पीयूष पांडे का ब्लॉग: बारिश और बीएमसी की कुंडली में ‘गाली योग’
By पीयूष पाण्डेय | Published: June 12, 2021 03:17 PM2021-06-12T15:17:27+5:302021-06-12T15:17:27+5:30
आम इंसानों की तरह अनेक संस्थानों-विभागों की कुंडली में भी गाली ग्रहण योग देखा गया है। इनमें बीएमसी जैसा विभाग भी है।
ज्योतिष में एक ‘बुध आदित्य योग’ होता है। ज्योतिष के मर्मज्ञ मानते हैं कि यह बहुत सामान्य योग है, जो हर चौथे-पांचवें व्यक्ति की कुंडली में मिल जाता है। लेकिन, ज्योतिष के जानकारों ने जिस एक योग पर बिल्कुल शोध नहीं किया, वो है ‘गाली ग्रहण’ योग। सामान्य तौर पर कहें तो गाली खाऊ योग। प्राय: देखा गया है कि राजनेता की कुंडली में यह योग अनिवार्य रूप से होता है। उसकी कुंडली में कितने भी राजयोग क्यों न हों, गाली ग्रहण योग होता ही है। अनुभवी बताते हैं कि पति बनते ही लाखों लोगों की जन्मपत्नी में यह योग सक्रि य हो जाता है, और शादी के साल बीतते-बीतते घातक रूप ले लेता है।
मुंबई में मानसून के दस्तक देते ही लोग बीएमसी के पूर्वजों को अपनी गालियों में याद करने लगते हैं। हर वर्ष बारिश में बीएमसी की कुंडली में गाली ग्रहण योग जागृत होता है, जब उसे हर जगह गरियाया जाता है। लेकिन जिस तरह राजनेता गाली ग्रहण योग की चिंता नहीं करता, उसी तरह बीएमसी भी नहीं करती। लोग भले उसे कितना भी लापरवाह, भ्रष्ट, मक्कार वगैरह विभूषणों से नवाजें, बीएमसी को फर्क नहीं पड़ता।
वैसे, मैं बीएमसी के साथ हूं। एक तो आनंद बख्शी साहब कह गए हैं कि कुछ तो लोग कहेंगे लोगों का काम है कहना। फिर मेरे सूत्न बताते हैं कि बीएमसी अधिकारियों ने मुंबई में जगह-जगह पानी भरने को लेकर जो अपनी रिपोर्ट आलाकमान को सौंपी है, उसमें साफ-साफ बताया है कि वो क्यों जलभराव की समस्या का निराकरण नहीं करती। इस गुप्त रिपोर्ट के कुछ मुख्य बिंदु निम्नलिखित हैं।
- जलभराव की समस्या सुलझी तो लोगों की इस समस्या को लेकर विकसित हुई ‘हर्ड इम्युनिटी’ खत्म हो जाएगी। अभी कितनी भी बारिश हो, भरे पानी में लोग बिना डरे काम पर निकल जाते हैं।
- मुंबई का गरीब आदमी कभी वेनिस नहीं जा सकता इसलिए जलभराव दरअसल बीएमसी की घर बैठे वेनिस दर्शन योजना है। सरकार को इसमें बारिश के दिनों में हिंडोला और चलाना चाहिए ताकि युवा प्रेमी हिंडोले में बैठकर ‘वो कश्ती वाला क्या गा रहा है’ गा सकें।
- मुंबई का जलभराव लोगों को फिट बनाता है। पानी भरे गड्ढे में गिरने की चिंता से लोग सजग रहते हैं और भरे नाले को कूदकर पार करने के लिए फिटनेस पर ध्यान देते हैं।
- जल ही जीवन है और जलभराव से लोगों को प्रकृति के करीब रहने का अनुभव मिलता है।
- स्कूल की छुट्टियां होती हैं। इससे बच्चों के जीवन पर दबाव कम होता है।