रहीस सिंह का ब्लॉग: मसूद मामले में चीन के रवैये में बदलाव

By रहीस सिंह | Published: May 3, 2019 05:30 AM2019-05-03T05:30:47+5:302019-05-03T05:30:47+5:30

ध्यान रहे कि 19 अप्रैल को चीन ने इच्छा जाहिर की थी कि द्विपक्षीय संबंधों को बेहतर करने के लिए वह भारत के साथ फिर से वुहान बैठक (अनौपचारिक) शिखर वार्ता करना चाहता है. यही नहीं उसने यह भी स्पष्ट किया था कि दूसरे ‘बेल्ट एंड रोड फोरम’ (25 से 27 अप्रैल) में भारत के हिस्सा नहीं लेने से द्विपक्षीय संबंध प्रभावित नहीं होंगे.

Rahees Singh Blog: Changes in China attitude in Masood Azhar Case | रहीस सिंह का ब्लॉग: मसूद मामले में चीन के रवैये में बदलाव

चीन के राष्ट्रपति शी जिनपिंग की फाइल फोटो।

संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद में पाकिस्तान के आतंकवादी मसूद अजहर को अंतर्राष्ट्रीय आतंकवादी घोषित करने संबंधी प्रस्ताव पर चार बार ‘टेक्निकल होल्ड’ लगाने के बाद अंतत: चीन ने भी मान लिया कि वह आतंकवादी है. इसके बाद संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद द्वारा सर्वसम्मति से मसूद अजहर को अंतर्राष्ट्रीय आतंकवादी घोषित कर दिया गया.

इससे पहले चीन यह तर्क देता रहा है कि वह वस्तुनिष्ठ और सही तरीके से तथ्यों और कार्रवाई के महत्वपूर्ण नियमों पर आधारित संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद समिति के तहत मुद्दे सूचीबद्ध करने पर ध्यान देगा जिसकी स्थापना प्रस्ताव 1267 के तहत की गई है. लेकिन अब चीन यह कहता दिखा कि हमें प्रासंगिक संयुक्तराष्ट्र के निकायों के नियमों और प्रक्रियाओं को बरकरार रखना होगा, परस्पर सम्मान के सिद्धांत का पालन करना होगा, बातचीत के जरिए आपसी मतभेदों को सुलझाते हुए आम सहमति बनानी होगी और तकनीकी मुद्दों के राजनीतिकरण को रोकना होगा. सवाल यह उठता है कि अब उसे वस्तुनिष्ठता संबंधी तकनीकी कमी क्यों नहीं दिखी और वह इस मुद्दे पर यू-टर्न क्यों ले गया?

ध्यान रहे कि 19 अप्रैल को चीन ने इच्छा जाहिर की थी कि द्विपक्षीय संबंधों को बेहतर करने के लिए वह भारत के साथ फिर से वुहान बैठक (अनौपचारिक) शिखर वार्ता करना चाहता है. यही नहीं उसने यह भी स्पष्ट किया था कि  दूसरे ‘बेल्ट एंड रोड फोरम’ (25 से 27 अप्रैल) में भारत के हिस्सा नहीं लेने से द्विपक्षीय संबंध प्रभावित नहीं होंगे. उल्लेखनीय है कि भारत ने चीन-पाकिस्तान आíथक गलियारे को लेकर इस फोरम का बहिष्कार किया है क्योंकि सीपीईसी भारत की संप्रभुता का उल्लंघन करता है.

इससे भी महत्वपूर्ण बात यह है कि चीन के इस निर्णय से कुछ दिन पहले यानी 11 अप्रैल को अमेरिकी रक्षा मंत्रलय ने अमेरिकी संसद से कहा था कि चीन की अरबों डॉलर की बेल्ट एंड रोड पहल उसकी राष्ट्रीय शक्ति के कूटनीतिक, आर्थिक, सैन्य और सामाजिक तत्वों का मिश्रण है. इसके जरिए चीन अपनी वैश्विक निर्णायक नौसेना बनाने की कोशिश कर रहा है.

उसने यह चेतावनी भी दी है कि बीजिंग के ‘प्रतिकूल समझौते’ किसी देश की संप्रभुता को उसी तरह अपनी लपेट में ले रहे हैं, जैसे कि एनाकोंडा अपने शिकार को घेरकर खाता है. यूरोप के देशों की तरफ से भी ऐसी आवाजें सुनाई दे रही हैं. इसलिए अब चीन चाहता है कि भारत भले ही उसके बेल्ट एंड रोड इनीशिएटिव का हिस्सा न बने लेकिन वह अमेरिका व पश्चिमी देशों द्वारा इसके विरुद्घ छेड़ी जा रही मुहिम का हिस्सा भी न बने. अजहर मामले में उसका यह बदलाव इस नई रणनीति के लिए पेशगी भी हो सकती है. 

Web Title: Rahees Singh Blog: Changes in China attitude in Masood Azhar Case

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