ब्लॉग: अब पाक नहीं, भारत को फायदा पहुंचाएगा रावी नदी का पानी
By लोकमत समाचार सम्पादकीय | Published: March 2, 2024 10:03 AM2024-03-02T10:03:03+5:302024-03-02T10:04:58+5:30
पंजाब और जम्मू-कश्मीर के कई क्षेत्रों में सिंचाई के लिए पानी की कमी है और रावी नदी का पानी इस कमी को पूरा करने में मदद करेगा। शाहपुर कंडी बांध में जल विद्युत उत्पादन की क्षमता भी है और भारत इस बांध से बिजली का उत्पादन करके अपनी ऊर्जा जरूरतों को पूरा करना चाहता है।
भारत ने रावी नदी का पानी पाकिस्तान जाने से रोकने के लिए पंजाब के पठानकोट जिले में शाहपुर कंडी बांध का निर्माण किया है, जो हाल ही में पूरी तरह से बनकर तैयार हो गया है और इसके बाद से रावी नदी से पाकिस्तान की ओर पानी का प्रवाह रुक गया है। शाहपुर कंडी बांध जम्मू-कश्मीर की सीमा से लगता है। इसका निर्माण पंजाब सरकार के सिंचाई विभाग द्वारा किया गया है। इसके निर्माण का मुख्य उद्देश्य पंजाब और जम्मू-कश्मीर राज्यों में सिंचाई और बिजली उत्पादन है।
दरअसल भारत रावी नदी के पानी का उपयोग अपनी कृषि जमीनों की सिंचाई के लिए करना चाहता है। पंजाब और जम्मू-कश्मीर के कई क्षेत्रों में सिंचाई के लिए पानी की कमी है और रावी नदी का पानी इस कमी को पूरा करने में मदद करेगा। शाहपुर कंडी बांध में जल विद्युत उत्पादन की क्षमता भी है और भारत इस बांध से बिजली का उत्पादन करके अपनी ऊर्जा जरूरतों को पूरा करना चाहता है। इसमें 55.5 मीटर ऊंचा कांक्रीट ग्रेविटी बांध, 7.70 किमी लंबा हाइडल चैनल, दो हेड रेगुलेटर और दो पावर हाउस शामिल हैं। परियोजना की कुल उत्पादन क्षमता 206 मेगावॉट है।
साल 1960 में विश्व बैंक की अध्यक्षता में भारत और पाकिस्तान के बीच सिंधु नदी जल समझौता हुआ था। सिंधु जल संधि सिंधु तथा इसकी सहायक नदियों के जल के अधिकतम उपयोग के लिए भारत और पाकिस्तान के मध्य एक समझौता है। 19 सितंबर 1960 को कराची में विश्व बैंक की मध्यस्थता में भारत के तत्कालीन प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरू और पाकिस्तान के राष्ट्रपति अयूब खान द्वारा इस संधि पर हस्ताक्षर किए गए थे। यह संधि भारत को तीन पूर्वी नदियों ब्यास, रावी और सतलुज के पानी पर नियंत्रण का अधिकार देती है और तीन पश्चिमी नदियों सिंधु, चिनाब और झेलम के पानी पर पाकिस्तान को नियंत्रण का अधिकार देती है। सिंधु जल संधि के तहत रावी नदी के पानी पर भारत का विशेष अधिकार है। पहले रावी नदी का पानी लखनपुर बांध से पाकिस्तान की ओर बह जाता था। शाहपुर कंडी बांध के पूरा होने से इस पानी का प्रवाह रुक गया है। इस परियोजना से 1150 क्यूसेक पानी प्राप्त होगा, जिससे पंजाब और जम्मू-कश्मीर में 32000 हेक्टेयर से अधिक भूमि की सिंचाई हो सकेगी और 206 मेगावॉट बिजली का उत्पादन किया जाएगा।
इस परियोजना की लागत 3300 करोड़ रु. आई है। पाक का कहना है कि इससे उसके कृषि क्षेत्र और अर्थव्यवस्था को नुकसान होगा। किंतु ऐसा करके भारत ने सिंधु जल संधि का उल्लंघन नहीं किया है, क्योंकि संधि के तहत भारत को रावी नदी के पानी के उपयोग का पूरा अधिकार है। भारत ने बांध निर्माण करके सिर्फ अपने अधिकार का उपयोग किया है।