प्रमोद भार्गव का ब्लॉग: ध्वनि तरंगों के जरिये रोग नियंत्रण के उपाय
By प्रमोद भार्गव | Published: April 1, 2020 05:43 AM2020-04-01T05:43:53+5:302020-04-01T05:43:53+5:30
आजकल मंत्रों में निहित ऊर्जा को पढ़ने की कोशिश मुंगेर के योग विश्वविद्यालय में की जा रही है. दुनिया के चुनिंदा 50 विश्व-विद्यालयों के 500 वैज्ञानिक कण-भौतिकी (क्वांटम फिजिक्स) पर शोध कर रहे हैं. इस शोध के केंद्र में ‘टेलीपोर्टेशन ऑफ क्वांटम एनर्जी’’ विषय है. शोध के इस केंद्र में भारतीय योग, ध्यान परंपरा व पूजा-पाठ में उपयोग में लाए जाने वाले वाद्य-यंत्रों से होने वाले ‘नाद’ का अनुसंधान भी है.
नोवेल कोरोना वायरस यानी कोविड-19 के पूरी दुनिया में फैलने के बाद यह साफ हो गया है कि यह विषाणु उन लोगों पर ज्यादा हमलावर हो रहा है, जिनकी रोग प्रतिरोधक क्षमता कम है. ऐसे लोगों में 60 साल की उम्र से ज्यादा के बुजुर्ग और 10 साल से कम आयु के बच्चे शामिल हैं. अभी तक कोरोना से पीड़ित जितने भी लोगों की मौतें हुई हैं, उनमें 99.9 प्रतिशत लोग इसी आयु वर्ग के हैं. वर्तमान मानव समुदाय की जीवन-शैली में रहन-सहन, खानपान संबंधी जो बदलाव आए हैं, उनके चलते मनुष्य तनावग्रस्त हुआ है. नतीजतन उसकी रोगों से लड़ने की प्रतिरोधक क्षमता निरंतर कम हो रही है.
हमारे वैदिक ग्रंथों और सनातन जीवन शैली व दिनचर्या में अनेक ऐसे उपाय हैं, जिनके उच्चारण और उनकी ध्वनि तरंगों के प्रभाव में आने से शरीर में अतिरिक्त ऊर्जा का संचार होता है, जिससे स्वाभाविक रूप में प्रतिरोधक क्षमता बढ़ती है और विषाणु व जीवाणुओं से लड़ने में प्रतिरक्षा तंत्र मजबूत होता है.
आजकल मंत्रों में निहित ऊर्जा को पढ़ने की कोशिश मुंगेर के योग विश्वविद्यालय में की जा रही है. दुनिया के चुनिंदा 50 विश्व-विद्यालयों के 500 वैज्ञानिक कण-भौतिकी (क्वांटम फिजिक्स) पर शोध कर रहे हैं. इस शोध के केंद्र में ‘टेलीपोर्टेशन ऑफ क्वांटम एनर्जी’’ विषय है. शोध के इस केंद्र में भारतीय योग, ध्यान परंपरा व पूजा-पाठ में उपयोग में लाए जाने वाले वाद्य-यंत्रों से होने वाले ‘नाद’ का अनुसंधान भी है.
इस शोध के दौरान मंत्रों के उच्चरण से उत्पन्न ऊर्जा को क्वांटम मशीन के जरिए मापा भी गया है. शोध के नेतृत्वकर्ता स्वामी निरंजन सरस्वती का कहना है कि ‘क्वांटम मशीन विज्ञान जगत में अपनी तरह का अनूठा यंत्र है. इसके सम्मुख जब महामृत्युंजय मंत्र का उच्चारण किया गया तो इतनी अधिक ऊर्जा उत्पन्न हुई कि इसमें लगे मीटर का कांटा अंतिम बिंदु पर पहुंचकर थिरकने लगा. यह गति इतनी तीव्र थी कि यदि यह मीटर अद्र्घगोलाकार की जगह गोलाकार होता तो कांटा कई चक्कर लगा चुका होता. इस नाद या ‘घोष’ का अर्थ है कि संसार की सभी जड़ एवं चैतन्य संरचनाएं स्पंदित ऊर्जा की निरंतर क्रियाएं हैं.
अमेरिका के पडर्य़ू विश्व-विद्यालय के अभियंताओं ने एक ऐसा उपकरण विकसित किया है, जो ऊतक के नमूनों में रोग के स्तर को ध्वनि तरंगों के माध्यम से माप सकता है. यह उपकरण कैंसर की बीमारी को ठीक करने के नए तरीकों को ईजाद करने में कारगार साबित हो सकता है. यह चिपनुमा उपकरण मानव शरीर में आसपास की कोशिकाओं की संरचना को सख्त बनाने वाले ऊतकों को ध्वनि तरंगों के माध्यम से सुनता है व संकेत देता है कि कैंसर ऊतकों को क्षतिग्रस्त कर रहा है अथवा नहीं.