सिर्फ औपचारिकता नहीं है गणतंत्र दिवस पर राष्ट्राध्यक्षों को आमंत्रण
By विवेक शुक्ला | Updated: January 18, 2025 06:52 IST2025-01-18T06:51:32+5:302025-01-18T06:52:09+5:30
एक बात और कि यह कभी-कभी एक राजनीतिक संकेत भी हो सकता है

सिर्फ औपचारिकता नहीं है गणतंत्र दिवस पर राष्ट्राध्यक्षों को आमंत्रण
भारत के मित्र देश इंडोनेशिया के राष्ट्रपति प्रबोवो सुबिआंतो आगामी गणतंत्र दिवस समारोह में मुख्य अतिथि के तौर पर शिरकत करेंगे. भारत के गणतंत्र दिवस समारोह में राष्ट्राध्यक्षों को आमंत्रित करना सिर्फ एक औपचारिकता नहीं है, बल्कि यह भारत की विदेश नीति का एक महत्वपूर्ण हिस्सा है. यह द्विपक्षीय संबंधों को मजबूत करने, सांस्कृतिक आदान-प्रदान को बढ़ावा देने और अंतरराष्ट्रीय मंच पर भारत की उपस्थिति को मजबूत करने का एक महत्वपूर्ण तरीका है. देखा जाए तो गणतंत्र दिवस पर राष्ट्राध्यक्षों को आमंत्रित करना भारत और उस देश के बीच मजबूत और मैत्रीपूर्ण संबंधों का प्रतीक है.
यह दोनों देशों के बीच राजनीतिक, आर्थिक और सांस्कृतिक सहयोग को बढ़ावा देने का एक अवसर है. कुछ मामलों में, यह निमंत्रण रणनीतिक साझेदारों के साथ संबंधों को गहरा करने का एक तरीका है, खासकर उन क्षेत्रों में जहां साझा हित हैं. गणतंत्र दिवस एक ऐसा मंच प्रदान करता है जहां भारत अपने अंतरराष्ट्रीय भागीदारों के साथ जुड़ सकता है और वैश्विक मुद्दों पर अपनी राय रख सकता है.
यह भी ध्यान रखना होगा कि गणतंत्र दिवस भारत के लोकतांत्रिक मूल्यों, सांस्कृतिक विविधता और प्रगति को प्रदर्शित करने का एक मंच है. एक विदेशी राष्ट्राध्यक्ष की उपस्थिति इस अवसर को और भी अधिक महत्वपूर्ण बनाती है और दुनिया भर में भारत की सकारात्मक छवि को बढ़ावा देती है.
एक बात और कि यह कभी-कभी एक राजनीतिक संकेत भी हो सकता है. उदाहरण के लिए, किसी विशेष देश को आमंत्रित करना उस देश के प्रति भारत के समर्थन या प्रशंसा का संकेत हो सकता है. मह्त्वपूर्ण यह भी है कि कभी-कभी किसी विशिष्ट वर्षगांठ या घटनाक्रम को चिह्नित करने के लिए एक विशेष राष्ट्राध्यक्ष को आमंत्रित किया जाता है.
संयोग से पहले गणतंत्र दिवस समारोह में भी इंडोनेशिया के ही राष्ट्रपति सुकर्णो मुख्य अतिथि थे. वे भारत के मित्र होने के साथ-साथ एक करिश्माई नेता थे, जिन्होंने इंडोनेशिया को डच औपनिवेशिक शासन से मुक्ति दिलाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई. वे एक प्रभावशाली वक्ता और राष्ट्रवादी नेता थे. भारत सरकार ने उन्हें बहुत सोच-विचार करने के बाद देश के पहले गणतंत्र दिवस समारोह के लिए आमंत्रित किया था. सुकर्णो भारत के एक बहुत बड़े प्रशंसक थे और उन्होंने भारत के साथ घनिष्ठ संबंध बनाए रखे. उनके भारत के पहले प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरू, ओडिशा के पूर्व मुख्यमंत्री बीजू पटनायक और कई अन्य नेताओं से गहरे संबंध थे. उन्होंने गुटनिरपेक्ष आंदोलन में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई थी.
भारत का पहला गणतंत्र दिवस समारोह राजधानी के नेशनल स्टेडियम (अब ध्यानचंद नेशनल स्टेडियम) में आयोजित किया गया था. पहले और 76वें गणतंत्र दिवस पर इंडोनेशिया के राष्ट्रपति का मुख्य अतिथि के रूप में शामिल होना भारत और इंडोनेशिया के बीच गहरे संबंधों का एक स्पष्ट प्रमाण है.