राष्ट्रीय अभियंता दिवसः विकास की नींव रखने वाले दृष्टा थे विश्वेश्वरैया
By देवेंद्र | Updated: September 15, 2025 05:48 IST2025-09-15T05:48:22+5:302025-09-15T05:48:22+5:30
बेंगलुरु सेंट्रल कॉलेज से स्नातक शिक्षा पूरी करने के बाद विश्वेश्वरैया ने पुणे के कॉलेज ऑफ इंजीनियरिंग से सिविल इंजीनियरिंग की डिग्री प्राप्त की.

file photo
आज देशभर में राष्ट्रीय अभियंता दिवस मनाया जा रहा है. इस अवसर पर पूरा देश भारत रत्न सर मोक्षगुंडम विश्वेश्वरैया को श्रद्धांजलि अर्पित कर रहा है. 15 सितंबर 1861 को कर्नाटक के मुद्देनाहल्ली गांव में जन्मे विश्वेश्वरैया को आधुनिक भारत का निर्माता कहा जाता है. 1968 से प्रतिवर्ष मनाया जाने वाला यह दिवस न केवल एक महान इंजीनियर की स्मृति में है, बल्कि तकनीकी शिक्षा और इंजीनियरिंग क्षेत्र के महत्व को रेखांकित करने का भी अवसर है. विश्वेश्वरैया ने अपने 101 वर्ष के लंबे जीवनकाल में भारत की औद्योगिक और तकनीकी प्रगति में अतुलनीय योगदान दिया.
बेंगलुरु सेंट्रल कॉलेज से स्नातक शिक्षा पूरी करने के बाद विश्वेश्वरैया ने पुणे के कॉलेज ऑफ इंजीनियरिंग से सिविल इंजीनियरिंग की डिग्री प्राप्त की. उनकी शैक्षणिक उत्कृष्टता ने उन्हें सरकारी नौकरी दिलवाई और वे बॉम्बे प्रेसीडेंसी में सिंचाई विभाग में शामिल हुए. उनके करियर की शुरुआत एक छोटे इंजीनियर के रूप में हुई, लेकिन उनकी दूरदर्शिता और नवाचार की क्षमता ने जल्द ही उन्हें प्रसिद्धि दिलाई.
हैदराबाद की बाढ़ समस्या के समाधान के लिए उनके द्वारा डिजाइन किए गए स्वचालित गेट्स ने इंजीनियरिंग जगत में उन्हें विशेष पहचान दिलाई. विश्वेश्वरैया की सबसे प्रसिद्ध उपलब्धि कृष्णराज सागर बांध का निर्माण है. इस परियोजना को पूरा करने में उन्होंने अभूतपूर्व तकनीकी कुशलता का परिचय दिया.
यह बांध न केवल कावेरी नदी पर बना एक महत्वपूर्ण बांध था, बल्कि आधुनिक जल प्रबंधन तकनीक का भी बेहतरीन उदाहरण था. इस बांध से सिंचाई सुविधा मिली और बिजली उत्पादन भी शुरू हुआ. आज भी यह बांध दक्षिण भारत के कृषि और औद्योगिक विकास की रीढ़ माना जाता है. विश्वेश्वरैया के इंजीनियरिंग कौशल का यह जीवंत प्रमाण है.
विश्वेश्वरैया के तकनीकी नवाचारों को अंतरराष्ट्रीय स्तर पर मान्यता मिली थी. विदेशी सरकारों द्वारा उन्हें तकनीकी सलाहकार के रूप में आमंत्रित किया जाता था. उनकी वैज्ञानिक सोच और व्यावहारिक दृष्टिकोण ने उन्हें अपने समय का अग्रणी इंजीनियर बनाया.
बाढ़ नियंत्रण से लेकर सिंचाई प्रणाली तक, हर क्षेत्र में उनके योगदान को आज भी याद किया जाता है. 1955 में भारत सरकार ने विश्वेश्वरैया को देश के सर्वोच्च नागरिक सम्मान भारत रत्न से अलंकृत किया. यह पुरस्कार उनके जीवनकाल में ही प्रदान किया गया था, जो उनकी असाधारण उपलब्धियों का प्रमाण है.