राजू पांडेय का ब्लॉग: मीडिया को स्वनियमन की जरूरत

By लोकमत न्यूज़ डेस्क | Updated: May 3, 2019 05:31 IST2019-05-03T05:31:01+5:302019-05-03T05:31:01+5:30

पूरी दुनिया के अनेक देशों में राजनेताओं द्वारा खुलेआम मीडिया के विषय में अपनी नफरत और शत्नुता के इजहार की बढ़ती प्रवृत्ति के कारण पत्नकारों के साथ हिंसा को प्रोत्साहन मिला है. इस विश्वव्यापी पैटर्न का विश्लेषण अनेक प्रकार से किया जा सकता है.

Raju Pandey Blog: Media needs self-regulation | राजू पांडेय का ब्लॉग: मीडिया को स्वनियमन की जरूरत

प्रतीकात्मक तस्वीर।

भारत 2019 के ग्लोबल प्रेस फ्रीडम इंडेक्स में 2 स्थानों की गिरावट के साथ कुल आकलित 180 देशों में 140 वें स्थान पर रहा. यह आकलन रिपोर्टर्स विदाउट बॉर्डर्स नामक नॉन प्रॉफिट ऑर्गेनाइजेशन द्वारा सन 2002 से प्रति वर्ष किया जाता है. इस संगठन का मुख्यालय पेरिस में है. संगठन की रिपोर्ट के अनुसार भारत में प्रेस की स्वतंत्नता का आकलन करते समय जो सबसे महत्वपूर्ण बात देखने में आई वह पत्नकारों के साथ होने वाली हिंसा में वृद्धि है- पत्नकार पुलिस और माओवादी लड़ाकों की हिंसा का शिकार हुए हैं तथा उन्हें भ्रष्ट राजनेताओं और अपराधी समूहों के बदले की कार्रवाई का सामना करना पड़ा है. वर्ष 2018 में अपने कार्य के दौरान कम से कम 6 भारतीय पत्नकार मारे गए. यह रिपोर्ट आगे कहती है कि ये हत्याएं उन खतरों को दर्शाती हैं जिनका सामना ग्रामीण इलाकों में अंग्रेजी भाषेतर पत्नकारों को करना पड़ता है. 

रिपोर्टर्स विदाउट बॉर्डर्स की प्रेस की स्वतंत्नता का आकलन करने की अपनी पद्धति है. वे मीडिया में बहुलताओं की स्वीकृति के स्तर, मीडिया की स्वतंत्नता, सामान्य वातावरण तथा सेल्फ सेंसरशिप, पारदर्शिता, कानूनी ढांचे की मजबूती एवं अधोसंरचना के स्तर पर समाचार एवं सूचना प्राप्त करने हेतु उपलब्ध सुविधाओं जैसे मानकों का प्रयोग करते हैं. रिपोर्ट बताती है कि पूरे विश्व में पत्नकारों के लिए सुरक्षित समङो जाने वाले देशों की संख्या कम हुई है क्योंकि अधिनायकवाद का आश्रय लेने वाली सरकारों ने मीडिया पर अपना शिकंजा कसा है जिसके कारण भय का वातावरण बना है. पूरी दुनिया के अनेक देशों में राजनेताओं द्वारा खुलेआम मीडिया के विषय में अपनी नफरत और शत्नुता के इजहार की बढ़ती प्रवृत्ति के कारण पत्नकारों के साथ हिंसा को प्रोत्साहन मिला है. इस विश्वव्यापी पैटर्न का विश्लेषण अनेक प्रकार से किया जा सकता है. पूरे विश्व में संकीर्ण राष्ट्रवाद की वकालत करने वाले नेताओं की संख्या बढ़ी है जिनकी विचारधारा के कारण अविश्वास, हिंसा और आक्रामकता को बढ़ावा मिला है.

स्वतंत्नता स्वस्थ और सबल मीडिया के विकास की पहली आवश्यकता है. यही कारण है कि उस आदर्श स्थिति तक पहुंचने की चेष्टा की जाती है जब मीडिया स्वयं यह तय करे कि उसे क्या और कैसे प्रस्तुत करना है बजाय कि कोई राजसत्ता या कानून यह तय करे कि मीडिया किस तरह चले. 

Web Title: Raju Pandey Blog: Media needs self-regulation

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