लाइव न्यूज़ :

मोदी ने नेतृत्व क्षमता का लोहा मनवाया

By हरीश गुप्ता | Updated: May 8, 2025 07:22 IST

एक बड़ी बाधा यह भी है कि जाति, कबीला, गोत्र और उपनाम के बीच अंतर करना मुश्किल है.

Open in App

यह वार 54 साल बाद पहली बार हुआ और इसने एक शक्तिशाली संदेश दिया कि भारत अब सीमा पार आतंकवाद के उकसावे पर रणनीतिक संयम नहीं बरतेगा. 7 मई 2025 को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने एक बार फिर अपने आलोचकों को गलत साबित कर दिया. कई लोग कह रहे थे कि पहलगाम की घटना दिखाती है कि अतिप्रचार किसी नेता के लिए कि तरह मुसीबत बन सकता है. लेकिन ‘ऑपरेशन सिंदूर’ के तहत पाकिस्तान और पाकिस्तान प्रशासित कश्मीर में नौ स्थलों को निशाना बनाकर ‘मोदी ने अंततः बाघ की सवारी कर ही ली.’

यह ऑपरेशन था 22 अप्रैल को पहलगाम में हुए आतंकवादी हमले का सीधा जवाब. ठीक 16 दिन बाद. भारतीय वायुसेना ने राफाल लड़ाकू विमानों से बेहद सटीक हमले किए, जिनमें स्कैल्प मिसाइलें और एएएसएम हैमर बम लगाए गए थे. यह ऑपरेशन लगभग 24 मिनट तक चला और मुरिदके, बहावलपुर सहित नियंत्रण रेखा से 100 किलोमीटर भीतर तक के 9 आतंकी ठिकानों को निशाना बनाया गया.

‘ऑपरेशन सिंदूर’ भारत की आतंकवाद-रोधी रणनीति का एक महत्वपूर्ण हिस्सा है, जो सीमा पार खतरों से निपटने के लिए सक्रिय उपायों को अपनाने तथा आतंकवाद के खिलाफ निर्णायक कार्रवाई करने के संकल्प को दर्शाता है. पिछली सरकारों की तुलना में मोदी सरकार ने एक अधिक आक्रामक रणनीति का विकल्प चुना, जो भारत के आतंकवाद विरोधी सिद्धांत में एक महत्वपूर्ण बदलाव का संकेत देता है. भारतीय वायुसेना द्वारा 1971 के भारत-पाक युद्ध के बाद पहली बार नियंत्रण रेखा के पार सटीक हमला किया गया है.

यह वार 54 साल बाद पहली बार हुआ और इसने एक शक्तिशाली संदेश दिया कि भारत अब सीमा पार आतंकवाद के उकसावे पर रणनीतिक संयम नहीं बरतेगा.

नरेंद्र मोदी का निर्णय जोखिम से भरा था. फिर भी, देश‌वासियों ने जोरदार समर्थन व्यक्त किया. बालाकोट हमले ने मोदी की छवि एक निर्णायक नेता के रूप में बनाई थी, खासकर 2019 के आम चुनावों के दौरान. 2025 में मोदी पर ऑपरेशन सिंदूर करने का चुनावी दबाव नहीं था. लेकिन उन्होंने इसे किया और यह दिखा दिया कि उनके नेतृत्व में भारत, पाकिस्तान की कारगुजारियों को उजागर करने और मुंहतोड़ उत्तर देने में सक्षम है.

मोदी का मंडल पैंतरा

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने पूरे देश में जातिगत की जनगणना की मंजूरी देकर एक बार फिर अपने आलोचकों और समर्थकों को चौंका दिया है. 1931 में ब्रिटिश शासन के बाद पहली बार यह काम हो रहा है. स्वतंत्र भारत ने अब तक ऐसी जनगणना नहीं कराई थी, यहां तक कि 1980 में जब जनता पार्टी ने मंडल आयोग बनाया, जिसने 1,257 पिछड़ी जातियों की पहचान की, तब भी नहीं.

असल मंडल दौर 1989-90 में आया, जब प्रधानमंत्री वी.पी. सिंह ने अन्य पिछड़ा वर्ग (ओबीसी) के लिए सरकारी नौकरियों और कॉलेजों में 27प्रतिशत आरक्षण लागू किया. उस समय भाजपा ने अपनी ‘कमंडल यात्रा’ शुरू की और कांग्रेस ने थोड़े समय के लिए चंद्रशेखर सरकार को समर्थन दिया.हालांकि, जातिगत जनगणना की मांग लगातार उठती रही थी लेकिन 2011-13 में संयुक्त प्रगतिशील गठबंधन(यूपीए) सरकार की सामाजिक-आर्थिक जाति जनगणना में जाति का डाटा इकट्ठा किया गया, लेकिन वह भी सिर्फ कल्याणकारी योजनाओं के असर को समझने के लिए किया गया था.

इस जनगणना में हजारों जातियां और उप-जातियां सामने आईं, जिससे बड़ी चिंता पैदा हुई. बाद में उप-जातियों के वर्गीकरण के लिए रोहिणी आयोग का गठन किया गया, लेकिन उसने अपनी रिपोर्ट कभी प्रकाशित नहीं की. आगे, मोदी सरकार ने जातिगत जनगणना कराने का इरादा जाहिर किया, लेकिन इसके बाद कोई आधिकारिक निर्णय नहीं लिया गया.

फिर 2021 की जनगणना को कोविड-19 और 2024 के चुनावों को लेकर राजनीतिक कारणों से टाल दी गई. अब, जनगणना कर्मियों को स्पष्ट रूप से निर्देश दिया गया है कि वे जनगणना फार्मों में जाति और उप-जाति के डेटा को दर्ज करें. यह मोदी का ‘मंडल 2.0’ पैंतरा है जो संघ परिवार के वैचारिक आधार को चुनौती देता है. संघ जातिविहीन समाज की वकालत करता आया है.

जाति जनगणना : कहना आसान, करना कठिन

मोदी सरकार ने जाति जनगणना की घोषणा तो कर दी है, लेकिन इसमें कई जटिल चुनौतियां हैं. सबसे बड़ी चुनौती यह है कि क्या मौजूदा जनगणना अधिनियम और संबंधित नियमों में जाति की गणना को शामिल करने के लिए संशोधन करना होगा, इस पर कानूनी अस्पष्टता बनी हुई है. एक बड़ी बाधा यह भी है कि जाति, कबीला, गोत्र और उपनाम के बीच अंतर करना मुश्किल है. इसलिए, क्योंकि कई बार उत्तरदाता असंगत या अस्पष्ट जवाब देते हैं. 2011 की सामाजिक-आर्थिक जनगणना, जो आधिकारिक जनगणना से अलग थी, ने इन समस्याओं को उजागर किया. इसमें 46 लाख से ज्यादा जाति से जुड़ी प्रविष्टियां थीं, जिनमें कई अविश्वसनीय मानी गईं क्योंकि इनमें उपनाम, उप-जातियां, समानार्थक शब्द और कबीलों के नाम शामिल थे.

इस वजह से सही निष्कर्ष निकालना मुश्किल हो गया. इस अनियमितता को ठीक करने के लिए मोदी सरकार ने नीति आयोग के उपाध्यक्ष अरविंद पनगढ़िया को एक पैनल बनाने का काम सौंपा, जिसका उद्देश्य सामाजिक-आर्थिक जनगणना डेटा को सही और व्यवस्थित करना था. लेकिन उस पैनल की रिपोर्ट अभी तक प्रकाशित नहीं हुई है.एक प्रमुख चिंता यह है कि क्या गैर-हिंदू समुदायों जैसे मुसलमानों, ईसाइयों और बौद्धों के लिए जाति डेटा शामिल किया जाए, क्योंकि इन समुदायों में भी आंतरिक श्रेणियां और सामाजिक वर्ग होते हैं.

इस पर चल रही बहस में यह सवाल उठ रहा है कि क्या धार्मिक संप्रदायों को शामिल किया जाए, अन्य पिछड़ा वर्ग के लिए अनुसूचित जाति और जनजाति के साथ एक अलग कॉलम जोड़ा जाए और जाति समूहों को और अधिक उप-श्रेणियों में विभाजित किया जाए. पसमांदा मुसलमानों को ओबीसी में शामिल करने की मांग भी उठ रही है.

टॅग्स :नरेंद्र मोदीपाकिस्तानआतंकी हमलाभारतमोदी सरकार
Open in App

संबंधित खबरें

भारतटीएमसी सांसद ने PM मोदी द्वारा बंकिम चंद्र को ‘बाबू’ की जगह ‘दा’ कहने पर जताई आपत्ति, प्रधानमंत्री को भाषण के बीच में रोका, VIDEO

भारतपहले LOC पर आग लगाओ, बारूदी सुरंगें नष्ट करो, फिर आतंकियों को धकेलने का रास्ता बनाओ: घुसपैठ के लिए पाक सेना के नए हथकंडे

भारतजब वंदे मातरम् के 100 वर्ष हुए, तब देश आपातकाल की जंजीरों में जकड़ा हुआ था?, पीएम मोदी ने कहा-संविधान का गला घोंट दिया गया था, वीडियो

भारत‘अंग्रेजों ने बांटो और राज करो का रास्ता चुना’, लोकसभा में पीएम मोदी ने कहा-आजादी की लड़ाई, मातृभूमि को मुक्त कराने की जंग थी, वीडियो

भारतवंदे मातरम् के 150 वर्ष पूर्ण हो रहे हैं और हम सभी ऐतिहासिक अवसर के साक्षी बन रहे हैं, लोकसभा में पीएम मोदी, वीडियो

भारत अधिक खबरें

भारतउमर अब्दुल्ला ने बताया कैसे एक ठुकराई हुई लड़की ने पुलिस से अपने एक्स- बॉयफ्रेंड के बारे में शिकायत की और फिर हुआ दिल्ली ब्लास्ट की साज़िश का पर्दाफ़ाश

भारत'आप यहां चुनाव के लिए हैं, हम यहां देश के लिए हैं': प्रियंका गांधी ने पीएम मोदी, बीजेपी पर हमला किया

भारतमुकदमों की अंबार से दबी बिहार की अदालतें, 36 लाख से अधिक लंबित मुकदमों के कारण समय पर नहीं मिल पा रहा है लोगों को न्याय

भारतजन संस्कृतिक मंचः 50 वर्ष पूरे होने पर स्वर्ण जयंती, 15 सदस्यीय आयोजन समिति का गठन 

भारतNCERT की कक्षा 7वीं की अपडेटेड टेक्स्टबुक में गजनी की क्रूरता शामिल