शशिधर खान का ब्लॉगः सीबीआई में कब थमेगा घमासान

By लोकमत समाचार ब्यूरो | Updated: January 20, 2019 10:31 IST2019-01-20T10:31:24+5:302019-01-20T10:31:24+5:30

अक्तूबर, 2018 से केंद्रीय वित्त मंत्री अरुण जेटली ने कई मौकों पर यह बात दुहराई है कि सीबीआई प्रमुख नंबर 1 आलोक कुमार वर्मा और नंबर 2 राकेश अस्थाना दोनों को रिश्वतखोरी में आपस में ही लड़ने के कारण सरकार ने जिम्मेदारी से मुक्त करके छुट्टी पर भेज दिया.

Shashidhar Khan's blog: When CBI controversy will end | शशिधर खान का ब्लॉगः सीबीआई में कब थमेगा घमासान

फाइल फोटो

सीबीआई (केंद्रीय जांच ब्यूरो) के 55 वर्ष के इतिहास में ऐसी अप्रत्याशित हरकतें पहले कभी सामने नहीं आईं. देश में पहली बार ऐसा हुआ है, जब सीबीआई के मुद्दे पर सरकार के साथ सीबीआई के रोजमर्रा के कामकाज पर निगरानी रखनेवाला केंद्रीय सतर्कता आयोग (सीवीसी) तक विवाद के घेरे में है. 

अक्तूबर, 2018 से केंद्रीय वित्त मंत्री अरुण जेटली ने कई मौकों पर यह बात दुहराई है कि सीबीआई प्रमुख नंबर 1 आलोक कुमार वर्मा और नंबर 2 राकेश अस्थाना दोनों को रिश्वतखोरी में आपस में ही लड़ने के कारण सरकार ने जिम्मेदारी से मुक्त करके छुट्टी पर भेज दिया.

दुहाई देने के लिए सीबीआई संवैधानिक है और इस पर नियंत्रण सरकार अपने किसी विभाग की तरह रखना चाहती है. यही है घमासान के चरम पर पहुंचने का मूल कारण, जिसमें सरकार ने सुप्रीम कोर्ट की भी परवाह नहीं की. और तो और, सीवीसी ने भी सीबीआई विवाद में वैसा ही किया जैसा सरकार ने चाहा. जबकि सीवीसी वैधानिक संस्था है. 

अगर यह बवाल नहीं मचता तो लोग जान भी नहीं पाते कि सीबीआई के अंदर क्या-क्या होता है और सरकार इसे कैसी संस्था बनाकर रखना चाहती है. ऐसा पहले कभी नहीं हुआ कि सीबीआई प्रमुख नंबर 1 और 2 दोनों ने एक-दूसरे पर रिश्वत खाने का आरोप लगाया हो और दोनों को सरकार ने अचानक छुट्टी पर भेजा हो. जिस समय सीबीआई के अंदर यह रिश्वत उपद्रव भड़का, उसी समय सुप्रीम कोर्ट के जज जस्टिस ज़े चेलमेश्वर रिटायर हुए.

रिटायर होने के बाद उन्होंने पहला बयान यही दिया कि सीबीआई के अंदर अराजक स्थिति है, क्योंकि ऐसा कोई कानूनी ढांचा नहीं है, जो सीबीआई को संचालित करे. उन्होंने कहा कि सीबीआई के अधिकार और कर्तव्य की कोई परिभाषा संविधान में नहीं है. 70 वर्षो में किसी सरकार ने इस बिंदु पर नहीं सोचा. 

इसलिए सिर्फ दिल्ली स्पेशल पुलिस इस्टेब्लिशमेंट एक्ट का हवाला देकर सीबीआई को राजनीतिक टूल की तरह इस्तेमाल किया जाता है.

English summary :
CBI vs CBI: Such unexpected incident have never been witnessed before in the 55 years of history of CBI (Central Bureau of Investigation). For the first time in the country, the Central Vigilance Commission (CVC) is in the midst of the dispute. In October, 2018, Union Finance Minister Arun Jaitley has repeatedly said that the CBI chief No. 1 Alok Verma and the number two Rakesh Asthana, both of them were released from the responsibility and sent on leave by the government due to the tussle on bribery between Alok Verma and Rakesh Asthana.


Web Title: Shashidhar Khan's blog: When CBI controversy will end

भारत से जुड़ीहिंदी खबरोंऔर देश दुनिया खबरोंके लिए यहाँ क्लिक करे.यूट्यूब चैनल यहाँ इब करें और देखें हमारा एक्सक्लूसिव वीडियो कंटेंट. सोशल से जुड़ने के लिए हमारा Facebook Pageलाइक करे