लाइव न्यूज़ :

Mother's Day Special: चलो मदर्स डे मनाते हैं किसी एक माँ को फिर से वृद्धाश्रम छोड़कर आते हैं

By मोहित सिंह | Updated: May 11, 2018 15:53 IST

Mother's Day Special: आपको अजीब सा लगा न यह टाइटल कि कैसे कोई मदर्स डे पर एक माँ को वृद्धाश्रम छोड़ कर आने की बात कर रहा है. लेकिन मैं कोई मजाक नहीं कर रहा. यह एक सीरियस सा टॉपिक है और मेरे कुछ पॉइंट्स हैं अपनी बात को सही साबित करने के लिए.

Open in App

मदर्स डे, साल का वो एक दिन, जिसका इंतज़ार शायद हर माँ करती होगी कि उसके बच्चे जो शायद उसको कभी भी 'आई लव यू माँ' नहीं बोलते होंगे, कभी बैठ कर प्यार से चंद बातें नहीं करते होंगे या कभी भूले से भी उससे उसकी तबीयत के बारे में कोई जानकारी नहीं लेते होंगे, वो बच्चे इस स्पेशल दिन अपनी माँ को फेसबुक पर भर - भर कर दुवाएं दे रहे होंगे। उनके व्हाट्सअप का स्टेटस आज माँ पर ही होगा और उनकी डीपी - माँ और कौन, वही तो होगी आज. 

इस दिन, बच्चे शायद सामने से जाकर माँ को विश करना ज़रूरी ना भी समझें लेकिन आप इस दिन फेसबुक पर इमोशनल पोस्ट्स, मैसेजेस और कविताओं की बाढ़ देख सकते हैं. इस दिन तो #मदर्स_डे दिन भर ट्वीटर, फेसबुक, इंस्टाग्राम पर ट्रेंडिंग कर ही रहा होगा। हम भूल जाते हैं अगर ऐसा ही एक दिन माँ चुन ले चाइल्ड्स डे और सिर्फ उस एक दिन हम पर करे अपने प्यार और ममता की बौछार तो हमारा क्या हाल होगा। सोने पर सुहागा तो तब होगा अगर ये सब कर्तव्य वो भी सोशल मीडिया पर जाकर उड़ेले जैसा की हम बच्चे करते हैं. हमारे माँ - बाप को हमारा ऐसा चोचला नहीं हमारा थोड़ा सा वक़्त चाहिए ये हम कैसे भूल जाते हैं. चलिए ये तो हो गया मेरा प्रवचन उन सभी बच्चों को जो ज़ोर से तैयारी कर रहे हैं मदर्स डे सेलिब्रेशन की, शायद उनमें से एक मैं खुद हूँ. मैं कुछ अलग नहीं हूँ - माँ से लड़ना, बात बंद कर देना मैं भी बहुत करता हूँ लेकिन छोटे शहर से हूँ ना तो शायद मेरे शरीर पर प्रैक्टिकलिटी की धूल पूरी तरह से जमी नहीं है इसलिए मैं बीच - बीच में उनकी चिंता कर लेता हूँ.

हां तो मैं बात कर रहा था - मदर्स डे पर ढकोसला करने की, जी हाँ, यह एक ढकोसला ही तो है, साल के बाकी सारे दिन तो माँ ज़िन्दगी हराम कर दो और एक दिन अपनी माँ को छोड़कर वर्ल्ड की अन्य सभी मांओं को सोशल मीडिया पर एक अच्छा सा मदर्स डे मैसेज शेयर कर दो. काम ख़त्म।

आपको लग रहा होगा इतना गुस्सा क्यों है मुझमें मदर्स डे सेलिब्रेशन को लेकर और मेरे ऐसे पोस्ट कभी वैलेंटाइन डे को लेकर नहीं आये? इसका कारण एक घटना है - 

मेरे भैया का परिवार नई दिल्ली के द्वारका की एक सोसायटी में रहता है. उसी सोसायटी में एक बंगाली पति - पत्नी भी रहा करते थे. यहाँ उनका नाम बताना ज़रूरी नहीं है उनकी कहानी ज़्यादा महत्वपूर्ण है खास तौर पर उन बंगाली माँ की. वृद्ध जोड़ा था और बेटा ऑस्ट्रेलिया में अपने परिवार के साथ सेटेल्ड था. अब उनका आपस में कैसा रिलेशन था पता नहीं लेकिन कभी भी किसी ने उस माँ या पिता के मुंह से बेटे की कोई बुराई नहीं सुनी थी. उन्होंने हमें पोता होने पर मिठाई खिलाई थी सो सब कुछ ठीक ही रहा होगा ऐसा सबको भ्रम था. उसी सोसायटी में उनका खुद का एक फ़्लैट था. अचानक एक दिन पति का देहांत हो गया. सब शामिल हुए उनके क्रिया कर्म में. बेटा अकेला ही विदेश से आया पत्नी और बेटे के बिना। सभी धार्मिक कर्म कांड करने के बाद घर के स्वामी की सम्पत्ति का कैलकुलेशन किया गया, एफडी, बैंक सेविंग, ज्वैलरी, घर की वैल्यू आदि. माँ ने आँख बंद करके सब कुछ बेटे के नाम कर दिया। सभी लोगों ने बहुत मना किया था माँजी को ऐसा करने से लेकिन माँ तो माँ, उनका दिमाग वह तक गया ही नहीं कि बेटा भी ऐसा दर्द दे सकगता है जो जीवनभर एक नासूर की तरह महसूस हो. 

ऑस्ट्रेलिया जाने के एक दिन पहले बहुत ही खुश थी वो माँ, सबसे मिली, बातें की और होनी दुवाएं सबको दीं. गर्व हो  अपने बेटे पर जो ले जा रहा था उनको अपने साथ. अगली सुबह सभी ने उनको विदा किया और वो चली गयीं अपने बेटे के साथ एयरपोर्ट। अगले दिन सुबह - सुबह भाभी को एक फ़ोन  आया और हम सब घर से नीचे आ गए. सोसायटी में भीड़ थी और भीड़ को चीरने पर फिर से एक बार उन माँ के दर्शन हुए सूनी आंखों में बेटे को लेकर एक उम्मीद अब भी बाकि थी. पूछने पर पता चला - सब कुछ सही था, बेटा एयरपोर्ट भी ले गया था. माँ को एक जगह बैठाकर फ्लाइट के टाइम और गेट नंबर का पता करने क्या गया कि फिर ना लौटा। माँ सारी रात वहीं एयरपोर्ट पर उसके लौटने का इंतज़ार करती रही और सूरज की पहली किरण के खिलते - खिलते इनके उम्मीद की किरण खो गयी.

एयरपोर्ट पर तमाशा ना हो इसलिए उन्होंने सोसायटी में अपने परिचित को फ़ोन किया और वापस सोसायटी आ गयी. उस कुपुत्र ने तो नीचता की हद ही पार कर दी. न ले गया होता अपने साथ, छोड़ देता माँ को यहीं अकेला, फिर भी चलता। लेकिन उस बेशर्म ने तो माँ से सब कुछ छीन कर उनको अकेला छोड़ा, अब उनके पास खुद की छत भी नहीं रह गयी थी, उस बेटे ने अपनी माँ के सर की छत भी बेच दिए थी. 

कुछ दिन वही सोसायटी में रहकर उन्होंने द्वारका के ही एक वृद्धाश्रम में आश्रय लिया। सुना है आजकल वही रह कर सिलाई - बुनाई करती है अपनी जीविका के लिए. अब तो उनको शायद अपने बेटे का इंतज़ार भी है होगा। होना भी नहीं चाहिए, ऐसी बेटों का तो पिंड दान करके उनको मरा हुआ मान लेना चाहिये। 

ऐसी कितनी ही माएँ अपने बच्चों के द्वारा ठुकराई हुई किसी वृद्धाश्रम में जीवन बिता रही होंगी। माँ ही क्यों, पिता का दर्द भी कम नहीं है जो अपने बच्चों द्वारा इन वृद्धाश्रमों में रह रहे हैं. 

ऐसी ही कहानी 75 साल की कुसुम लता जी की है- दोपहर में रोटी दाल खाकर वो अफ़राम करने ही जा रही थीं जब बेटे ने उनको ग़ाज़ियाबाद किसी रिश्तेदार से मिलाने के लिए बोला। जो बेटा उनसे ढंग से बात नहीं  उनको कार से घुमाने की बात कर रहा था. लगभग आधे घने बाद उसने हाईवे पर उनको एक दुकान के पास उतार दिया कि वो रिश्तेदारों के लिए सेब खरीद लें. उनके उतरते ही बेटे ने कार स्टार्ट किया और चला गया. कुछ देर तक वो वहीं कड़ी रही कि पेट्रोल लेने गया होगा अभी आ जायेगा। लेकिन उसको आना था ही नहीं। आजकल वो भी एक वृद्धाश्रम में रह रही हैं.

एक रिपोर्ट के अनुसार इंडिया में लगभग 65% बुजुर्ग अपने ही घर में अनदेखी के शिकार हैं.  HelpAge India survey के एक सर्वे के अनुसार देश के 20%  माँ - बाप अपने बेटे और बहु द्वारा प्रताड़ना के शिकार हैं. प्रताड़ना में बैंगलोर सबसे आगे हैं उसके बाद हैदराबाद का नंबर आता है. माँ-पिता को सबसे अधिक शारीरिक प्रताड़ना के केस बिहार में दर्ज किये गये हैं. 98% माँ-बाप अपने बच्चों की प्रताड़ना के खिलाफ कुछ नहीं बोलते और यही एक वजह है कि देश में ऐसे केसेज़ बढ़ते जा रहे हैं. 

अब जब हम अपने माँ-बाप का ऐसे सम्मान करते हैं तो हमें ये मदर्स डे सेलिब्रेशन जैसा ढोंग क्यों करना चाहिए, यह समझ नहीं आया. और आपको शर्माने की बिल्कुल ज़रुरत नहीं है क्योंकि अपने माँ - बाप का अपमान करने वाले आप अकेले नहीं है देश के 65% बच्चे आपके साथ गर्व से खड़े हैं. 

हम यह भूल जाते हैं कि वक़्त किसी का नहीं होता, आज जो हमने अपने माँ-बाप के साथ किया है कल को हमारे बच्चे भी हमारे साथ वैसा ही करने वाले हैं और हम ये ज्यादती डिज़र्व करते हैं.

तो चलो हर रोज़ माँ को ज़लील करने से बचते हैं आउटर इस मदर्स डे पंहुचा आते हैं उनको किसी दूर के वृद्धाश्रम जहा से उनके लौटने की कोई भी उम्मीद ज़िंदा ना रहे.

टॅग्स :मदर्स डे
Open in App

संबंधित खबरें

भारतHappy Mother's Day Wishes: या देवी सर्वभूतेषु मातृरूपेण संस्थिता?, मातृ दिवस के अवसर पर सभी मातृ शक्ति का वंदन-अभिनंदन, पढ़िए ये कविता

भारतMother’s Day 2024: जानिए मदर्स डे का इतिहास, पढ़िए मां पर लिखे गए ये खूबसूरत शेर, 12 मई को मनाया जाएगा मातृ दिवस

रिश्ते नातेMother's Day 2024: मां के लिए अब तक नहीं खरीद पाएं हैं कोई गिफ्ट, आखिरी समय में काम आएंगे ये 5 आईडिया

रिश्ते नातेMother's Day 2023: घर से रहते हैं दूर और आ रही मां की याद? इन खास तरीकों से रखें अपनी बात

रिश्ते नातेMother's Day 2023: मदर्स डे पर अपनी मां को दें ये 5 उपहार और उनके चेहरे पर लाएं मुस्कान

भारत अधिक खबरें

भारतगोवा अग्निकांड पर पीएम मोदी और राष्ट्रपति ने जताया दुख, पीड़ितों के लिए मुआवजे का किया ऐलान

भारतGoa Fire Accident: अरपोरा नाइट क्लब में आग से 23 लोगों की मौत, घटनास्थल पर पहुंचे सीएम सावंत; जांच के दिए आदेश

भारतगोवा के नाइट क्लब में सिलेंडर विस्फोट में रसोई कर्मचारियों और पर्यटकों समेत 23 लोगों की मौत

भारतEPFO Rule: किसी कर्मचारी की 2 पत्नियां, तो किसे मिलेगी पेंशन का पैसा? जानें नियम

भारतरेलवे ने यात्रा नियमों में किया बदलाव, सीनियर सिटीजंस को मिलेगी निचली बर्थ वाली सीटों के सुविधा, जानें कैसे