पीयूष पांडे का ब्लॉग: एक निठल्ले टिकटॉक स्टार की आत्मकथा
By लोकमत न्यूज़ डेस्क | Updated: July 18, 2020 11:06 IST2020-07-18T11:06:34+5:302020-07-18T11:06:34+5:30
कुछ न्यूज चैनलों को मुझमें टीआरपी की अपार संभावनाएं दिखी तो मुझे टिकटॉक का ‘क्राइंग स्टार’ यानी रोंदू नायक का खिताब देते हुए स्टूडियो बुलाया गया.

पीयूष पांडे का ब्लॉग: एक निठल्ले टिकटॉक स्टार की आत्मकथा
पीयूष पांडे
बात बहुत पुरानी नहीं है, जब मैं मलूकदास का भक्त हुआ करता था और निठल्ला रहकर आराम से जीवन व्यतीत कर रहा था. अपने गुरु के इस अमर वाक्य ‘अजगर करे न चाकरी, पंछी करे न काम, दास मलूका कह गए सब के दाता राम’ को अक्षरश: मानते हुए मैंने घर में पिताजी को दाता राम के स्थान पर रखा था. एक दिन रजाई में आराम फरमाते हुए मैंने यूं ही पिताजी को बोल दिया- ‘जरा रसोई से पानी ला देना.’ इसके बाद जाने कैसे मेरे सीधे साधे दाता राम के शरीर में सिंघम टाइप किसी हिंदुस्तानी पुलिस इंस्पेक्टर की आत्मा प्रवेश कर गई.
उन्होंने मेरा ही क्रिकेट बैट उठाकर मेरी ठुकाई शुरू कर दी. पिटते वक्त मुझे एक गहरी बात समझ आई. वो ये कि पिटते वक्त आपको कुछ नहीं करना होता. सिवाय इसके कि अपने सिर को नीचे झुकाकर शरीर को गुड़ी-मुड़ी बना लेना होता है और हाय दैया-हाय मैया चिल्लाना होता है. इसके बाद शरीर में एक रहस्यमय किस्म की सुस्ती पसर जाती है. फिर पता नहीं लगता कि पिटाई किस भाव में हुई?
मैं पिटने के बाद अपने दोस्त के यहां गया और बहुत रोया. अपने देश में निजता का ज्यादा सम्मान कर दो तो बंदा उसे अपनी उपेक्षा मान लेता है. दोस्त ने मेरी निजता का कतई सम्मान न करते हुए टीवी रिपोर्टर की तरह सबके सामने पूछा- अब तो पिट चुके हो, अब घर लौटोगे या यहीं से कहीं जाना है? मैंने कहा- अब घर तभी जाऊंगा, जब कुछ बन जाऊंगा.
जिस तरह घोषणापत्र में किए वादे कभी-कभी नेता पूरा कर देते हैं, उसी तरह भगवान भी निठल्लों की कभी कभी सुन लेता है. मेरे साथ भी यही हुआ. दोस्त ने मेरे रोने और मेरे दावे का वीडियो बना लिया और टिकटॉक पर डाल दिया. मजे की बात यह है कि इस देश के गरीब वर्षों से रो रहे हैं, उन्हें देखने वाला कोई नहीं. लेकिन, मुझे रोते हुए देखने के लिए लोग टूट पड़े. मेरा रोना सुपर वायरल हो गया.
कुछ न्यूज चैनलों को मुझमें टीआरपी की अपार संभावनाएं दिखी तो मुझे टिकटॉक का ‘क्राइंग स्टार’ यानी रोंदू नायक का खिताब देते हुए स्टूडियो बुलाया गया. फिर मुझे जगह-जगह रोने के लिए बुलाया जाने लगा. मेरे रोते हुए वीडियो हिट होने लगे और मैं देखते देखते टिकटॉक स्टार हो गया.
जिस तरह हर कार्यकर्ता विधायक बनने का ख्वाब देखता है, मैं भी टिकटॉक स्टार होने के बाद फिल्मों का सपना देखने लगा. मैंने सपना देखा ही था कि सरकार ने मेरा सपना तोड़ दिया. सरकार ने चाबुक तो चीन पर चलाया, लेकिन चोट लगी मुझे. मेरा एकाउंट बंद हो चुका है. मेरी सारी संभावित गर्लफ्रेंड विदा हो गई हैं. मैं फिर निठल्ला हूं. करमजले जिनपिंग, बॉर्डर पर तेरी हरकतों ने मेरे जैसे हजारों टिकटॉक सितारों को निठल्ला बनाया है. तुझे हमारी हाय लगेगी