शुरू कर दी जैसी कि वह करता आया है. पाकिस्तान के प्रधानमंत्नी इमरान खान ने न केवल धार्मिक आस्था से जुड़े इस समारोह में कश्मीर का मुद्दा फिर से उछाल दिया बल्कि इस समारोह में पाकिस्तानी आतंकी हाफिज सईद के खास साथी खालिस्तान समर्थक गोपाल चावला की मौजूदगी और इमरान खान और पाकी सेनाध्यक्ष कमर बाजवा के साथ अग्रिम पंक्ति में घुल मिल कर उसका बातें करना हकीकत बयां कर गया. 

 पाकिस्तान ने  यह कदम ऐसे  वक्त  में उठाया है जबकि वहां  सेना, आईएसआई इमरान सरकार पर हावी है, आतंकवादी ताकतों के हौसले चरम पर हैं. वहां की  आर्थिक स्थितियां और घरेलू परिस्थियां  जिस तरह से जटिल होती जा रही हैं, उसे  देखते हुए गलियारे को उम्मीद के  गलियारे के रूप में देखना तो ठीक  है, लेकिन पाकिस्तान के अगले कदम को लेकर सतर्कता बरतना जरूरी है. साथ ही पंजाब से जुड़े इस क्षेत्न में इसके सुरक्षा संबंधी पहलुओं विशेष तौर पर खालिस्तान समर्थकों को हवा दिए जाने की साजिश पर विशेष ध्यान देना होगा. ज्यादा पीछे नहीं जाएं तो पिछले दिनों ही इस्लामाबाद स्थित भारतीय उच्चायोग के राजनयिकों को  परेशान करने और उन्हें 21-22 नवंबर को मंजूरी दिए जाने के बावजूद गुरुद्वारा ननकाना साहिब और गुरुद्वारा सच्चा सौदा में भारतीय श्रद्धालुओं से मिलने देने की अनुमति नहीं देने और पाक स्थित गुरुद्वारों में खालिस्तान समर्थक पोस्टर लगने की घटनाएं हुई हैं. 

टॅग्स :करतारपुर साहिब कॉरिडोर
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