ब्लॉग: जलवायु परिवर्तन की मार से बेहाल हो रहे हैं सागर

By पंकज चतुर्वेदी | Updated: December 23, 2024 07:20 IST2024-12-23T07:17:32+5:302024-12-23T07:20:08+5:30

इसमें बताया गया है कि यदि हम इस दिशा में संभले नहीं तो लू की मार तीन से चार गुना बढ़ेगी व इसके चलते समुद्र का जलस्तर 30 सेंटीमीटर तक उठ सकता है.

Oceans are suffering due to climate change | ब्लॉग: जलवायु परिवर्तन की मार से बेहाल हो रहे हैं सागर

ब्लॉग: जलवायु परिवर्तन की मार से बेहाल हो रहे हैं सागर

भारत सरकार के पृथ्वी-विज्ञान मंत्रालय की रिपोर्ट के अनुसार, जलवायु परिवर्तन के कारण समुद्र बहुत अधिक प्रभावित हो रहे हैं. समझना होगा  कि  वैश्विक गर्मी का 93 फीसदी हिस्सा समुद्र पहले तो उदरस्थ कर लेते हैं फिर जब उसे उगलते हैं तो ढेर सारी व्याधियां प्रकृति के लिए पैदा होती हैं. बहुत सी चरम प्राकृतिक आपदाओं जैसे कि बरसात, लू, चक्रवात, जलस्तर में वृद्धि आदि का मूल कारक महासागर या समुद्र के नैसर्गिक स्वरूप में बदलाव है. जब परिवेश की गर्मी के कारण समुद्र का तापमान बढ़ता है तो अधिक बादल पैदा होने से भयंकर बरसात, गर्मी के केंद्रित होने से चक्रवात, समुद्र की गर्म भाप के कारण तटीय इलाकों में बेहद गर्मी बढ़ने जैसी घटनाएं होती हैं.

भारत में पश्चिम के गुजरात से नीचे आते हुए कोंकण, फिर मलाबार और कन्याकुमारी से ऊपर की ओर घूमते हुए कोरामंडल और आगे बंगाल के सुंदरबन तक कोई 5600 किमी सागर तट है. यहां नेशनल पार्क व सेंचुरी जैसे 33 संरक्षित क्षेत्र हैं.

इनके तटों पर रहने वाले करोड़ों लोगों की आजीविका का साधन समुद्र से उपजे मछली व अन्य उत्पाद ही हैं. लेकिन विडंबना है कि हमारे समुद्री तटों का पर्यावरणीय संतुलन तेजी से गड़बड़ा रहा है. मुंबई महानगर को कोई 40 किमी समुद्र तट का प्राकृतिक-आशीर्वाद मिला हुआ है, लेकिन इसके नैसर्गिक रूप से छेड़छाड़ का ही परिणाम है कि यह वरदान अब महानगर के लिए आफत बन गया है. कफ परेड से गिरगांव चौपाटी तक कभी केवल सुनहरी रेत, चमकती चट्टानें और नारियल के पेड़ झूमते दिखते थे.

कोई 80 साल पहले अंग्रेज शासकों ने वहां से पुराने बंगलों को हटा कर मरीन ड्राइव और बिजनेस सेंटर का निर्माण करवा दिया. उसके बाद तो मुंबई के समुद्री तट गंदगी, अतिक्रमण और बदबू के भंडार बन गए. जुहू चौपाटी के छोटे से हिस्से और फौज के कब्जे वाले नवल चौपाटी (कोलाबा) के अलावा समूचा समुद्री किनारा कचरे व मलबे के ढेर में तब्दील हो गया है.

‘असेसमेंट ऑफ क्लाइमेट चेंज ओवर द इंडियन रीजन’ शीर्षक की यह रिपोर्ट भारत द्वारा तैयार आपने तरह का पहला दस्तावेज है जो देश को जलवायु परिवर्तन के संभावित खतरों के प्रति आगाह करता है व सुझाव भी देता है. इसमें बताया गया है कि यदि हम इस दिशा में संभले नहीं तो लू की मार तीन से चार गुना बढ़ेगी व इसके चलते समुद्र का जलस्तर 30 सेंटीमीटर तक उठ सकता है.

जलवायु परिवर्तन पर 2019 में जारी इंटर गवर्नमेंट समूह (आईपीसीसी) की विशेष रिपोर्ट ओशन एंड क्रायोस्फीयर इन ए चेंजिंग क्लाइमेट के अनुसार,  सारी दुनिया के महासागर 1970 से ग्रीनहाउस गैस उत्सर्जन से उत्पन्न 90 फीसदी अतिरिक्त गर्मी को अवशोषित कर चुके हैं. इसके कारण महासागर गर्म हो रहे हैं और इसी से चक्रवात का जल्दी-जल्दी और खतरनाक चेहरा सामने आ रहा है.

ग्लोबल वॉर्मिंग से समुद्र की सतह लगातार उठ रही है और उत्तरी हिंद महासागर का जल स्तर जहां 1874 से 2004 के बीच 1.06 से 1.75 मिलीमीटर बढ़ा, वह बीते 25 सालों (1993-2017) में 3.3 मिलीमीटर सालाना की दर से बढ़ रहा है. जल स्तर बढ़ने का सीधा असर उसके किनारे बसे शहर-कस्बों पर होगा और कई का अस्तित्व भी मिट सकता है.

Web Title: Oceans are suffering due to climate change

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