Rahul Gandhi's Big Allegation: भितरघात के कारणों की जांच के साथ अपने गिरेबान में भी झांकें?

By लोकमत समाचार सम्पादकीय | Updated: March 10, 2025 05:14 IST2025-03-10T05:14:29+5:302025-03-10T05:14:29+5:30

Rahul Gandhi's Big Allegation: पंचायत, तहसील और जिला स्तर से पार्टी की स्थिति जानने के बारे में तभी प्रयास किए जाते हैं, जब चुनाव आते हैं.

Rahul Gandhi's Big Allegation gujrat congress While investigating reasons behind betrayal look inside yourself as well | Rahul Gandhi's Big Allegation: भितरघात के कारणों की जांच के साथ अपने गिरेबान में भी झांकें?

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Highlightsकांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे ने कही होती तो उसे संगठन की चिंताओं से जोड़ा जा सकता था.आखिर क्यों एक नेता जाता और दूसरा बड़ा नेता कतार में खड़ा हो जाता है.नेता अपने आस-पास बैठे नेताओं को ही शक की निगाह से देखने लगे हैं.

Rahul Gandhi's Big Allegation: लोकसभा में नेता प्रतिपक्ष राहुल गांधीगुजरात दौरे के दौरान कुछ अलग अंदाज में दिखे. पिछले कुछ वर्षों से वह अपनी छवि में लगातार सुधार कर रहे हैं, लेकिन इस बार उन्होंने अपनी पार्टी की कमजोरी को समझ बदलाव की दिशा में प्रयास किए. उन्होंने संगठन के लोगों के साथ लंबी बैठकें कीं, जिसमें खूब सुना और कहा गया. राहुल गांधी ने कांग्रेस की कमियों को मानते हुए यहां तक कहा कि कुछ लोग पार्टी की विचारधारा को अपने दिल में रखते हैं और जनता के साथ खड़े हैं. कुछ लोग जनता से कटे हुए हैं और उनमें से आधे भाजपा के साथ हैं. आश्चर्यजनक रूप से यह बैठक राहुल गांधी अपने स्तर पर ले रहे थे, जिसमें उनके पास पार्टी का शीर्ष पद नहीं है. यह बात कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे ने कही होती तो उसे संगठन की चिंताओं से जोड़ा जा सकता था.

मगर जब अनेक बड़े नेता छोड़कर जा रहे हों और पार्टी को विपरीत विचारधारा वाले दलों से समझौते करने पड़ रहे हों तो दोष जाने वालों को नहीं दिया जा सकता है. सवाल भितरघात का बाद में ही आता है, पहले बात पार्टी से दूर जाने वाले नेताओं से ही आरंभ होनी चाहिए. आखिर क्यों एक नेता जाता और दूसरा बड़ा नेता कतार में खड़ा हो जाता है.

पार्टी के कुछ नेता उसके छोड़ने के पहले ही आगबबूला हो जाते हैं. दरअसल कांग्रेस को आत्मावलोकन की आवश्यकता है, किंतु वह भाजपा के सफल प्रदर्शन से इतनी कमजोर हो अपना आत्मविश्वास खोने लगी है. इसी कारण पार्टी के नेता अपने आस-पास बैठे नेताओं को ही शक की निगाह से देखने लगे हैं.

पार्टी में आमतौर पर संगठनात्मक रूप से मजबूती के यदि कुछ प्रयास होते हैं तो वे शीर्ष नेतृत्व की ओर से ही होते हैं. उन्हें ही ‘भारत जोड़ो यात्रा’ जैसे आयोजन कर दूर जाते लोगों को पास लाने के प्रयास करने पड़ते हैं. पंचायत, तहसील और जिला स्तर से पार्टी की स्थिति जानने के बारे में तभी प्रयास किए जाते हैं, जब चुनाव आते हैं.

उस दौरान दूसरे दल, खास तौर पर सत्ताधारी, कार्यकर्ताओं-नेताओं को अपनी ताकत से खींच लेते हैं. वहीं से आरंभ होती कमजोरी धीरे-धीरे इतनी अधिक हो जाती है कि चुनाव परिणाम बदल जाते हैं. भगवा दलों के सत्ता में आने के बाद से पिछले कुछ वर्षों में बारहमास नेताओं- कार्यकर्ताओं की राजनीतिक बैठकें- सम्मेलन के आयोजन का सिलसिला आरंभ हो गया है, जिसे चुनावों तक बखूबी चलाया जाता है.

किंतु कांग्रेस अपने नेताओं-कार्यकर्ताओं को लगातार सक्रिय रखने में कमजोर साबित होती है. वह अपने नेताओं के इंतजार में ही समय व्यतीत कर देती है. इस बीच, इधर-उधर का खेल हो जाता है तो उसकी जिम्मेदारी भी शीर्ष नेतृत्व पर तय की जानी चाहिए. इस परिदृश्य में केवल भाजपा का नाम लेने से काम नहीं चल सकता है. इस अंदरूनी बीमारी का हल अपने शरीर को दवा देने से मिल सकता है, दूसरों की तंदुरुस्ती देखने से नहीं. 

Web Title: Rahul Gandhi's Big Allegation gujrat congress While investigating reasons behind betrayal look inside yourself as well

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