सारंग थत्ते का नजरियाः हिंद महासागर की रखवाली में जुटा दमदार सुखोई

By सारंग थत्ते | Updated: January 21, 2020 06:39 IST2020-01-21T06:39:07+5:302020-01-21T06:39:07+5:30

हिंद महासागर में लंबी दूरी तक आकाश में निगरानी रखने की रणनीतिक जरूरत के  मद्देनजर भारतीय वायुसेना के सुखोई एमकेआई 30 के एक स्क्वाड्रन की स्थापना वायुसेना प्रमुख और चीफ ऑफ डिफेंस स्टाफ की उपस्थिति में सोमवार को पूरी हुई.

Sarang Thatte's view: strong Sukhoi engaged in guarding the Indian Ocean | सारंग थत्ते का नजरियाः हिंद महासागर की रखवाली में जुटा दमदार सुखोई

सारंग थत्ते का नजरियाः हिंद महासागर की रखवाली में जुटा दमदार सुखोई

तिरुचिरापल्ली से 56 किमी दूर और निकटतम बंदरगाह कराइकल से 94 किमी दूर है तंजावुर. यहां हिंद महासागर में लंबी दूरी तक आकाश में निगरानी रखने की रणनीतिक जरूरत के  मद्देनजर भारतीय वायुसेना के सुखोई एमकेआई 30 के एक स्क्वाड्रन की स्थापना वायुसेना प्रमुख और चीफ ऑफ डिफेंस स्टाफ की उपस्थिति में सोमवार को पूरी हुई. इस नए स्क्वाड्रन का नामकरण ‘टाइगर शार्क’ दिया गया है. यहां मौजूद सुखोई लड़ाकू विमान अपने साथ ब्रह्मोस मिसाइल से लैस किए जाएंगे. 2.5 टन की मिसाइल हमें 290 किमी दूर मारक क्षमता देती है, जबकि सुखोई बिना ईंधन को दोबारा भरे 1500 किमी तक उड़ान भर सकता है.  सुपर सोनिक ब्रह्मोस के साथ पूरे 18 लड़ाकू विमानों का नंबर 222 स्क्वाड्रन इस वर्ष के अंत तक तंजावुर में अपनी जगह बना लेगा. फिलहाल यहां 6 लड़ाकू विमान तैनात किए जा रहे हैं.

इस स्क्वाड्रन के इतिहास में 15 सितंबर 1969 का दिन विशेष था जब इसमें लड़ाकू सुखोई का एसयू 7 हवाई जहाज शामिल किया गया था. उसके बाद मिग-27 विमानों ने भी इस स्क्वाड्रन को सुशोभित किया था. अंबाला में मौजूद 222 स्क्वाड्रन को 2011 में बंद करने का निर्णय लिया गया था, जिसे अब दोबारा नए सिरे से गठित किया जा रहा है. इस स्क्वाड्रन से मिग की विदाई के बाद इसे अब दो इंजिन के सुखोई 30 की सौगात मिली है. तंजावुर का यह सुखोई का 12वां स्क्वाड्रन होगा, बाकी फिलहाल हलवारा, पुणो, जोधपुर, सिरसा, तेजपुर, छबुआ और बरेली में मौजूद हैं.
इस समय भारतीय वायुसेना के पास 250 से अधिक एसयू 30 सुखोई लड़ाकू विमान हैं. इस वर्ष यह भी उम्मीद है कि हम कुछ और सुखोई की जरूरत को एच.ए.एल. को दें जिससे हमारे पास रखरखाव के लिए निष्क्रिय होने वाले सुखोई के बदले में अतिरिक्त नए सुखोई मौजूद होंगे. इसके साथ सुखोई के कुछ नए सिम्युलेटर भी खरीदने की ओर वायुसेना बढ़ रही है.

चीफ ऑफ डिफेंस स्टाफ के नेतृत्व में किए जा रहे एकीकरण के प्रस्तावों में दक्षिण भारत में मौजूद वायुसेना और नौसेना के संसाधन बहुत जरूरी और आक्रामक भूमिका निभाने में सफल माने जाते हैं. इसमें अंडमान निकोबार में पहले से गठित अंडमान कमांड बेहद अहम है. अंडमान निकोबार में भी सुखोई 30 को भेजा जा रहा है. इसमें कोई दो राय नहीं कि अब हम अपनी समुद्री सीमाओं की रक्षा में गति ला रहे हैं.  इस वर्ष के अंत तक भारतीय सेना की संरचना का नया रोडमैप तैयार होगा जिसमें दक्षिण के सैन्य संस्थान महत्वपूर्ण माने जाएंगे यह निश्चित है. हिंद महासागर की चुनौती बेहद गंभीर सामरिक सोच को जन्म देती है. हमें हर हाल में सजग रहना होगा.

Web Title: Sarang Thatte's view: strong Sukhoi engaged in guarding the Indian Ocean

भारत से जुड़ीहिंदी खबरोंऔर देश दुनिया खबरोंके लिए यहाँ क्लिक करे.यूट्यूब चैनल यहाँ इब करें और देखें हमारा एक्सक्लूसिव वीडियो कंटेंट. सोशल से जुड़ने के लिए हमारा Facebook Pageलाइक करे