संदीप पांडेय का ब्लॉग: पूर्वोत्तर, कश्मीर पर घिरती नरेंद्र मोदी सरकार

By लोकमत समाचार ब्यूरो | Published: December 26, 2018 10:00 AM2018-12-26T10:00:18+5:302018-12-26T10:38:23+5:30

मोदी सरकार के साथ बातचीत में कुछ सहमति बनी बताई जाती है किंतु नगा लोग इस बारे में बहुत स्पष्ट हैं कि उन्हें एक पृथक संविधान व झंडा चाहिए. वे भारत के संविधान के तहत नहीं बल्कि भारत के साथ सह-अस्तित्व में रहना चाहते हैं.

Sandeep Pandey's Blog: The Northeast, the narendra modi Government on Kashmir | संदीप पांडेय का ब्लॉग: पूर्वोत्तर, कश्मीर पर घिरती नरेंद्र मोदी सरकार

तस्वीर का इस्तेमाल केवल प्रतीक के तौर पर किया गया है।

पहले तो भाजपा असम में राष्ट्रीय नागरिक पंजीकरण की प्रक्रिया को लेकर बहुत उत्साहित थी क्योंकि उसको लग रहा था इसमें वे सारे लोग चिह्न्ति हो जाएंगे जो बांग्लादेश से अवैध तरीके से 24 मार्च 1971, जिस दिन बांग्लादेश का निर्माण हुआ था और जैसा असम के छात्न आंदोलन तथा राजीव गांधी के बीच समझौते में तय हुआ था, के बाद भारत में घुस आए हैं और उन्हें वापस भेजा जा सकेगा. उनका अनुमान यह था कि ये ज्यादातर मुस्लिम समुदाय से होंगे. किंतु केंद्र सरकार को जब यह समझ में आया कि राष्ट्रीय नागरिक पंजीकरण में छूट गए 40.07 लाख लोगों में आधे से ज्यादा हिंदू हंै तो उसके हाथ-पांव फूल गए. 

अब वह नागरिकता संशोधन बिल की बात करने लगी है जिसके तहत बांग्लादेश, पाकिस्तान व अफगानिस्तान से भारत में 31 दिसंबर, 2014 के पहले आए सभी गैर-मुस्लिम लोगों के लिए भारत की नागरिकता प्राप्त करना आसान होगा. इस बिल का असम में काफी विरोध हो रहा है. जन नेता अखिल गोगोई के  नेतृत्व में करीब 70 संगठनों ने सरकार के खिलाफ सीधा मोर्चा खोल दिया है.

भाजपा के राष्ट्रीय नेताओं को इस बात का अंदाजा नहीं है कि गुजरात, महाराष्ट्र या हिंदी भाषी कुछ राज्यों की तरह असम में सांप्रदायिक भावना इतनी ज्यादा नहीं है. पड़ोस के नगालैंड में लोकप्रिय मांग तो स्वायत्तता की है. भारत सरकार के साथ पिछले 21 वर्षो से विभिन्न नगा समूहों की बातचीत चल रही है जो बेनतीजा रही है.

मोदी सरकार के साथ बातचीत में कुछ सहमति बनी बताई जाती है किंतु नगा लोग इस बारे में बहुत स्पष्ट हैं कि उन्हें एक पृथक संविधान व झंडा चाहिए. वे भारत के संविधान के तहत नहीं बल्कि भारत के साथ सह-अस्तित्व में रहना चाहते हैं.

मोदी सरकार में जम्मू व कश्मीर के हालात भी पहले से बदतर हुए हैं. जो लोग स्वायत्तता वाली भूमिका से भारत का हिस्सा बनने वाले विकल्प के ज्यादा नजदीक आ चुके थे वे भी आज भारत सरकार के वर्चस्व को स्वीकार कर पाने में अक्षम हैं. भारत सरकार ने जम्मू व कश्मीर के लोगों की भावनाओं को जो ठेस पहुंचाई उसकी क्षतिपूर्ति अल्प काल में बड़ी मुश्किल दिखाई पड़ती है.

Web Title: Sandeep Pandey's Blog: The Northeast, the narendra modi Government on Kashmir

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