ब्लॉग: उत्तराखंड झेल रहा है जलवायु परिवर्तन की मार

By निशांत | Updated: July 13, 2024 10:39 IST2024-07-13T10:38:02+5:302024-07-13T10:39:31+5:30

उत्तराखंड ने पिछले दो महीनों में चरम मौसम की स्थितियों का सामना किया है. जून में जहां अधिकतम तापमान ने रिकॉर्ड तोड़े, वहीं जुलाई में मूसलाधार मानसूनी बारिश ने बाढ़ और भूस्खलन की स्थिति पैदा कर दी. 1 जून से 10 जुलाई तक उत्तराखंड में कुल बारिश 328.6 मिमी दर्ज की गई, जो सामान्य 295.4 मिमी से 11 प्रतिशत अधिक है.

Nishant Saxena Blog Uttarakhand is facing the brunt of climate change | ब्लॉग: उत्तराखंड झेल रहा है जलवायु परिवर्तन की मार

उत्तराखंड ने पिछले दो महीनों में चरम मौसम की स्थितियों का सामना किया है

Highlights चरम मौसम की स्थितियों का मुख्य कारण जलवायु परिवर्तन हैजलवायु परिवर्तन के कारण वायुमंडल में नमी की मात्रा बढ़ रही है1 जून से 10 जुलाई तक उत्तराखंड में कुल बारिश 328.6 मिमी दर्ज की गई

उत्तराखंड ने पिछले दो महीनों में चरम मौसम की स्थितियों का सामना किया है. जून में जहां अधिकतम तापमान ने रिकॉर्ड तोड़े, वहीं जुलाई में मूसलाधार मानसूनी बारिश ने बाढ़ और भूस्खलन की स्थिति पैदा कर दी. 1 जून से 10 जुलाई तक उत्तराखंड में कुल बारिश 328.6 मिमी दर्ज की गई, जो सामान्य 295.4 मिमी से 11 प्रतिशत अधिक है.

जलवायु वैज्ञानिकों के अनुसार, इन चरम मौसम की स्थितियों का मुख्य कारण जलवायु परिवर्तन है. जलवायु परिवर्तन के कारण वायुमंडल में नमी की मात्रा बढ़ रही है, जिससे भारी बारिश और खतरनाक हीटवेव आ रही हैं.

शुरुआत भारी बारिश के साथ हुई और 10 जुलाई तक उत्तराखंड में सामान्य औसत 118.6 मिमी के मुकाबले 239.1 मिमी बारिश हो चुकी है. यह सामान्य से 102 प्रतिशत अधिक है. इस समय, राज्य के सभी 13 जिलों में जुलाई के महीने में बारिश का अधिशेष दर्ज किया गया है.

साल 2024 का जून माह मौसम विज्ञानियों और वैज्ञानिकों के लिए आश्चर्यजनक रहा, क्योंकि एक हिमालयी राज्य में कई दिनों तक 40 डिग्री सेल्सियस से ऊपर तापमान दर्ज किया गया. देहरादून में 9 जून से 20 जून तक लगातार 11 दिनों तक तापमान 40 डिग्री सेल्सियस से अधिक रहा. वहीं, मई में भी शहर में आठ दिनों तक तापमान 40 डिग्री सेल्सियस से ऊपर दर्ज किया गया. पंतनगर में 19 जून को 41.8 डिग्री सेल्सियस का तापमान दर्ज किया गया, जो पिछले 10 वर्षों का रिकॉर्ड है.

उत्तराखंड में मार्च के अंत से शुरू होकर लगभग 11 हफ्तों तक वनाग्नि का पीक सीजन रहता है. 2024 में 1 जनवरी से 3 जून के बीच 247 वनाग्नि अलर्ट दर्ज किए गए. जलवायु परिवर्तन के कारण बढ़ते तापमान और लंबे सूखे की अवधि ने वनाग्नि की घटनाओं को बढ़ावा दिया है.

साल 2001 से 2023 तक, उत्तराखंड ने वनाग्नि के कारण 1.18 हजार हेक्टेयर वृक्षों का आवरण खो दिया है. नैनीताल जिले में इस अवधि में सबसे अधिक वृक्ष आवरण का नुकसान हुआ है, जिसमें प्रति वर्ष औसतन 12 हेक्टेयर का नुकसान हुआ है.

उत्तराखंड में जलवायु परिवर्तन के कारण चरम मौसम की घटनाओं की वृद्धि हो रही है. तापमान में वृद्धि और अनियमित वर्षा पैटर्न से राज्य को भारी नुकसान हो रहा है. अगर वैश्विक औसत तापमान में वृद्धि जारी रहती है, तो इस तरह की घटनाएं अधिक बार और तीव्र से तीव्रतर होती जाएंगी. विशेषज्ञों का मानना है कि ग्रीनहाउस गैस उत्सर्जन को कम करके ही इस संकट को कुछ हद तक कम किया जा सकता है.

Web Title: Nishant Saxena Blog Uttarakhand is facing the brunt of climate change

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