हाल ही में 10 मार्च को भारत और चार यूरोपीय देशों के समूह यूरोपियन फ्री ट्रेड एसोसिएशन (ईएफटीए) ने निवेश और वस्तुओं एवं सेवाओं के दोतरफा व्यापार को बढ़ावा देने के लिए मुक्त व्यापार समझौते (एफटीए) पर हस्ताक्षर किए हैं। इसे व्यापार और आर्थिक समझौता (टीईपीए) कहा गया है। गौरतलब है कि मुक्त व्यापार समझौता दो या दो से अधिक देशों के बीच एक ऐसी व्यवस्था है, जहां वे साझेदार देशों से व्यापार की जाने वाली वस्तुओं पर सीमा शुल्क को खत्म कर देते हैं या कम करने पर सहमत होते हैं। इन संधियों के अंतर्गत 10 से 30 विषय शामिल होते हैं।
दुनिया में 350 से अधिक एफटीए वर्तमान में लागू हैं और भारत के द्वारा ईएफटीए देशों के साथ जो एफटीए किया गया है, वह दुनिया में अहम माना जा रहा है। 2022-23 के दौरान ईएफटीए देशों को भारत का निर्यात 1.92 अरब डॉलर रहा था। वित्तीय वर्ष 2022-23 के दौरान इन देशों से भारत का कुल आयात 16.74 अरब डॉलर था। यानी व्यापार घाटा 14.82 अरब डॉलर हुआ था।
नए एफटीए के तहत ईएफटीए ने अगले 15 साल में भारत में 100 अरब डॉलर के निवेश की प्रतिबद्धता जताई है। यह भारत का ऐसे समूह के साथ पहला व्यापार करार है, जिसमें विकसित देश शामिल हैं। ईएफटीए के सदस्य देशों में आइसलैंड, स्विट्जरलैंड, नॉर्वे और लिकटेंस्टाइन शामिल हैं। इस समझौते में 14 अध्याय हैं। इनमें वस्तुओं के व्यापार, उत्पत्ति के नियम, शोध एवं नवाचार, बौद्धिक संपदा अधिकार (आईपीआर), सेवाओं का व्यापार, निवेश प्रोत्साहन और सहयोग, सरकारी खरीद, व्यापार में तकनीकी बाधाएं और व्यापार सुविधा शामिल है, जिससे भारत में 10 लाख प्रत्यक्ष नौकरियां निर्मित होंगी।
इस समझौते में व्यापार से ज्यादा निवेश पर जोर दिया गया है और भारत में इस समय निवेश के बेहतरीन मौके हैं। गौरतलब है कि इन चार यूरोपीय देशों से होने वाले भारत के कुल व्यापार में स्विट्जरलैंड की हिस्सेदारी 90 प्रतिशत से अधिक है तथा बाकी की हिस्सेदारी में अन्य तीनों देश शामिल हैं। इस समझौते से डिजिटल व्यापार, बैंकिंग, वित्तीय सेवा, फार्मा, टेक्सटाइल जैसे सेक्टर में इन चार देशों के बाजार में भारत की पहुंच आसान होगी।
इसके बदले में भारत भी इन देशों की विभिन्न वस्तुओं के लिए अपने आयात शुल्क को कम करेगा। उल्लेखनीय है कि भारत और ईएफटीए देश व्यापार और निवेश समझौते पर 15 साल से भी लंबे समय से बातचीत कर रहे थे। करीब 13 दौर की वार्ता के बाद 2013 के अंत में इस पर बातचीत रुक गई थी। इसके बाद 2016 में फिर से वार्ता शुरू हुई और चार दौर की बातचीत के बाद अब यह समझौता धरातल पर आया है।