पंकज चतुर्वेदी का ब्लॉग: बीमारी बांटता हिंडन का विषैला जल

By लोकमत समाचार ब्यूरो | Updated: January 3, 2020 16:09 IST2020-01-03T16:07:54+5:302020-01-03T16:09:03+5:30

जानना जरूरी है कि हिंडन के पानी से सींची गई फसल, फल-सब्जी आदि दिल्ली की जरूरतों को पूरा करती है. अगस्त 2018 में एनजीटी के सामने बागपत जिले के गांगनोली गांव के बारे में एक अध्ययन प्रस्तुत किया गया जिसमें बताया गया कि गांव में अभी तक 71 लोग कैंसर के कारण मर चुके हैं और 47 अन्य अभी भी इसकी चपेट में हैं. गांव में एक हजार से अधिक लोग पेट के गंभीर रोगों से ग्रस्त हैं और इसका मुख्य कारण हिंडन व कृष्णा का जहर ही है.

Pankaj Chaturvedi blog: Hindon River poisonous water causes diseases | पंकज चतुर्वेदी का ब्लॉग: बीमारी बांटता हिंडन का विषैला जल

गाजियाबाद में हिंडन नदी। (Image Courtesy: Facebook/River Hindon Ghaziabad)

राजधानी दिल्ली से सटे पश्चिमी उत्तर प्रदेश की कभी जीवन-रेखा रही हिंडन व उसकी सहायक कृष्णा व काली नदियों के हालात इतने खराब हो गए हैं कि उनका जहर अब दिल्ली के लोगों की सेहत भी खराब कर रहा है. सहारनपुर, बागपत, मेरठ, शामली, मुजफ्फरनगर और गाजियाबाद के ग्रामीण अंचलों में नदियों ने भूजल को भी गहरे तक विषैला कर दिया है.

तीन साल पहले अक्तूबर 2016 में ही एनजीटी ने नदी किनारे के हजारों हैंडपंप बंद कर गांवों में पानी की वैकल्पिक व्यवस्था का आदेश दिया था. कुछ हैंडपंप तो बंद भी हुए लेकिन विकल्प न मिलने से मजबूर ग्रामीण वही जहर पी रहे हैं. एनजीटी ने भी यह मान ही लिया है कि पानी को प्रदूषण से बचाने के लिए धरातल पर कुछ काम हुआ ही नहीं.

हिंडन नदी भले ही उत्तर प्रदेश में बहती हो और उसके विषमय जल ने गांव-गांव में तबाही मचा रखी हो, लेकिन अब दिल्ली भी इसके प्रकोप से अछूती नहीं है.

जानना जरूरी है कि हिंडन के पानी से सींची गई फसल, फल-सब्जी आदि दिल्ली की जरूरतों को पूरा करती है. अगस्त 2018 में एनजीटी के सामने बागपत जिले के गांगनोली गांव के बारे में एक अध्ययन प्रस्तुत किया गया जिसमें बताया गया कि गांव में अभी तक 71 लोग कैंसर के कारण मर चुके हैं और 47 अन्य अभी भी इसकी चपेट में हैं. गांव में एक हजार से अधिक लोग पेट के गंभीर रोगों से ग्रस्त हैं और इसका मुख्य कारण हिंडन व कृष्णा का जहर ही है.

इस पर एनजीटी ने एक विशेषज्ञ समिति का गठन किया जिसकी रिपोर्ट  फरवरी 2019 में पेश की गई. इस रिपोर्ट में बताया गया कि हिंडन व उसकी सहायक नदियों के प्रदूषण के लिए मुजफ्फरनगर, शामली, मेरठ, बागपत, गाजियाबाद और गौतम बुद्ध नगर जिलों में अनुपचारित सीवेज और औद्योगिक अपशिष्ट जिम्मेदार है.

एनजीटी ने तब आदेश दिया कि यह सुनिश्चित किया जाए कि हिंडन का जल कम से कम नहाने काबिल तो हो. मार्च 2019 में कहा गया कि इसके लिए एक ठोस कार्य योजना छह महीने में पेश की जाए. समय सीमा निकल गई लेकिन बात कागजी घोड़ों से आगे बढ़ी ही नहीं.

हिंडन नदी जहां भी शहरी क्षेत्रों से गुजर रही है, इसके जल-ग्रहण क्षेत्र में बहुमंजिला आवास बना दिए गए और इन कॉलोनियों के अपशिष्ट भी इसी में जाने लगे हैं. नए पुल, मेट्रो आदि के निर्माण में हिंडन को सुखा कर वहां कांक्रीट उगाने में हर कानून को निर्ममता से कुचला जाता रहा.

आज भी गाजियाबाद जिले में हिंडन के तट पर कूड़ा फेंकने, मलबा या गंदा पानी डालने से किसी को न तो भय है न ही संकोच. अब नदी के जहर का दायरा विस्तारित होता जा रहा है और उसकी जद में वे सब भी आएंगे जो नदी को जहर बनाने के पाप में लिप्त हैं. 

Web Title: Pankaj Chaturvedi blog: Hindon River poisonous water causes diseases

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