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शोभना जैन का ब्लॉग: मोदी की जीत और पाक की ख्वाहिश

By शोभना जैन | Updated: May 25, 2019 13:22 IST

सेना की बैसाखियों के सहारे चुन कर आए इमरान खान की सरकार एक तरफ तो सीमापार से लगातार भारत के खिलाफ आतंक जारी रखे हुए है, वहीं दूसरी तरफ रह-रह कर बातचीत की भी पेशकश करती रही है.

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देश को झकझोरने वाला पुलवामा आतंकी हमला, और उसका बदला लेने के लिए पाक सीमा में जाकर किए गए बालाकोट हवाई हमले ने हाल के लोकसभा चुनाव की हवा ही बदल दी. अन्य कुछ मुद्दों के साथ बालाकोट एक मुख्य चुनावी मुद्दा बन कर उभरा. दूसरी बार जनादेश के लिए चुनाव में उतरी मोदी सरकार को अप्रत्याशित सफलता मिली. 

दुनिया भर के नेताओं के साथ पाकिस्तान के प्रधानमंत्नी इमरान खान ने भी प्रधानमंत्नी मोदी को बधाई संदेश भेजा. लेकिन यह संदेश औरों से कुछ अलग था, और इसके मायने भी औरों से अलग हैं. भारत के प्रधानमंत्नी मोदी को दिए इस बधाई संदेश में इमरान ने  एक बार फिर  दक्षिण एशिया क्षेत्न में  शांति, प्रगति और समृद्धि के लिए मिल कर काम करने की कामना की. इससे पूर्व भी भारत के चुनावों के दौरान इमरान खान ने कहा था कि अगर पीएम मोदी लोकसभा चुनाव के बाद एक बार फिर पीएम बनते हैं तो दोनों देशों के बीच बातचीत का रास्ता एक बार फिर खुल सकता है. विदेशी पत्नकारों के साथ इस बातचीत में इमरान खान ने तब कहा था कि अगर भाजपा सत्ता में आई तो कश्मीर मुद्दे का कोई हल निकल सकता है.

वैसे सेना की बैसाखियों के सहारे चुन कर आए इमरान खान की सरकार एक तरफ तो सीमापार से लगातार भारत के खिलाफ आतंक जारी रखे हुए है, वहीं दूसरी तरफ रह-रह कर बातचीत की भी पेशकश करती रही है. अगस्त 2018 में इमरान ने चुन कर आते ही यह पेशकश करते हुए कहा था कि अगर भारत एक कदम उठाता है तो पाकिस्तान दो कदम उठाने को तैयार है. लेकिन हर बार की तरह पाक प्रायोजित आतंकवाद जारी रहा. ऐसे में अब जबकि मोदी सरकार अपनी दूसरी पारी में भारी बहुमत से आई है, उसकी दूसरी पारी में सरकार की विदेश नीति से जुड़ा एक अहम मुद्दा है कि मोदी सरकार-2 की पाकिस्तान के बारे में अब कैसी नीति रहेगी?

वैसे पिछली पारी की शुरुआत करते हुए अपनी सरकार के शपथ ग्रहण समारोह में तब पीएम मोदी ने पाकिस्तान सहित सभी दक्षेस देशों के राष्ट्राध्यक्षों को आमंत्रित कर इस क्षेत्न में शांति और सौहाद्र्र की एक नई पहल का संकेत दिया था. इसी क्रम को जारी रखते हुए फिर पाकिस्तान के तत्कालीन प्रधानमंत्नी नवाज शरीफ के परिवार के एक विवाह समारोह में शामिल होने जैसा आपसी भरोसा बढ़ाने वाला एक और कदम बढ़ाया. लेकिन उसके बाद पठानकोट, उड़ी आतंकी हमले  हुए और संघर्ष विराम का उल्लंघन लगातार जारी रहा और इसी कड़ी में  फिर पुलवामा हमला हुआ जिससे आखिरकार नरमी वाले कदमों के बाद बालाकोट हमले जैसी आक्रामक नीति अपनाई गई.

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