मुंबई धार्मिक स्थल लाउडस्पीकरः शोर केवल धार्मिक स्थलों पर ही नहीं सभी जगह कम हो!

By लोकमत समाचार सम्पादकीय | Updated: June 30, 2025 05:18 IST2025-06-30T05:18:49+5:302025-06-30T05:18:49+5:30

Mumbai religious places loudspeakers: मुख्यमंत्री फडणवीस विधानसभा में स्वीकार कर चुके हैं कि पुलिस उल्लंघनकर्ताओं के खिलाफ कार्रवाई करने में ‘शक्तिहीन’ है.

Mumbai religious places loudspeakers Noise should be reduced not only religious places but everywhere | मुंबई धार्मिक स्थल लाउडस्पीकरः शोर केवल धार्मिक स्थलों पर ही नहीं सभी जगह कम हो!

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Highlightsमहाराष्ट्र प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (एमपीसीबी) के पास कार्रवाई का अधिकार है. केंद्र से अनुरोध किया जाएगा. फिर भी कार्रवाई मुंबई पुलिस ने की.दिन में ध्वनि की सीमा 55 डेसिबल तथा रात में 45 डेसिबल होनी चाहिए.

Mumbai religious places loudspeakers: बढ़ते राजनीतिक दबाव के चलते मुंबई के धार्मिक स्थलों से लाउडस्पीकरों को मुक्त कर दिया गया है. साथ ही दावा किया गया है कि किसी समुदाय विशेष के धार्मिक ढांचों को चुनिंदा ढंग से निशाना नहीं बनाया गया है. महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस के निर्देश के अनुरूप कार्रवाई व्यवस्थित ढंग से हुई. लगभग 1,500 लाउडस्पीकर हटाने के साथ यह सुनिश्चित किया गया है कि लाउडस्पीकर फिर न लगाए जाएं. हालांकि यह कार्रवाई इसी साल जनवरी में मुंबई उच्च न्यायालय के एक आदेश के बाद ही की गई, लेकिन इसमें धार्मिक और राजनीतिक दलों के नेताओं को विश्वास में लिया गया. वैसे मुख्यमंत्री फडणवीस विधानसभा में स्वीकार कर चुके हैं कि पुलिस उल्लंघनकर्ताओं के खिलाफ कार्रवाई करने में ‘शक्तिहीन’ है,

क्योंकि ध्वनि प्रदूषण के संबंध में केंद्रीय कानून के अनुसार महाराष्ट्र प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (एमपीसीबी) के पास कार्रवाई का अधिकार है. उन्होंने यह भी कहा था कि मानदंडों के प्रभावी कार्यान्वयन के लिए कानून में बदलाव की आवश्यकता है, जिसके लिए केंद्र से अनुरोध किया जाएगा. फिर भी कार्रवाई मुंबई पुलिस ने की.

नियमानुसार धार्मिक स्थलों सहित किसी भी स्थान पर लाउडस्पीकर सुबह छह बजे से रात 10 बजे के बीच इस्तेमाल किए जा सकते हैं और दिन में ध्वनि की सीमा 55 डेसिबल तथा रात में 45 डेसिबल होनी चाहिए. मगर किसी भी स्थान पर मानदंडों का पालन नहीं होता है. कुछ हद तक निर्धारित ध्वनि की सीमा व्यावहारिक सिद्ध नहीं होती है.

भीड़-भाड़, परिवहन, निर्माण कार्य आदि में ही ध्वनि की सीमा बहुत अधिक हो जाती है. विश्व स्वास्थ्य संगठन के अनुसार 70 डेसिबल से कम की ध्वनि तीव्रता जीवित प्राणियों के लिए हानिकारक नहीं होती, भले ही वह कितनी भी लंबी अवधि तक क्यों न बनी रहे. किंतु कोई व्यक्ति 85 डेसिबल से अधिक के शोर के संपर्क में लगातार आठ घंटे से अधिक समय तक रहता है तो वह उसके स्वास्थ्य के लिए हानिकारक हो सकता है, जिसके दुष्प्रभावों में उच्च रक्तचाप, श्रवण विकलांगता, मानसिक रोग, नींद संबंधी समस्या और हृदय रोग आदि हो सकते हैं.

नियमानुसार किसी भी प्रकार की असहज या अत्यधिक तेज आवाज को ध्वनि प्रदूषण कहा जाता है. मगर वर्तमान समय में इसे केवल धार्मिक स्थलों तक सीमित नहीं किया जा सकता है. राजनेताओं के कार्यक्रमों-आंदोलनों में लगाए जाने वाले लाउडस्पीकर भी कम आवाज नहीं करते हैं. शादियों में बेरोक-टोक डीजे बजाए जाते हैं, लेकिन उन पर कार्रवाई नहीं होती है.

खुले मैदान में होने वाले सांस्कृतिक कार्यक्रम भी सभी सीमाओं को लांघते हैं. होटलों के मैदानों पर होने वाले निजी और व्यावसायिक कार्यक्रम कम शोर नहीं करते हैं. इसलिए शोर की समस्या से व्यापक स्तर पर निपटने की आवश्यकता है. केवल धार्मिक स्थल ही नहीं, हर स्थान पर होने वाला शोर किसी न किसी के लिए हानिकारक है.

मोहल्लों में शोर मचाकर बात करने वाले लोगों से लेकर सभाओं की अनियंत्रित आवाजों और वाहनों के हार्न से लेकर डीजे पर भी कार्रवाई होनी चाहिए. शोर केवल कुछ लोगों की आत्मसंतुष्टि का माध्यम नहीं बनाना चाहिए, उसे रोक कर समाज को अनुशासन और भद्र आचरण में बांधा जाना चाहिए. 

Web Title: Mumbai religious places loudspeakers Noise should be reduced not only religious places but everywhere

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