राजनीतिः कर्नाटक के नाटक का अंत तो तय है? सिद्धांत हारेंगे, सियासत जीत जाएगी!
By प्रदीप द्विवेदी | Published: July 13, 2019 06:04 AM2019-07-13T06:04:06+5:302019-07-13T06:04:06+5:30
कर्नाटक में कांग्रेस-जेडीएस के 16 बागी विधायकों के इस्तीफे के मामले में सुप्रीम कोर्ट ने यथास्थिति बनाए रखने का निर्देश दिया है. इसके बाद, सीएम एचडी कुमारस्वामी ने विधानसभा अध्यक्ष रमेश कुमार से कुछ वक्त की मांग की है, ताकि वे सदन में बहुमत साबित कर सकें, लेकिन क्या वे ऐसा कर पाएंगे?
कर्नाटक में कांग्रेस-जेडीएस के 16 बागी विधायकों के इस्तीफे के मामले में सुप्रीम कोर्ट ने यथास्थिति बनाए रखने का निर्देश दिया है. इसके बाद, सीएम एचडी कुमारस्वामी ने विधानसभा अध्यक्ष रमेश कुमार से कुछ वक्त की मांग की है, ताकि वे सदन में बहुमत साबित कर सकें, लेकिन क्या वे ऐसा कर पाएंगे?
कर्नाटक की राजनीतिक हालत यह है कि- छूरी तरबूज पर गिरे या तरबूज छूरी पर, कटना तरबूज को ही है, क्योंकि सियासी संभावनाएं कुछ ऐसी हैं...
एक- बागी 16 विधायक कुमारस्वामी सरकार के खिलाफ मतदान करेंगे तो सरकार को 100 वोट मिलेंगे, जो बहुमत से 12 कम होंगे. बागियों की सदस्यता खत्म हो जाएगी, लेकिन कुमारस्वामी की सरकार भी बच नहीं पाएगी.
दो- कांग्रेस के बागी विधायकों के त्यागपत्र स्वीकार हो जाएं, तब भी बहुमत के लिए 104 विधायकों की जरूरत होगी, अर्थात... सरकार तब भी बच नहीं पाएगी.
तीन- कांग्रेस के बागी विधायकों के त्यागपत्र स्वीकार नहीं हों, लेकिन बागी 16 विधायक सदन से गैर-मौजूद रहें, तो सदस्य संख्या रहेगी 207, मतलब... तब भी सरकार के लिए बहुमत के लिए जरूरी आंकड़े से 4 वोट कम रह जाएंगे.
चार- यदि कांग्रेस के बागी एमएलए अयोग्य करार दिए जाते हैं तब भी बहुमत के लिए 104 समर्थक चाहिए, जाहिर है, इस हालत में भी सरकार गिर जाएगी.
राजनीतिक जानकारों का मानना है कि... कर्नाटक के नाटक का अंत तो तय है, सियासी सिद्धांत हारेंगे, जोड़तोड़ की राजनीति जीत जाएगी.
याद रहे, सियासी जोड़तोड़ के चलते अब तक कांग्रेस के 13 और जेडीएस के 3 विधायकों ने इस्तीफा दिया है. अब तक का सियासी समीकरण बताता है कि राजनीतिक गणित सरकार के पक्ष में लाने के लिए कम-से-कम चार विधायकों की जरूरत है, वरना सरकार का चारों खाने चित होना तय है!