कोविड-19 पर नरेंद्र सिंह तोमर का ब्लॉग: चुनौती को अवसर में बदलने का समय

By लोकमत समाचार ब्यूरो | Published: June 12, 2020 02:08 PM2020-06-12T14:08:12+5:302020-06-12T14:08:12+5:30

कोविड-19 के संक्रमण ने संपूर्ण विश्व की परिस्थितियों को परिवर्तित करके रख दिया है. ऐसे में हमारी चिंता इस बात पर है कि लाइसेंस व्यवस्था और खंडित आपूर्ति श्रृंखला मांग और आपूर्ति के संतुलन को बिगाड़ न दे. यदि ये अवरोध रहे तो किसानों की आय निश्चित तौर पर बुरी तरह से प्रभावित हो सकती है.

Narendra Singh Tomar's blog on Covid-19: Time to turn challenge into opportunity | कोविड-19 पर नरेंद्र सिंह तोमर का ब्लॉग: चुनौती को अवसर में बदलने का समय

प्रधानमंत्नी नरेंद्र मोदी ने 2022 तक किसानों की आय दोगुना करने का लक्ष्य निर्धारित किया

विगत दस दिनों में प्रधानमंत्नी नरेंद्र मोदी के नेतृत्व मे केंद्र सरकार ने किसानों के हित में चार बड़े निर्णय किए हैं. ये निर्णय भविष्य के लिए एक नया इतिहास बनने जा रहे हैं. देश का सबसे बड़ा उत्पादक किसान है. वह अन्न उपजाता है तो अर्थव्यवस्था का चक्का घूमता है. इन चार निर्णयों में जहां किसानों को दिए गए ऋण की अदायगी की सीमा बढ़ाकर राहत देने का प्रयास किया गया है, वहीं खरीफ फसलों का समर्थम मूल्य बढ़ाकर किसानों की आय में सीधी वृद्धि का मार्ग प्रशस्त किया गया है. ‘एक देश एक बाजार’ और मंडी एक्ट में संशोधन भी किसानों को उनकी उपज के उचित दाम दिलाने के लिए वैश्विक रास्ते खोलने में सहायक होंगे. प्रधानमंत्नी नरेंद्र मोदी ने 2022 तक किसानों की आय दोगुना करने का लक्ष्य निर्धारित किया और इसी दिशा में सरकार सतत कार्य कर रही है. इन निर्णयों को इसी आलोक में देखा जाना चाहिए. हमारा लक्ष्य किसान को सबसे पहले आत्मनिर्भर बनाना है ताकि राष्ट्र आत्मनिर्भर बन सके.

केंद्रीय कैबिनेट ने दो अध्यादेशों को मंजूरी दी है. इसमें किसानों का उत्पादन व्यापार एवं वाणिज्य (संवर्धन एवं सरलीकरण) अध्यादेश, 2020 और मूल्य आश्वासन व कृषि सेवाओं के करारों के लिए किसानों का सशक्तिकरण और संरक्षण अध्यादेश, 2020 शामिल है. इन अध्यादेशों के माध्यम से सरकार ने किसानों के लिए ‘एक देश एक बाजार’ नीति को लागू किया है. एक तरह से किसानों की उन्नति में सबसे बड़ा अवरोध यही था कि उनके लिए अपनी फसल को बेचने के निर्धारित दायरे और माध्यम थे. ये जंजीर किसानों को उनकी उपज के उपयुक्त और उत्तम दाम दिलाने से रोकती रही है. यहीं से बिचौलिए व मुनाफाखोर विकसित होते थे, जो किसानों की कमाई का एक बड़ा हिस्सा दबा लेते थे. बाधा मुक्त बाजार के परिणाम आने वाले कुछ महीनों में किसानों की समृद्धि और उनकी बढ़ती आय के रूप में सभी को नजर आएंगे.

कोविड-19 के संक्रमण ने संपूर्ण विश्व की परिस्थितियों को परिवर्तित करके रख दिया है. ऐसे में हमारी चिंता इस बात पर है कि लाइसेंस व्यवस्था और खंडित आपूर्ति श्रृंखला मांग और आपूर्ति के संतुलन को बिगाड़ न दे. यदि ये अवरोध रहे तो किसानों की आय निश्चित तौर पर बुरी तरह से प्रभावित हो सकती है. इसी को दृष्टिगत रखते हुए सरकार ने किसानों का उत्पादन व्यापार एवं वाणिज्य (संवर्धन एवं सरलीकरण) अध्यादेश, 2020 लागू किया है। किसान अपनी फसल अब देश में कहीं भी बेच सकेंगे. व्यापारी को किसान की उपज का भुगतान अधिकतम तीन दिनों में करना होगा. यदि आवश्यक भुगतान का उल्लेख रसीद में है तो उसी दिन किसान को उसकी उपज का भुगतान मिलेगा.
कृषि उपज के लिए इलेक्ट्रॉनिक व्यापार और ई-प्लेटफार्म की व्यवस्था किसानों की भौतिक दूरियों से आने वाली कठिनाइयों को समाप्त कर देगी. किसान को जिस व्यापारी से और जिस राज्य में उचित दाम मिलेंगे वह घर बैठे वहां अपनी फसल बेचने के लिए मुक्त है.

 अब चर्चा दूसरे अध्यादेश की करते हैं. मूल्य आश्वासन और कृषि सेवाओं के करारों के लिए किसानों का सशक्तिकरण और संरक्षण अध्यादेश, 2020 भी सरकार का एक ऐतिहासिक निर्णय है. इसका मुख्य उद्देश्य किसानों और प्रायोजकों के बीच कृषि करारों के लिए एक विधिक व्यवस्था स्थापित करना है, जिससे किसानों को लाभकारी मूल्य मिल सके.

भारत में खेती लघु जोतों के कारण विखंडित श्रेणी में वर्गीकृत की जाती है. मौसम की मार, कभी कम उत्पादन से संकट तो कभी बहुत ज्यादा उत्पादन से उचित मूल्य नहीं मिलना और बाजार के जोखिम किसानों पर हावी हैं. इस अध्यादेश से न केवल कृषि करारों में एक विधिक व्यवस्था स्थापित होगी बल्कि संग्रहण के लिए माडल कृषि करारों का प्रावधान भी हो सकेगा.
यह अध्यादेश किसानों को कृषि उत्पाद और गुणवत्ता आश्वासन सुनिश्चित करने के लिए उचित और पारदर्शी तरीके से प्रोसेसर, एग्रीगेटरों, बड़े खुदरा विक्र ेताओं एवं निर्यातकों आदि के साथ जुड़ने में सक्षम करेगा. सबसे महत्वपूर्ण यह है कि मंडी की अप्रत्याशितता का जोखिम अब किसान की जगह प्रायोजक पर आएगा, जिससे किसान की मुश्किलें कम होंगी.

 यहां यह भी बताना उचित होगा कि एक जून को केंद्रीय कैबिनेट ने किसानों की अल्पावधि कृषि ऋण अदायगी की अवधि 31 अगस्त तक बढ़ाने का निर्णय भी लिया है. कोरोना संक्रमण से प्रभावित किसानों के लिए सरकार का यह निर्णय बड़ी मदद साबित होगा. उसी दिन सरकार ने खरीफ फसलों की उत्पादन लागत पर न्यूनतम समर्थन मूल्य 50 से 83 प्रतिशत तक बढ़ाने का निर्णय भी लिया. किसानों की आय में वृद्धि के लिए ये दोनों निर्णय अहम भूमिका निभाएंगे.

मोदी सरकार ब्याज छूट योजना के अंतर्गत किसानों को बैंकों के माध्यम से 2 प्रतिशत प्रति वर्ष ब्याज छूट के साथ रियायती स्टैंडर्ड अल्पावधि कृषि ऋण दे रही है. समय पर अदायगी करने वाले किसानों को 3 प्रतिशत अतिरिक्त लाभ भी केंद्र सरकार दे रही है.  
वर्ष 2020-21 विपणन मौसम की खरीफ फसलों के न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) में वृद्धि की गई है. उत्पादन लागत का 50 प्रतिशत से लेकर 83 प्रतिशत तक मुनाफा जोड़कर एमएसपी निर्धारित की गई है. इसका सीधा लाभ देश के करोड़ों किसानों को मिलेगा.  

सरकार के चार निर्णयों ने किसानों के लिए चार नए आधार स्तंभ खड़े कर दिए हैं. प्रधानमंत्नी नरेंद्र मोदी ने कहा है कि यह कोविड-19 की चुनौती को अवसर में परिवर्तित करने का समय है. आत्मनिर्भरता की राह यहीं से प्रारंभ हो रही है. इसके मूल में अन्नदाता है और उसकी चिंता सबसे पहले की गई है. सरकार के ये निर्णय निकट भविष्य में कृषकों के चेहरों पर समृद्धि की आभा बिखेरते नजर आएंगे.

Web Title: Narendra Singh Tomar's blog on Covid-19: Time to turn challenge into opportunity

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