एन. के. सिंह का नजरियाः अल-जवाहिरी के भाषण से प्रभावित थे इमरान?
By एनके सिंह | Published: October 1, 2019 05:21 AM2019-10-01T05:21:53+5:302019-10-01T05:21:53+5:30
इमरान के इस भाषण में और हाल में 11 सितंबर (9/11) को वल्र्ड ट्रेड टावर पर हमले की 18वीं ‘बरसी’ पर जारी एक वीडियो में अलकायदा के प्रमुख अयमान-अल-जवाहिरी के भाषण में एक जबरदस्त साम्य नजर आया.
संयुक्त राष्ट्र में विगत शुक्रवार भारत के प्रधानमंत्नी नरेंद्र मोदी के नपे-तुले, संयत और समयबद्ध भाषण में जहां भारत को ‘विश्व-शांति का मसीहा’, ‘विकास का अग्रदूत’, पर्यावरण के प्रति समर्पित और ‘संयुक्त राष्ट्र के प्रति पूर्ण आस्था और विश्वास’ रखने वाला बताया गया, वहीं पाकिस्तान के प्रधानमंत्नी इमरान खान का भाषण ‘इस्लाम-बनाम-बाकी-धर्म’, ‘हम-बनाम-वो’, ‘उत्तर-बनाम-दक्षिण’, ‘गरीब-बनाम-अमीर’ और ‘इस्लाम की दुनिया के ही पश्चिमी देशों के अनुयायी’ पर केंद्रित रहा. इमरान ने जिस तीखेपन और धमकी के साथ परमाणु युद्ध का खतरा दिखाया उससे दुनिया की नजर में उनके देश ने अपना बचा-खुचा समर्थन भी खो दिया है.
इमरान के इस भाषण में और हाल में 11 सितंबर (9/11) को वल्र्ड ट्रेड टावर पर हमले की 18वीं ‘बरसी’ पर जारी एक वीडियो में अलकायदा के प्रमुख अयमान-अल-जवाहिरी के भाषण में एक जबरदस्त साम्य नजर आया. जवाहिरी ने भी दुनिया में इस्लाम की रक्षा के लिए ‘सबको’ एकजुट होकर पश्चिमी दुनिया और गैर-इस्लाम लोगों के खिलाफ ‘अंतिम युद्ध’ छेड़ने को कहा था और उन मुसलमान लीडरों या तंजीमों की निंदा की जो कभी आतंकी हुआ करते थे लेकिन अब पश्चिमी धुन पर थिरक रहे हैं.
पाकिस्तान के प्रधानमंत्नी का भाषण मोदी के भाषण के लगभग 30 मिनट बाद था और उन्हें यह मौका था ‘प्रतिद्वंद्वी’ के मुकाबले एक विश्व-नेता के रूप में विषय-वस्तु को उसी स्तर पर ले जाकर अपनी भी गरिमा बनाते और अपने देश की भी. लेकिन अब उन्हें एक कट्टर इस्लामिक दुनिया में तो एक नया नेता माना जा सकता है लेकिन शायद पाकिस्तान की ओर से एक भी हमला या आतंकी गतिविधि भारत के समर्थन में पूरी दुनिया को स्वत: एकजुट कर देगी.
अगर इमरान यह भाषण आज से 30 साल पहले देते तो दुनिया शायद एक बार इन पर गौर करती, पर आज जब यह देश आतंक की फैक्ट्री के रूप में स्थापित हो चुका है, आज जब दुनिया एक आर्थिक वैश्विक गांव बन कर यानी हर देश वैश्विक अर्थव्यवस्था के साथ जुड़ कर अविकास और पर्यावरण के संकट से सामूहिक रूप से जूझ रहा है, धर्म के नाम पर अपील शायद तमाम इस्लामिक देशों को भी पाकिस्तान से मुंह मोड़ने को मजबूर करेगी.
इमरान के भाषण में, जो आवंटित समय से तीन गुना ज्यादा वक्त का था (और जिसे रोकने के लिए लगातार लाल बत्ती जलती रही) एक जेहादी नजर आया, एक कट्टर धर्म-प्रचारक नजर आया, एक ऐसा देश नजर आया जो अपनी गरीबी और जहालत के लिए भी पूरी दुनिया को दोष दे रहा हो. इमरान ने जवाहिरी के नक्शेकदम पर चलते हुए उन मुसलमानों की निंदा की जो पश्चिमी परिधान और व्यवहार को अंगीकार करते हुए इस्लाम के खिलाफ बोलते हैं. यह सब करके उन्होंने पश्चिमी उदार विश्व को भी अपने खिलाफ कर लिया है.