ब्लॉगः केंद्र और दिल्ली सरकार में विवाद, घर-घर अनाज योजना में अड़ंगा क्यों?

By वेद प्रताप वैदिक | Updated: June 9, 2021 13:23 IST2021-06-09T13:22:43+5:302021-06-09T13:23:55+5:30

दिल्ली की केजरीवाल सरकार लगभग 72 लाख लोगों को अनाज उनके घरों तक पहुंचाना चाहती है लेकिन केंद्र सरकार ने उस पर रोक लगा दी है.

Pradhan Mantri Garib Kalyan Yojana pm narendra modi cm arvind kejriwal grain scheme ved pratap vaidik blog | ब्लॉगः केंद्र और दिल्ली सरकार में विवाद, घर-घर अनाज योजना में अड़ंगा क्यों?

सस्ते अनाज पर देश में ‘राशन माफिया’ की एक फौज पलती जा रही है. (file photo)

Highlights‘प्रधानमंत्नी गरीब कल्याण योजना’ के तहत राशन की दुकानों से बहुत कम दामों पर अनाज पहले से मिल रहा है. बुजुर्ग गरीब लोगों को उन दुकानों तक पहुंचने और कतार में खड़े रहने में काफी दिक्कत महसूस होती है.दुकानों का बहुत-सा माल चोरी-छिपे मोटे दामों पर खुले बाजारों में बिकता रहता है.

केंद्र सरकार और दिल्ली की सरकार के बीच आजकल अजीब-सा विवाद चल रहा है.

दिल्ली की केजरीवाल सरकार दिल्ली के लगभग 72 लाख लोगों को अनाज उनके घरों तक पहुंचाना चाहती है लेकिन केंद्र सरकार ने उस पर रोक लगा दी है. इन गरीबी की रेखा के नीचेवाले लोगों को ‘प्रधानमंत्नी गरीब कल्याण योजना’ के तहत राशन की दुकानों से बहुत कम दामों पर अनाज पहले से मिल रहा है.

इसके बावजूद दिल्ली सरकार ने राशन का यह सस्ता अनाज लोगों को घर-घर पहुंचाने की योजना इसलिए बनाई है कि एक तो राशन की दुकानों पर लगनेवाली भीड़ से महामारी का खतरा बढ़ जाता है. दूसरा, बुजुर्ग गरीब लोगों को उन दुकानों तक पहुंचने और कतार में खड़े रहने में काफी दिक्कत महसूस होती है और तीसरा, इन दुकानों का बहुत-सा माल चोरी-छिपे मोटे दामों पर खुले बाजारों में बिकता रहता है.

इस सस्ते अनाज पर देश में ‘राशन माफिया’ की एक फौज पलती जा रही है. इसीलिए दिल्ली सरकार ने अनाज घर-घर पहुंचाने की योजना बनाई है. इस योजना को पिछले साल से लागू करने पर वह अडिग है. पांच बार उसने केंद्र से इसकी अनुमति मांगी है लेकिन केंद्र सरकार इस पर कोई न कोई अड़ंगा लगा देती है. उसका पहला अड़ंगा तो यही था कि इसका नाम ‘मुख्यमंत्नी घर-घर योजना’ क्यों रखा गया?

मुख्यमंत्नी शब्द इसमें से हटाया जाए. केजरीवाल ने हटा लिया. क्यों हटा लिया? यदि मुख्यमंत्नी के नाम से कोई योजना नहीं चल सकती तो प्रधानमंत्नी के नाम से दर्जनों योजनाएं कैसे चल रही हैं? मुङो आश्चर्य है कि केजरीवाल ने सभी योजनाओं से प्रधानमंत्नी शब्द को हटाने की मांग क्यों नहीं की?

इसमें शक नहीं कि दिल्ली की आम आदमी पार्टी सरकार की यह योजना भारत में ही नहीं, सारे संसार में बेजोड़ है लेकिन उसे सफलतापूर्वक लागू कैसे किया जाएगा? यदि केंद्र सरकार को इसमें कुछ संशय है तो वह जायज है. 72 लाख लोगों तक अनाज पहुंचाने के लिए हजारों स्वयंसेवकों की जरूरत होगी. उन्हें कहां से लाया जाएगा?

यदि उन्हें मेहनताना देना पड़ गया तो करोड़ों रुपए की यह भरपाई कैसे होगी? इस बात की क्या गारंटी है कि इस घर-घर अनाज-वितरण में मोटी धांधली नहीं होगी? इन सब संशयों के बावजूद केंद्र सरकार को चाहिए कि इस पहल में वह कोई अड़ंगा नहीं लगाए. आगे चल कर यदि वह गड़बड़ाए तो इसे तत्काल रोका जा सकता है.

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