चुनाव में गलत सामग्री का प्रसार रोकने की पहल

By लोकमत समाचार सम्पादकीय | Published: March 14, 2024 11:49 AM2024-03-14T11:49:02+5:302024-03-14T12:01:19+5:30

चुनाव के दौरान तथ्यात्मक जानकारी के साथ-साथ भ्रामक एवं झूठी जानकारियां भी फैलाने का खतरा बढ़ जाता है। प्रसार के मंच इतने आधुनिक और तेज हो गए हैं कि सदुपयोग से ज्यादा उनका दुरुपयोग करने वाले तत्व बहुत ज्यादा सक्रिय हो जाते हैं।

nitiative to stop spread of false material in elections | चुनाव में गलत सामग्री का प्रसार रोकने की पहल

फाइल फोटो

Highlightsचुनाव के दौरान तथ्यात्मक जानकारी के साथ भ्रामक जानकारियां भी फैलाने का खतरा बढ़ जाता हैप्रचार-प्रसार के मंच इतने आधुनिक हो गए हैं कि उनका दुरुपयोग करने वाले तत्व सक्रिय हो जाते हैंगूगल और चुनाव आयोग ने ऐसे खतरों को रोकने के लिए आपस में हाथ मिलाया है

2024 के लोकसभा के चुनाव की तारीखों का ऐलान किसी भी समय हो सकता है। चुनाव के प्रति लोगों की उत्सुकता स्वाभाविक है और वे विभिन्न स्रोतों से अधिक से अधिक जानकारी हासिल करने की कोशिश करते हैं। चुनाव के दौरान तथ्यात्मक जानकारी के साथ-साथ भ्रामक एवं झूठी जानकारियां भी फैलाने का खतरा बढ़ जाता है। प्रसार के मंच इतने आधुनिक और तेज हो गए हैं कि सदुपयोग से ज्यादा उनका दुरुपयोग करने वाले तत्व बहुत ज्यादा सक्रिय हो जाते हैं।

गुमराह करने वाली किसी भी फर्जी सामग्री का प्रसार रोकना निश्चित रूप से सोशल मीडिया की जिम्मेदारी है क्योंकि जो गलत सूचनाएं इन मंचों पर डाली जाती हैं, उनका सत्यापन करना आम आदमी के लिए अत्यंत कठिन होता है। वह ऐसी गलत जानकारियों पर आंख मूंदकर भरोसा कर लेता है। गूगल और भारत के निर्वाचन आयोग ने इस दिशा में मंगलवार को सकारात्मक पहल की तथा फर्जी सामग्री का प्रचार-प्रसार रोकने, उसके प्रति जागरूकता फैलाने के लिए हाथ मिला लिया।

पिछले कुछ दशकों में भारत में चुनाव प्रचार बेहद आक्रामक और कई बार सामाजिक-सांप्रदायिक सद्भाव के ताने-बाने पर आघात करने लगे हैं। सभी प्रत्याशी ऐसा नहीं करते और राजनीतिक दल भी कोशिश करते हैं कि प्रचार के दौरान शालीनता एवं संयम बना रहे लेकिन जीतने की होड़ इतनी कटु होने लगी है कि प्रतिद्वंद्वी पार्टियों या उम्मीदवारों के बारे में शब्दों की मर्यादाएं तोड़ दी जाती हैं और एक कदम आगे जाकर गलत जानकारियां तक फैलाने तक से परहेज नहीं किया जाता।

सोशल मीडिया मंचों में बहुत तेजी से वृद्धि हुई है और उनका उपयोग निहित स्वार्थों की सिद्धि के लिए भी होने लगा है। भारत में अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता है लेकिन कई बार उसके दुरुपयोग के उदाहरण भी देखने को मिल जाते हैं। चुनाव के दौरान मतदाता की दिलचस्पी इसमें होती है कि उसके या देश के महत्वपूर्ण सीटों पर क्या चुनावी समीकरण बन रहे हैं, देश में किन मुद्दों पर चुनाव लड़ा जा रहा है, पार्टियां कौन-कौन से वादे कर रही हैं, चुनाव से जुड़ी दिलचस्प घटनाएं क्या हैं, कितने उम्मीदवार मैदान में हैं, उनकी व्यक्तिगत, पारिवारिक, सामाजिक तथा राजनीतिक पृष्ठभूमि क्या है, उनके क्षेत्र में क्षेत्र में कौन-कौन से दिग्गज चुनाव प्रचार के लिए आनेवाले हैं या आए हैं, उन्होंने संबंधित क्षेत्र एवं देश के विकास को लेकर क्या नजरिया पेश किया।

लोग गूगल तथा अन्य मंचों पर जितनी ज्यादा जानकारी उपलब्ध हो, उसे हासिल करने का प्रयास करते हैं। चुनाव में राजनीतिक दल तथा प्रत्याशी व्यक्तिगत संपर्कों के माध्यम से अपने अनुकूल माहौल बनाने का प्रयास तो करते हैं मगर मतदाता कोई भी फैसला करने से पूर्व उन सब तथ्यों पर भी गौर करता है जो उसने सोशल मीडिया पर देखा या पढ़ा। एक तरह से सोशल मीडिया चुनाव के दौरान मतदाता के मार्गदर्शक की भूमिका भी निभाते हैं।

चुनाव में किसी भी पार्टी या उम्मीदवार की छवि बिगाड़ने या सामाजिक-सांप्रदायिक सद्भाव को बिगाड़ने वाले तत्व सक्रिय हो जाते हैं और इसके लिए सोशल मीडिया को वे अपना हथियार बनाते हैं। अगर सोशल मीडिया पर मतदान के ठीक पहले यह फर्जी खबर डाल दी जाए कि फलां उम्मीदवार या पार्टी मैदान से हट गई है तो बात जंगल में आग की तरह फैल जाती है, जब तक संबंधित पार्टी या प्रत्याशी अपनी स्थिति स्पष्ट करे, तब तक बहुत देर हो चुकी होती है।

भारत के चुनाव लोकतंत्र की सफलता का पैमाना माने जाते हैं। दुनिया में यह सबसे अनूठी तथा सबसे विशाल लोकतांत्रिक प्रक्रिया है। दुनिया आश्चर्य से देखती है कि सौ करोड़ से ज्यादा आबादी वाले देश में कितनी सरलता, सहजता और बिना किसी धांधली के साथ मतदाता यह तय करते हैं कि उसे सत्ता किसे सौंपनी है। दुनिया के कई मुल्कों में चुनाव की निष्पक्षता पर सवाल उठाए जाते हैं। भारत की चुनाव प्रक्रिया पर आज तक उंगली नहीं उठाई गई है। इसी पवित्रता तथा निष्पक्षता को बनाए रखने के लिए सोशल मीडिया को भी अपनी जिम्मेदारियों का निर्वहन पूरी लगन के साथ करना होगा।

Web Title: nitiative to stop spread of false material in elections

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