शशांक द्विवेदी का ब्लॉग: गंभीर जलसंकट की ओर बढ़ रही है दुनिया
By लोकमत समाचार ब्यूरो | Updated: March 22, 2021 15:40 IST2021-03-22T15:40:27+5:302021-03-22T15:40:27+5:30
पानी की कमी का गंभीर असर भारत पर भी नजर आएगा. देश की सैकड़ों छोटी नदियां विलुप्ति के कगार पर हैं, गांव और कस्बों में तालाब और कुएं भी सूख चुके हैं.

World Water Day 2021: जल संकट से निपटने का रास्ता खोजना होगा
पिछले दिनों संयुक्त राष्ट्र ने विश्व के सभी देशों को चेतावनी देते हुए कहा कि यदि पानी की बर्बादी को जल्द नहीं रोका गया तो जल्दी ही विश्व गंभीर जल संकट से गुजरेगा.
दुनिया की आबादी जिस तरह से बढ़ रही है, सबको स्वच्छ पेयजल मुहैया कराना विश्व के सभी देशों खासकर विकासशील देशों के लिए एक चुनौती है. संयुक्त राष्ट्र की विश्व जल विकास रिपोर्ट ने चेतावनी दी है कि जलवायु परिवर्तन से पानी की उपलब्धता पर प्रभाव पड़ेगा, जिसकी वजह से वैश्विक खाद्य उत्पादन का मौलिक स्वरूप बदल सकता है.
इस तरह आने वाले समय में मौसम में छोटे से छोटा बदलाव भी खाद्य असुरक्षा (खाद्य कीमतों में वृद्धि) और ग्रामीण क्षेत्र में गरीबी की घटनाओं को बढ़ा सकता है.
संयुक्त राष्ट्र के शैक्षिक, वैज्ञानिक और सांस्कृतिक संगठन (यूनेस्को) और यूएन वॉटर के सहयोग से तैयार वर्ल्ड वॉटर डेवलपमेंट रिपोर्ट में आगाह किया गया है कि विश्व को अगले कई दशकों तक जल असुरक्षा और जलवायु परिवर्तन, इन दो बड़े संकटों का सामना करना पड़ेगा.
विश्व स्वास्थ्य संगठन के एक अध्ययन के अनुसार दुनिया भर में 86 फीसदी से अधिक बीमारियों का कारण असुरक्षित व दूषित पेयजल है. वर्तमान में 1600 जलीय प्रजातियां जल प्रदूषण के कारण लुप्त होने के कगार पर हैं.
विश्व में 1.10 अरब लोग दूषित पेयजल पीने को मजबूर हैं. पिछले दिनों एक वैश्विक संस्था नेचर कंजरवेंसी ने साढ़े सात लाख से अधिक आबादी वाले 500 शहरों का जल ढांचे का अध्ययन कर यह निष्कर्ष निकाला कि भारत के भी कई शहर गंभीर जल संकट की स्थिति से गुजर रहे हैं और अगर समय रहते इसके लिए प्रबंध नहीं किए गए तो आने वाले समय में यहां विकराल स्थिति उत्पन्न हो जाएगी.
देश के कई छोटे, मझोले शहरों के साथ ही दिल्ली, कोलकाता, चेन्नई, बेंगलुरुऔर हैदराबाद जैसे बड़े महानगर भी जलसंकट से जूझ रहे हैं. देश में पानी के अधिकांश स्थानीय स्रोत सूख चुके हैं या उनका अस्तित्व नहीं रह गया है.
देश की सैकड़ों छोटी नदियां विलुप्ति के कगार पर हैं, देश के अधिकांश गांव और कस्बों में तालाब और कुएं भी बिना संरक्षण के सूख चुके हैं.
भारत के कई हिस्सों में पेयजल किल्लत इस कदर बढ़ गई है कि उसका लाभ उठाने के लिए बहुराष्ट्रीय कंपनियां आगे आ गई हैं.
कुछ ने जमीन से पानी निकाल कर तो कुछ ने सामान्य जल आपूर्ति के जरिये मिलने वाले पानी को ही बोतलबंद रूप में बेचना शुरू कर दिया है. देश में बोतलबंद पानी का व्यवसाय लगातार बढ़ता जा रहा है. चिंताजनक यह है कि इस स्थिति में सुधार होता नहीं दिखता.