सारंग थत्ते का ब्लॉग: कहां से आएंगे देश सेवा में सेना अधिकारी?
By सारंग थत्ते | Updated: December 17, 2019 12:07 IST2019-12-17T12:07:12+5:302019-12-17T12:07:12+5:30
सेना में अधिकारियों की कमी दूर करने के अनेक उपाय कई बार सुझाए गए और उन पर कुछ हद तक अमल भी किया गया. लेकिन अब तक इस समस्या से हम उबर नहीं सके हैं. क्यों?

सारंग थत्ते का ब्लॉग: कहां से आएंगे देश सेवा में सेना अधिकारी?
पिछले कुछ समय से ऑफिसर्स ट्रेनिंग अकादमी (ओटीए) गया में प्रशिक्षण लेने वाले कैडेट्स की संख्या में गिरावट देखी गई थी. इस प्रशिक्षण संस्था में एक वक्त में 750 कैडेट्स को लिया जा सकता है. लेकिन फिलहाल सिर्फ 250 कैडेट्स ही यहां प्रशिक्षु हैं. इसलिए रक्षा मंत्नालय को इस संस्थान को बंद करने का निर्णय लेना पड़ा है. देहरादून और चेन्नई की ऑफिसर अकादमी में ज्यादा प्रशिक्षु लिए जाएंगे.
सेना में अधिकारियों की कमी दूर करने के अनेक उपाय कई बार सुझाए गए और उन पर कुछ हद तक अमल भी किया गया. लेकिन अब तक इस समस्या से हम उबर नहीं सके हैं. क्यों? वजह बड़ी साफ है कि आज का युवक राजस्थान की तपती रेत और सियाचिन के सर्द मौसम में सेना के लिए अपना खून पसीना बहाने से परहेज कर रहा है. क्यों ?
1999 के कारगिल युद्ध के बाद भारतीय सेना में अधिकारियों की कमी से उबरने के लिए 2011 में सरकार ने ऑफिसर्स ट्रेनिंग अकादमी (ओटीए) गया की स्थापना की थी. गया की अकादमी से शॉर्ट सर्विस कमीशन में तकनीकी प्रवेश योजना के अंतर्गत 12 वीं पास, जिसमें पुरु ष और महिलाएं भी शामिल हैं और विशेष कमीशन अधिकारी की योजना के अंतर्गत सैनिकों को प्रशिक्षण दिया जाता है.
अब तक ओटीए गया से 70 मित्न देशों जिसमें भूटान, वियतनाम, श्रीलंका और म्यांमार शामिल हैं, के विदेशी कैडेट्स को प्रशिक्षण दिया गया है. सबसे पुरानी सेना की अधिकारी प्रशिक्षण संस्था- भारतीय सैन्य अकादमी (आईएमए) देहरादून में सेना में स्थायी कमीशन दिया जाता है.
देश में स्थायी कमीशन के अलावा युवाओं को सेना में 10 से 14 वर्ष के सेवाकाल में सैन्य सेवा देने के लिए प्रवृत्त करने के लिए शॉर्ट सर्विस कमीशन का प्रावधान लाया गया था. इसके अनुसार सेवाकाल के बाद युवाओं में एक सैन्य अधिकारी की जीवनी के बाद दोबारा आम जिंदगी में शामिल होने का रास्ता सहज किया गया था.
13 लाख की भारतीय सेना में अधिकारियों की कमी पिछले कई वर्षो से नजर आ रही है. अधिकारियों की स्वीकृत संख्या 50,312 है, लेकिन इस समय 7500 अधिकारियों की कमी है. इस कमी को पूरा करने में आने वाले समय में कम से कम दस साल लगेंगे.
दरअसल सेना में अधिकारी बनने की इच्छा रखने वाले युवाओं की कमी चयन प्रक्रि या में ही देखी गई है. निर्धारित संख्या में छात्न सर्विसेस सिलेक्शन सेंटर में सभी टेस्ट में उत्तीर्ण नहीं हो पाते हैं. अब समय है कि सेना मुख्यालय और रक्षा मंत्नालय नए विकल्पों पर जल्द विचार करे और नए रास्ते तलाश कर सेना में अधिकारियों की कमी को जल्द-से-जल्द पूरा करे.